रविवार, 17 जुलाई 2022

खनकती आवाजों की मल्लिका बनी- अभिलिप्सा पांडा

 हर-हर शंभू ,शिव महादेवा वाइरल एलबम की गायिका


लाल बिहारी लाल




नई दिल्ली। उड़िया ,तेलगु के रास्ते हिंदी भजन में कैरियर की शुरुआत करने वाली खनकती आवाजों की मल्लिका अभिलिप्सा पांडा का जन्म ब्राह्मण परिवार में सन 2001 में उड़िसा के बारबिल गांव  जिला क्योझोर में हुआ था।

  अभिलिप्सा पांडा को संगीत विरासत में इनके दादा से मिला है जो  अपने ज़माने में हारमोनियम बजाने के लिए प्रसिद्ध थे। अभिलिप्सा का कहना है की पहली बार उनकी माताजी ने उन्हें गायत्री मन्त्र के जरिये संगीत से जोड़ा था जब वो एल.के.जी कक्षा में  केवल 4 वर्ष की थी। तभी से उड़ीसी क्लासिकल वोकल सीखना शुरू कर दिए था। लेकिन कुछ कारण वश उन्हें विराम देना पड़ा।

   अभिलिप्सा ने 2015 में द्रौपदी देवी कल्चरल इंस्टिट्यूट से हिंदुस्तानी वोकल सीखना शुरू किया। जब वह सिख रही थी तभी उनके गुरु ने उनसे पूछा कि क्या वह एक बच्चो के गाने को अपनी आवाज़ देंगी, तो इस पर अभिलिप्सा ने हाँ कर दी और इस प्रकार उन्होंने सिंगिंग इंडस्ट्री में पहला कदम रखा। साल 2017 – 18 में उन्होंने हिंदुस्तानी क्लासिकल वोकल में गवर्नर्स ट्रॉफी भी हासिल की। अभिलिप्सा ने एक ओड़िआ रियलिटी शो, उड़ीसा सुपर सिंगर में भी भाग लिया है। कुछ समय बाद ओडिसा सुपर सिंगर के निर्माताओं ने अभिलिप्सा की एक वीडियो क्लिप अलग- अलग सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दी। यह क्लिप जीतू शर्मा ने देखा,जो काफी पसंद आया औऱ फिर उन्होंने अभिलिप्सा के साथ हर हर शम्भू गाना गया जो संस्कृत मिक्स है और इसका संगीत दिया है युवा संगीतकार  आकाश देव ने। जो 5 मई 2022 को यू ट्यूब पर चढ़ाया गया है और इतना तेजी से दर्शको के बीच लोकप्रिय हुआ है कि आज लगभग दो महिने में 70 मिलियन से ज्यादा लोगो ने देखा है। इसके बाद दो गीत  मंजिल केदारनाथ और  भोले नाथ जी भी आये हैं जिसे दर्शकों ने काफी पसंद किया है। आशा है  अभिलिप्सा अपने गायिकी कैरियर को एक नया मुकाम तक ले जायेंगी।

युवा कवयित्री डाँ.आशा सिंह सिकरवार भोपाल में हुई सम्मानित

 युवा कवयित्री डाँ.आशा सिंह सिकरवार भोपाल में हुई सम्मानित 


लाल बिहारी लाल



नई दिल्ली । साहित्यिक संस्था निर्दलीय का 49 वां वार्षिकोत्सव सह साहित्योत्सव गांधी भवन,  भोपाल में  आयोजित किया गया । जिसकी  अद्य़क्षता साहित्यकार एवं निर्दलीय के सलाहकार श्री राजेन्द्र शर्मा अक्षर ने की मुख्य अतिथि मध्य प्रदेश के प्रथम चिकित्सा विश्वविद्यालय, जबलपुर के पूर्व कुलपति, डाँ.त्रिभुवन नाथ दुबे ,तथा अति विशिष्ट एवं विशिष्ट अतिथियों में सुश्री मेधा पाटकर, डाॅ.पवन कुमार भड़कतया जैन ( जबलपुर ),पूर्व मंत्री श्री दीपक जोशी एवं  श्री रमेश सिंह राघव (दिल्ली),श्री नीलकंठ राव यावलकर (अमरावती)श्री दयाराम नामदेव (सचिव-गांधी भवन न्यास ),श्री राजेश व्यास (सह सभापति-राज्य बार काउंसिल),श्री अब्दुल अज़ीज़ सिद्दकी (लखनऊ )श्री रमेश नंद ( वरिष्ठ कवि)एवं श्री शैलेश शुक्ला (पत्रकार) दुर्गा मिश्रा आदि कार्यक्रम में उपस्थित रहे । 


   राष्ट्रीय पुष्पेंद्र कविता सम्मान स्व. डाँ. रामघुलाम वैश्य रघु पूर्व दंत चिकित्साविशेषज्ञ की स्मृति में  श्री पुष्पेंद्र वैश्य श्रीमती कविता वैश्य, भोपाल द्वारा अहमदाबाद स्थित डाँ. आशा सिंह सिकरवार  को राष्ट्रीय शिखर सम्मान से सम्मानित किया गया । इश असर पर 11 प्रांतों के  प्रतिष्ठित 58 सृजनधर्मियों को स्मानित किया गया। डाँ . आशा सिंह सिकरवार को अनेक पुरस्कार और सम्मान पहले भी प्राप्त हुए हैं । हाल ही में गुजरात विश्वविद्यालय अहमदाबाद के नये पाठयक्रम में  स्त्री विमर्श में ' उस औरत के बारे में 'काव्य संग्रह से  रचनाएँ शामिल हुई हैं ।   वे मुख्यधारा की महत्वपूर्ण कवयित्री में अपना विशिष्ट स्थान रखती हैं । आशा सिंह सिकरवार की लेखनी  ने कविता के अतिरिक्त ग़ज़ल, कहानी की  विधा को  अपनाया है । वे एक समीक्षक के रूप में में भी ख्याति प्राप्त हैं । उनकी अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं उन्हें देश विदेश की समस्त संस्थाओं द्वारा पुरस्कार एवं सम्मानित  भी किया जा चुका है ।

बढ़ती जनसंख्या विकास में बाधक है इसे रोकना जरुरी

विश्व जनसंख्या दिवस पर विशेष (11जुलाई )

बढ़ती जनसंख्या विकास में बाधक है इसे रोकना जरुरी है

लाल बिहारी लाल

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आज जनसंख्या रोकने के लिए सबको शिक्षा होनी चाहिये जिससे इसे कम करने में मदद मिलेगी शिक्षा के साथ-साथ जागरुकता की सख्त जरुरत है ताकि देश उनन्ति के मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ सके । वर्ष 2021 में असम सरकार इस ओर सख्त पहल की है और उ.प्र. सरकार भी आज जनसंख्या स्थिरिकरण के लिए अनेक मसौदा जारी कर दी है। 

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सन 1987 में विश्व की जनसंख्या 5 अरब को पार गई तभी से सारी दुनिया में जनसंख्या रोकने के लिए जागरुकता की शुरुआत के क्रम में 1987 से हर वर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाते आ रहे हैं। इसका मुख्य उदेश्य बढ़ती जनसंख्या से उत्पन्न खतरों के प्रति आमजन के बीच में जागरुकता फैलाना है ताकि जनसंख्या निय़ंत्रण में आसानी हो। 

     आज सारी दुनिया की 90% आबादी इसके 10% भाग में निवास करती है।विश्व की आबादी कही 11-50/वर्ग कि.मी. है तो कही 200 वर्ग कि.मी.है।जनसंख्या वृद्धि के कई कारण है जो जनसंख्या वृद्धि को प्रभावित करते हैं।उनमें भौगोलिक,आर्थिक एवं सामाजिक तथा सांस्कृतिक कारक प्रमुख है।भोगोलिक कारकों में मुख्य रुप से मीठे एवं सुलभ जल की उलब्धता, समतल एवं सपाट भूआकृति, अनुकुल जलवायु ,फसल युक्त उपजाऊ मिट्टी आदी  प्रमुख है।

आर्थिक कारकों में खनिज तत्व की उपलब्धता के कारण औद्योगिकरण तथा इसके फलस्वरुप शहरीकरण क्योंकि आधुनिक युग में स्वास्थ्य ,शिक्षा,परिवहन,बिजली तथा पानी आदी की समुचित उपलब्धता के कारण औद्योगिक कल-कारखाने में काम करने के लिए कर्मचारियो की जरुरत को कारण यहा की आबादी सघन होते जा रही है। इसके अलावे भी सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिवेश उतरदायी है। उक्त कारकों  के अलावे जनसंख्या वृद्दि दर भी आज काफी है।पृथ्वी पर जनसंख्या आज 700 करोड़ से भी ज्यादा है। इस आकार तक जनसंख्या को पहूँचने में शताब्दियां लगी है।आरंभिक कालों में विश्व की जनसंख्या धीरे-धीरे बढ़ी। यानी 1 अरब तक पहुँचने में 2,00,000 साल लगे वही 1 अरब से 7 अरब पहुँतने में मात्र 200 साल लगे। 

     विगत कुछ सौ बर्षों के दौरान ही जनसंख्या आश्चर्य दर से बढ़ी है। पहली शताब्दी में जनसंख्या 30 करोड़ से कम थी। 16वी.एवं 17वी शताब्दी में औद्योगिक क्रांति के बाद तीब्र गति से जनसंख्या की वृद्दि हुई और सन 1750 तक 55 करोड़ हो गई। सन 1804 में 1 अरब,1927 में 2 अरब ,1960 में 3 अरब,1974 में 4 अरब तथा 1087 में 5 अरब हो गई और 7.78 अरब से ज्यादा हो गई है। । विगत 500वर्षों में प्रारंभिक एक करोड़ की जनसंख्या होने में 10 लाख से भी अधिक वर्ष लगे परन्तु 5 अरब से 6 अरब होने में 1987 से12 अक्टूबर 1999 तक मात्र 12 साल लगे। इसी तरह 31 अक्टूबर 2011 को 7 अरब हो गई। आज विश्व की जनसंख्या मार्च 2019 तक 7 अरब 53 करोड के आस पास थी। परन्तु 10 जुलाई 2022 को संध्या 4 बजे तक विश्व की जनसंख्या 7,97,65,99,776 थी।

   भारत आज 120 (139) करोड़ से अधिक आबादी के साथ चीन(1अरब 45करोड़ ) के बाद दूसरे नंबर पर है अगर इसी रफ्तार से भारत की जनसंख्या बढ़ती रही तो वह दिन दूर नहीं जब भारत 2025 में चीन को पीछा छोड़कर आबादी के मामलों में सारी दुनिया में  नंबर वन हो जायेगा। चिंता की बात है कि जहां 1951 में हिंदूओं की प्रतिशत संख्या लगभग 85 थी जो 2011 में 80 प्रतिशत के आस पास रह गई जबकि 1951 में मुस्लिमों की आबादी लगभग 10 प्रतिशत थी तो 2011 में लगभग 15 प्रतिशत हो गई। जबकि भूमि के मामले में भारत विश्व का 2.5% है और आबादी लगभग 17-18 % है। इस जनसंख्या विस्फोट से समाजिक ढ़ाचा परिवहन,शिक्षा स्वास्थ्य, बिजली , पानी आदी की मात्रा सीमित है जो समस्या बनेगी। इससे प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव बढ़ेगा और अनेक समस्याय़े खड़ी हो जायेगी। जिससे देश में सामाजिक ढाचा छिन्न-भिन्न(असहज) होने की संभावना बढ़ेगी। अतः आज जनसंख्या रोकने के लिए सबको शिक्षा होनी चाहिये जिससे इसे कम करने में मदद मिलेगी शिक्षा के साथ-साथ जागरुकता की सख्त जरुरत है ताकि देश उनन्ति के मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ सके । वर्ष 2021 में असम सरकार इस ओर सख्त पहल की है और वर्ष 2021में उ.प्र. सरकार भी विश्व जनसंख्या दिवस पर जनसंख्या स्थिरिकरण के लिए ड्राफ्ट जारी कर दी  है जिस पर सुझाव एवं आपतियाँ आमंत्रित की गई है। बढ़ती हुई जनसंख्या विकास में बाधक हो रही है इसे रोकना जरुरी है।

लेखक –पर्यावरण प्रेमी औऱ साहित्य टी.वी के संपादक है।