शनिवार, 31 मार्च 2018
मंगलवार, 13 मार्च 2018
बदरपुर डायरेक्ट्री सहित 7 अन्य पुस्तके लोकार्पित कवि गोष्ठी एवं सम्मान समारोह आयोजित हुई
सोनू गुप्ता
नई दिल्ली। गाँधी
शांति प्रतिष्ठान में "नवजागरण प्रकाशन" द्वारा कई पुस्तकों का लोकार्पण, काव्य
गोष्ठी एवं सम्मान समारोह संपन्न हुआ। कार्यक्रम
का विधिवत उद्घाटन इग्नू के कुलसचिव प्रो.जीतेन्द्र श्रीवास्तव जी, जे.एन.यू.
के कुलसचिव प्रो. प्रमोद कुमार जी, जामिया
मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में हिंदी अधिकारी डॉ.राजेश कुमार मांझी, दिल्ली
विश्वविद्यालय से प्रो.पूरनचंद टंडन जी, कवि, लेखक
एवं टीवी एंकर मनोज भावुक एवं रंगकर्मी वीणा वादिनी ने दीप प्रज्वलित कर किया।
कार्यक्रम
में नवजागरण प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तकों का लोकार्पण हुआ जिसमे- श्रीमती
मिलन सिंह मधुर जी की "मधुर मिलन", डॉ
राजेश मांझी जी की "नदी के आस-पास", बी.के.मिश्रा
जी की "फुहार", डॉ महेश कुमार व्हाइट जी की "समुद्र", केशव
मोहन पाण्डेय,पूजा कौशिक, रचना
चौधरी, इंदुमती मिश्रा एवं तरुणा पुंडीर द्वारा रचित
"पंच पर्णिका" डॉ.ज्योति गुप्ता द्वारा रचित "हिंदी लेखिकाओं की
आत्मकथाएँ" तथा साहित्य से ईतर लाल बिहारी लाल के संपादन में बदरपुर
डायरेक्टी का दूसरा अंक प्रमुख
रहीं।
महिला
दिवस के संदर्भ में
कुछ महिलाओं को "स्त्री शक्ति सम्मान" से सम्मानित किया गया जिसमे तेज़ाब
हमले की शिकार "लक्ष्मी", दृष्टिहीन श्रीमती अजंता पोखरेल एवं अधिवक्ता व
युवा समाजसेवी सुश्री सीमा कुशवाहा । नवजागरण
प्रकाशन की सबसे ज्यादा बिकने वाली पुस्तक 'चलो
अब आदमी बना जाये" के रचनाकार "श्री सतीश कुमार श्रीवास्तव जी को बेस्ट
सेलर सम्मान से सम्मानित किया गया।कार्यक्रम
का संचालन मनोज भावुक जी ने किया वही काब्य गोष्ठी की शुरुआत नवांकुर कवि तुषार.कुमार की
कविता पाठ से हुई। अन्य कवियों में राजेश
कुमार माँझी, लाल बिहारी लाल,शोभा सचान, जे.पी. दिवेदी,रामबंधु तिवारी, मनोज
भावुक,जे.पी गौतम,डा. ज्योति गुप्ता,डा. मिलन सिंह मधुर,बी.के. मिश्रा, मोहन
मितवा, मिथलेश मैकस,सूर्यजीत मौर्य, प्रदीप सुमनाक्षर,जे.एस. पांडे, सीमा कुशवाहा,
वीणा वादनी चौबे, ,सतीश श्रीवास्तव,मनोज कुमार पांडे आदि रहे । इस काब्यगोष्ठी की
अध्यक्षता वरिष्ठ कवि एवं पत्रकार लाल बिहारी लाल ने की। कार्यक्रम को सफल बनाने में लवकांत सिंह लव,
आर.एन .राय का अहम योगदान रहा। कार्यक्रम
को अंत में धन्यवाद ज्ञापन नव जागरण प्रकाशन के निदेशक राज कुमार अनुरागी ने किया।वही सम्पूर्ण कार्यक्रम का संयोजन
डा. राजेश मांढी का था।
सोमवार, 12 मार्च 2018
कविता के विविध आयामों को अक्स देती- नीले अक्स-लाल बिहारी लाल
पुस्तक समीक्षा
कविता के विविध आयामों को अक्स देती- नीले अक्स-लाल बिहारी लाल
नीलू निलपरी हिंदी काब्य जगत में एक उभरती
हुई कवियित्री हैं। इनकी 102 अतुकांत
कविताओं का संग्रह –नीले अक्स शीर्षक से
सान्ध्य दैनिक लोक जंग प्रकाशन ,भोपाल ने प्रकाशित किया है। इस एकल संकलन
में प्यार-मोहब्बत,त्याग –तपस्या ,प्रेम–विरह, मिलन–जुदाई के संग संग प्राकृतिक
विषयों पर भी कई कविताये हैं। नीलू नीलपरी
पेशे से एक शिक्षिका एंव मनोवैज्ञानिक
है।पर साहित्य जगत में भी अपनी पहली पुस्तक नीले अक्स से ही अपनी
लेखनी का एहसास करा रही है। इनकी कुछ कविताओं को देखें- महकती मचलती हवा सी वो
लड़की,वो जलपरी से नादान लड़की(पृष्ठ-32)। वही औरत के दशा दिशा पर बेवकूफ औरत के तहत कहती है-रखती हर दुखी के
जख्म पर ,आशाओं का स्नेहिल स्पर्श, रोते के आसु पोछ (पृष्ठ-37)। आगे कहती है कि
नारी चट्टान से कम नहीं होती है-तोड़ नही पाओगे तुम कभी, जोड़ लगाओ कितना भी(पृष्ठ-38। सागर के लहरो की तरह
है जिंदगी तभी तो उठती हो औऱ ढ़लती हो यू.ही मचलती हो,ए लहरो तुम भी मेरी जैसी हो (पृष्ठ-43)। एक नारी विरह-वेदना मे काफी मुलायम-सी हो जाती है-विरह की काली अमावस सबको
जमाने के मकरजाल में उलझा देती है(पृष्ठ-45)। आदमी अपने कर्मो का अक्स देखता है।
अक्स शीर्षक कविता में लिखती है । जबकि एहसास
की बूंदें में लिखती है –रिश्ता है कुछ बूंदो का एहसास ही तो,मेरे दिल से
तेरे दिल तक। आगे आरजू में कहती है -माना
मैं मुमताज ना सही, ताज महल ना सही एक विद्या का मंदिर ही बनवा देना ,जहां
सहिष्णुता का पाठ पढ़ाया जाये। (पृष्ठ-53)। इस कविता में परलोक की बाते बहुत ही
सरलता से इहलोक में कह गई। औसी वाद एख उदार मन की लेखिका ही लिख सकती है। जो मरने
के बाद भी समाज के हक की बात कर रही है।
बाबुल का आंगन से लेकर प्रियतम के
प्रीत की बातें इस संकलन में समाहित है। कभी रुठना तो कभी मनाना जिंदगी के विवध आयाम
है जिसे लेखिका ने जीया है। तभी तो इस तरह की शीर्षक पर बोल जिंदगी में कहती है।
इनकी प्रकृति प्रेम भी झलकती है नदी(पृष्ठ-60)। ।सदियों पुरुष प्रधान समाज में आज आजादी के 70 साल बाद भी
कुछ नही बदला शीषर्क से कहती है- इंसान की आरजू कभी पूरी नही होती।
(पृष्ठ-114)।इंसान रिश्तो के बंधन में आया है और इसी के चक्कर में तार-तार हो जाता
है। जिंदगी हवा के झोकों की तरह है पल-पल रंग बदलती है ऐ हवा((पृष्ठ-79)है।
कुल
मिलाकर 144 पृष्ठों की इस एकल संकलन में रचनायें भाव प्रधान है। जो कभी-कभी
मिलजुलकर अपने साथ-साथ चलने का एहसास भी कराती है। कवयित्री की रचनाये यदा कदा
विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं की शोभा बढ़ाते रहती है। इन्होंने शब्दों को जीने औऱ सीने
के बाद ही कागजो पर उतारा है। जो एक सराहनीय प्रयास कहा जा सकता है। पर इस संकलन
में शिल्प पक्ष के बजाये भाव पक्ष पर जोर दिया गया है। आशा है कव्य जगत में इस नीले अक्स को पूरे कविता के पटल पर पढ़ा औऱ सराहा
जायेगा।
काब्य कृति- नीले अक्स
कवियित्री- नीलू नीलपरी
प्रकाशक-दैनिक लोकजंग प्रकाशन ,भोपाल
मूल्य-200 रु., वर्ष -2017
समीक्षक-लाल बिहारी लाल
(कवि,लेखक एवं पत्रकाऱ)
रविवार, 11 मार्च 2018
मंगलवार, 6 मार्च 2018
अन्त.महिला दिवस पर कवियों के उदगार(दोहे)
अन्त.महिला दिवस पर कवियों के उदगार(दोहे)
****************************** ***********
******************************
1
युग युग से ‘मैं’ कर रही , नित्य देह का दान
काश कभी मन-भाव को, भी मिलती पहचान .
डॉ. पूनम माटिया
2.
निर्मल जल की ही तरह,रखती सबका ख्याल।
पर अपने ही कर रहे,उसका भोग विलास।।
मनोज कामदेव
3.
नारी को मिलते नहीं, जहाँ सभी अधिकार !
अपने सपनो को करे ,कैसे वो साकार !!
संजय कुमार गिरि
4.
नारी मन से शांत है,देखो गर तुम रूप
आन पर जो उतर गयी,देखो फिर स्वरूप
ममता पाण्डेय
5.
नारी देवी रूप में , करे जगत कल्याण,
माँ बहना परिवार में ,हैं जीवंत प्रमाण.(५)
बिहारी दुबे
6.
हर घर मन्दिर सा लगे,ऐसा बने विधान
नारी का सम्मान ही , देवों का सम्मान
लव कुमार 'प्रणय'
7.
नारी नारी का यहाँ, करती है अपमान।
फिर कैसे होगा भला,नारी का सम्मान।।
विजय मिश्र दानिश
8.
नारी नाड़ी की तरह. करती है हर काम।
नारी का सम्मान जहाँ ,वहाँ मिले श्रीराम।।
लाल बिहारी लाल
9.
नारी के उर में छिपी ,संवेदना विशाल
पिये हलाहल विष मगर,दिखे सदा खुशहाल।।
प्रमिला पांडेय
10.
नारी सबल बनाइये ,यह है गुण की खान !
नारी के बढ़ते कदम ,बने विश्व की शान !!
जगदीश मीणा
युग युग से ‘मैं’ कर रही , नित्य देह का दान
काश कभी मन-भाव को, भी मिलती पहचान .
डॉ. पूनम माटिया
2.
निर्मल जल की ही तरह,रखती सबका ख्याल।
पर अपने ही कर रहे,उसका भोग विलास।।
मनोज कामदेव
3.
नारी को मिलते नहीं, जहाँ सभी अधिकार !
अपने सपनो को करे ,कैसे वो साकार !!
संजय कुमार गिरि
4.
नारी मन से शांत है,देखो गर तुम रूप
आन पर जो उतर गयी,देखो फिर स्वरूप
ममता पाण्डेय
5.
नारी देवी रूप में , करे जगत कल्याण,
माँ बहना परिवार में ,हैं जीवंत प्रमाण.(५)
बिहारी दुबे
6.
हर घर मन्दिर सा लगे,ऐसा बने विधान
नारी का सम्मान ही , देवों का सम्मान
लव कुमार 'प्रणय'
7.
नारी नारी का यहाँ, करती है अपमान।
फिर कैसे होगा भला,नारी का सम्मान।।
विजय मिश्र दानिश
8.
नारी नाड़ी की तरह. करती है हर काम।
नारी का सम्मान जहाँ ,वहाँ मिले श्रीराम।।
लाल बिहारी लाल
9.
नारी के उर में छिपी ,संवेदना विशाल
पिये हलाहल विष मगर,दिखे सदा खुशहाल।।
प्रमिला पांडेय
10.
नारी सबल बनाइये ,यह है गुण की खान !
नारी के बढ़ते कदम ,बने विश्व की शान !!
जगदीश मीणा
"संकलन "-संजय कुमार गिरि एवं लाल बिहारी लाल
गुरुवार, 1 मार्च 2018
समाजिक भाईचारे का पर्व है होली -लाल बिहारी लाल
समाजिक भाईचारे का पर्व है होली
-लाल बिहारी लाल
भारत
में फागुन महीने के पूर्णिंमा या पूर्णमासी के दिन हर्षोउल्लास के साथ मनाये जाने
वाला विविध रंगों से भरा हुआ हिदुओं का एक प्रमुख त्योहार है-होली।
होली का वृहद मायने ही पवित्र है। पौरानिक मान्यताओं के अनुसार फागुन माह
के पूर्णिमा के दिन ही भगवान कृष्ण बाल्य काल में राक्षसणी पुतना का बध किया था ।
इस प्रकार बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी तभी से इसे होली के रुप में मनाया जाता
है। एक अन्य पैरानिक कथा जो शिव एवं पार्वती से जुड़ा हुआ है। हिमालय पुत्री
पार्वती शिव से विवाह करना चाहती थी पर शिव जी
तपस्या मैं लीन थे तब उन्होनें भगवान कामदेव की सहायता से भगवान शिव
की तपस्या भंग करवाई ।इससे शिवजी क्रोधित हो गये और अपना तीसरे नेत्र खोल दिये
जिससे क्रोध की ज्वाला में कामदेव भष्म हो गये । शिव जी ने पार्वती को देखा और
पार्वती की आराधना सफल हुई औऱ भगवान शिव पार्वती को अपनी अर्धागिनी के रुप में स्वीकार कर लिया इस प्रकार होली की अग्नी में
वासनात्मक आकर्षण को प्रतीकात्मक रुप से जलाकर सच्चे प्रेम का विजय का उत्सव मनाया
जाता है।यह पर्व खुशी और सौभाग्य का उत्सव है जो सभी के जीवन में वास्तविक
रंग और आनंद लाता है। रंगों के माध्यम से सभी के बीच की दूरियाँ मिट जाती है। इस
महत्वपूर्णं उत्सव को मनाने के पीछे प्रह्लाद और उसकी बुआ होलिका से संबंधित एक
पौराणिक कहानी है,जो काफी लोकप्रिय है। काफी समय पहले
एक असुर राजा था- हिरण्यकश्यप। वो प्रह्लाद का पिता और होलिका का भाई था।तप के वल
पर उसने ब्रम्हा जी से कठिन मौत का बगदान मांग लिया था जिसके तहत उसे ये वरदान
मिला था कि उसे कोई इंसान या जानवर मार नहीं सकता, ना ही किसी अस्त्र या शस्त्र से, न घर के बाहर न अंदर, न दिन न रात में। इस तरह असीम शक्ति और कठीन मौत
की वजह से हिरण्यकश्यप घमंडी हो गया था और भगवान को मानने के बजाए खुद को भगवान
समझता था साथ ही अपने पुत्र सहित सभी को अपनी पूजा करने का निर्देश देता
था।क्योंकि हर तरफ उसका खौफ था, इससे सभी उसकी पूजा करने लगे सिवाय प्रह्लाद के क्योंकि वो भगवान
विष्णु का भक्त था। पुत्र प्रह्लाद के इस बर्ताव से चिढ़ कर हिरण्यकश्यप ने अपनी
बहन के साथ मिलकर उसे मारने की योजना बनायी। उसने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को
अपनी गोद में लेकर आग में बैठने का आदेश दिया। आग से न जलने का वरदान पाने वाली
होलिका भी आग की लपटो में भस्म हो गई वहीं दूसरी ओर भक्त प्रह्लाद को अग्नि देव ने
छुआ तक नहीं। उसी समय से हिन्दु धर्म के लोगों द्वारा होलिका के नाम पर होली उत्सव
की शुरुआत हुई। इसे हम सभी बुराई पर अच्छाई की जीत के रुप में भी देखते है।
रंग-बिरंगी होली के एक दिन पहले लोग लकड़ी, घास-फूस, और गाय के गोबर के ढ़ेर में अपनी सारी बुराईयों
को होलिका दहन के रुप में एक साथ जलाकर खाक कर देते है। और सामाजिक भाईचारे को
बढ़ावा देते है।
इस
दिन सभी इस उत्सव को गीत-संगीत, खुशबुदार पकवानों और रंगों में सराबोर होकर
मनाते है।आजकल रंगो के साथ-साथ गुलालों का भी प्रयोग दोपहर के बाद खूब होने लगा
है। होली के दिन सरकारी छुट्टी होने के कारण लोग इस खास पर्व को एक-दूसरे के साथ
मना सके। तभी तो लाल कला मंच के सचिव एवं दिल्ली रत्न लाल बिहारी लाल का कहना है
कि सामाजिक भाईचारे का अजब मिसाल है होली जो सारी दुनिया में इस तरह के अनोखा पर्व
नहीं है। जो सभी वैर भाव छोड़ कर एक साथ इस इन्द्र धनुषी रंगो एवं उमंगों के पर्व
को मनाते हैं।
सचिव- लाल कला मंच ,नई दिल्ली
फोन 7042663073
सदस्यता लें
संदेश (Atom)