सोमवार, 30 मई 2016

रवि शर्मा की दो पुस्तकों काब्य किरण एवं काब्य उमंग का लोकार्पण

रवि शर्मा की दो पुस्तकों काब्य किरण एवं काब्य उमंग का लोकार्पण
लाल बिहारी लाल
नई दिल्ली। दिल्ली की चर्तित कवियित्रि एवं शिक्षिका श्रीमती रवि शर्मा द्वारा रचित कविताओं का दो संग्रह काब्य किरण एवं काब्य उमंग का लोकार्पण  जनकपुरी के मंदिर मार्ग स्थित आर्य समाज मंदिर के मुख्य हाल में विशिष्ठ अतिथि के रुप में रक्षा मंत्रालय के हिन्दी सलाहकार समिति के सदस्य एंव वरिष्ठ साहित्यकार डा. राम प्रकाश शर्मा,शिक्षाविद् आगस्टीन वेलियथ ,साहित्यकार एवं पत्रकार लाल बिहारी लाल ,वरिष्ठ साहित्यकार डा. राहूल तथा संपादक मनमोहन शर्मा के कर कमलों द्वारा लोकार्पित किया गया । इस सत्र की अध्यक्षता अनुराधा प्रकाशन के सलाहकार संपादक श्रीमती कविता मल्होत्रा ने की। इन पुस्तको को अनुराधा प्रकाशन,नई दिल्ली ने प्रकाशित किया है।
      वरिष्ठ साहित्यकार लाल बिहारी लाल ने नव रचित दोहों के द्वारा यह सिद्ध कर दिया कि अभिब्यक्ति गद्य में ही नहीं कविता में भी होती है।उन्होंने कृतियों की रचयिता रवि शर्मा के रचना संघर्ष और याथार्थ समकालिन समाज में मरते-मिटते मानवीय मूल्यों,टूटते-विखरते संबंधों एवं सरोकारो के परिप्रेक्ष्य में इनकी सार्थकता को सिद्ध किया है।डा.राहूल ने दोनो पुस्तको पर एक विवेचनात्मक प्रस्तुति देते हुए कहा कि कवियित्रि की संघाटित संवेदना इनके गहन रुप में  अभिब्यक्त हुई है कि वह स्त्री-विमर्श का पुष्करण करने वाली लेखिकाओं से भी ज्यादा प्रमाणिक एवं प्रभावशाली है। श्री वेलियथ ने भी इनकी रचना के शिल्प पर प्रकाश डाला।

      लोकार्पण के उपरान्त द्वीतीय सत्र में एक सरस काब्य गोष्ठी का भी आयोजन किया गया जिसमें बसुधा कनुप्रिया, नीलू नीलपरी, लाल बिहारी लाल,शिव प्रभाकर ओझा, रंजना नौटियाल, रवि शर्मा ने अपनी चुनिंदा कविताओं को सुमधुर पाठ कर श्रोताओं के मन्त्र मुग्ध कर दिया।। इस कार्यक्रम का संचालन अनुराधा प्रकाशन की उप संपादिका प्रियंका ने किया। अन्त में मनमोहन शर्मा शरण ने सभी आगन्तुको के प्रति हार्दिक आभार प्रकट किया।
सचिव-लाल कला मंच,नई दिल्ली-44
फोन 9868163073





सोमवार, 9 मई 2016

लाल बिहारी लाल एवं संजय गिरी भी मुक्तक रत्न से सम्मानित

राष्ट्रीय स्तर पर मुक्तक लोक सम्मान एवं पुस्तक का लोकार्पण
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लाल बिहारी लाल एवं संजय गिरी भी मुक्तक रत्न से सम्मानित
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लाल बिहारी लाल

नई दिल्ली।  गाँधी शांति प्रतिष्ठान ,नई दिल्ली में मुक्तक लोक और युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच के संयुक्त तत्वावधान में 'मुक्तक लोक शतकीय समारोह'' और ''अखिल भारतीय मुक्तक सम्मेलन'' का भव्य आयोजन मीरा शलभ के आतिथ्य़ एवं राम किशोर उपाध्याय की अध्यक्षता में समपन्न  हुआ |
विशिष्ठ अतिथि के तौर पर कांति शुक्ला,अशोक कश्यम एवं नरेश शुक्ला मौयूद थे ।संचालन श्वेताभ फाटक एवं संयोजन ओम प्रकाश शुक्ला का था।
     पूरे दिन  चले इस आयोजन में देश भर से लब्ध-प्रतिष्ठित कवियों और कवयित्रियों ने अपने सुन्दर, मनमोहक मुक्तकों से समारोह में काव्य रस की धारा प्रवाहित कर दी जिनमें प्रमुख रूप से सुश्री कांति शुक्ला, प्रमिला आर्य ,अर्चना शर्मा, मीरा शलभ ,लता यादव ,सविता सौरभ ,पुष्पा जोशी ,मंजु वशिष्ठ,रजनी वालिया,यशोधरा सिंह,पुष्पलता शर्मा ,वसुधा कनुप्रिया ,पुनीता भरद्वाज ,रंजना नौटियाल, रेखा लोढ़ा और सरिता बाजपेई के अतिरिक्त श्री ओम प्रकाश शुक्ल, सुरेशपाल वर्मा जसाला, विजय मिश्र दानिश,श्वेताभ पाठक, मुसाफिर व्यास , अरुण अर्नब खरे,घनश्याम मैथिल, देवनारायण शर्मा ,श्यामल सिन्हा ,हरीश लोहुमी ,दिनेश दवे,दीपक गोस्वामी,अशोक कश्यप ,संजय गिरि ,लालबिहारी लाल ,बसंत शर्मा आदि प्रमुख थे |
इस अवसर पर एक मुक्तकों का साझा संकलन 'विहग प्रीति के 'का लोकार्पण भी अतिथियों द्वारा सम्पन्न हुआ |
    कार्यक्रम में लाल बिहारी लाल एवं संजय गिरी सहित देश के 42 श्रेष्ठ कवियों को 'मुक्तक-रत्न सम्मान' और ख्यात कवि श्री रामकिशोर उपाध्याय को मुक्तक लोक का शिखर सम्मान ''मुक्तक शिरोमणि''  सम्मान प्रदान किया गया |

युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच की ओर से इस अवसर पर प्रख्यात कवि,व्यंग्यकार,अर्थशास्त्री और शिक्षाविद प्रो.विश्म्भर शुक्ला को उनकी चालिस वर्ष से अधिक साहित्य,कला,पत्रकारिता,शिक्षा और व्यंग्य के क्षेत्र में विशिष्ट अवदान के लिए सर्वोच्च सम्मान ''जीवनकाल-उपलब्धि सम्मान'(लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड ) प्रदान किया गया | अंत में अध्यक्ष राम किशोर उपाध्याय ने सभी अतिथियों एवं आये हुए कवियों का धन्यवाद दिया।




शुक्रवार, 6 मई 2016

माँ पर लाल बिहारी लाल के दोहे

माँ पर कुछ दोहा
               लाल बिहारी लाल

माँ जीवन की सार है, माँ है तो संसार।
माँ बिन लाल जीवन ,समझो है बेकार।1

माँ की ममता धरा पर, सबसे है अनमोल।
माँ जिसने भूला दिया,सब कुछ उसका गोल।2

माँ सम कोई गुरु नहीं,मिले इस संसार।
गुरु का जो मान रखा,नैया उसका पार।3

माँ के दूध का कर्ज, चुका न पाया कोय।
जन जो कर्ज चुका दिया,जग बैरी न होय।4

माँ पीपल की छांव है,माँ बगिया के फूल।
माँ जीवन की सार है, हरे लाल के शूल।5

माँ से जग संसार है,माँ से जीवन मूल।
माँ बिन खुशबू नहीं ,मुर्झाये सब फूल।6
*      सचिव-लाल कला मंच, नई दिल्ली
   फोन-9868163073 या 7042663073