तिनका:एक सफरनामा’ का लोकार्पण,
काव्य गोष्ठी एवं सम्मान समारोह आयोजित
लाल
बिहारी लाल
नई
दिल्ली। अनुराधा प्रकाशन,नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘तिनका : एक सफरनामा’ का लोकार्पण हिन्दी भवन में मुख्य अतिथि डॉ– सरोजिनी प्रीतम,
विशिष्ट अतिथि डॉ– राम
प्रकाश शर्मा, श्रीमती कविता मल्होत्रा एवं प्रकाशक
श्री मनमोहन शर्मा ‘शरण’
आदि के कर कमलों द्वारा सम्पन्न हुआ । कार्यक्रम की अध्यक्ष प्रो. (ग्रुप कैप्टन) ओ.पी. शर्मा ने किया।इस पुस्तक के लेखक संजीव कुमार दीक्षित ‘बेकल दुबई में रह रहे हैं। इस कार्यक्रम हेतु
वह विशेष रुप से दुंबई से आए हुए थे ।
प्रकाशक एवं संपादक श्री मनमोहन शर्मा ‘शरण’ ने पुस्तक पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ‘80 पृष्ठ की इस पुस्तक में 30 रचनाएँ समाहित हैं जिनमें प्रमुखत: कविताएँ एवं
ग़ज़ल है जिसमें समाज के विभिन्न पहलुओं का मार्मिक वर्णन हैं। अनुराधा प्रकाशन की ओर से सम्मानित मंच
द्वारा कृति लेखक संजीव कुमार दीक्षित ‘बेकल’ को
शॉल एवं प्रशस्ति पत्र द्वारा सम्मान किया गया । इसके बाद लेखक श्री संजीव कुमार
दीक्षित ‘बेकल’
ने इस पुस्तक से अपनी कई रचनाओं का पाठ भी किया। कार्यक्रम के
विशिष्ट अतिथि डॉ. राम प्रकाश शर्मा ने कहा कि एक लेखक
व साहित्यकार जो कविता लिखता है वह अपनी संतुष्टि के लिए लिखता है । तब वह यह नहीं
सोचता कि यह कविता वह समाज के लिए लिख रहा है । एक रचना विभिन्न व्यक्तियों के लिए
भिन्न–भिन्न भावों को प्रकट करती है । साथ
ही उन्होंने अनुराधा प्रकाशन की प्रशंसा करते हुए कहा कि पिछले काफी समय से कई
स्तरीय पुस्तकों का प्रकाशन किया जा रहा है
श्री मनमोहन शर्मा ‘शरण’
बधाई के पात्र हैं । कार्यक्रम
की विशिष्ट अतिथि श्रीमती कविता मल्होत्रा ने अपने वक्तव्य में पुस्तक के लेखक को
अनेक शुभकामनाएं दीं और उनकी कविताओं की भूरि–भूरि
प्रशंसा की । उनके व्यक्तित्व के ऊपर कुछ पंक्तियाँ श्रोताओं को सुनाई जिसे
श्रोताओं ने खूब सराहा । डॉ. सरोजिनी प्रीतम ने लेखक को उनकी
प्रथम कृति ‘तिनका : एक सफरनामा’ पर बधाई देते हुए कहा कि इस पुस्तक को मैंने
व्यक्तिगत तौर पर दो बार पढ़ा है । इसमें से कई छोटी–छोटी
कविताओं को निकाला जा सकता है । साथ ही उन्होंने अपनी हँसिकाओं द्वारा श्रोताओं को
मंत्रमुग्ध करते हुए समां बांध दिया जिसे श्रोताओं ने बड़े ध्यान से सुना और उनका
लुत्फ उठाया । अंत में कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो. (ग्रुप कैप्टन) ओ.पी. शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि लेखक ने
पुस्तक में सभी पहलुओं को छूने का प्रयास किया है । उन्होंने साहित्यकार विशेषांक
में प्रकाशित अपनी प्रतिक्रिया श्रोताओं को पढ़कर सुनाई, उसके भाव कुछ इस प्रकार थे “‘बेकल’ द्वारा
रचित ‘तिनका एक सफरनामा’ कविता संग्रह काव्य सृजन की उस उक्ति को पूर्णतया
चरितार्थ करता है जिसमें कहा गया है ‘वियोगी
होगा पहला अंजान’ । संजीव दीक्षित, संजीव भी हैं और दीक्षित भी । उन्होंने अपने
वियोग की अनुभूति सहज रूप में चिह्नित विधा के माध्यम से सफलतापूर्वक दर्शायी है ।
वियोग सहृदयता, नैसर्गिगता, सरलता, मृदुलता, सौंदर्य, प्रेम
और सत्य से मानवता
के विशुद्ध रूप से । तीसों कविताएँ अपने आप में पूर्ण हैं ‘बेकल’ की
जीवन यात्रा के विशेष आयामों के चित्रण में ।” इसके
उपरांत उपस्थित समाजसेवियों का सम्मान किया गया,
नाम इस प्रकार हैं – पं. रूपचन्द शर्मा,
श्री सुशील गोयल, श्रीमती
शैलजा, श्री सुरेश दीक्षित, डॉ. सरला सिंह, श्री प्रवीन भसीन । कवियों द्वारा काव्य पाठ भी
किया गया, जिनमें श्रीमती शबनम शंकर, श्री जसवंत सिंह ‘गुरजधर ’, श्री
लाल बिहारी लाल, श्रीमती वन्दना गोयल, श्री आशुतोष द्विवेदी, श्री हीरेन्द्र चौधरी आदि प्रमुख थे । सभी कवियों
का प्रकाशक द्वारा अंगवस्त्र व माला से
सम्मान किया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन श्रीमती प्रियंका लूथरा ने किया ।
कार्यक्रम के अंत में प्रकाशक शर्मां ने
सभी आगन्तुकों का हार्दिक धन्यवाद किया ।
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