गुरुवार, 29 अगस्त 2019

पुस्तक समीक्षा- दिदिया

दिदिया- लघुकथा-संग्रह (डॉ पूरन सिंह)
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डॉ पूरन सिंह जी आज साहित्य जगत में परिचय के मोहताज नहीं हैं। देश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में उनकी कहानियाँ, कवितायें और लघुकथाएँ प्रकाशित होती रहीं हैं। मैं पिछले कई वर्षों से उनका पाठक हूँ । अक्सर मुलाक़ात होती रहती है । जब मेरे पास समय नहीं रहता तब फोन पर ही संपर्क बना रहता है । वे मेरे अच्छे मित्र भी हैं और अच्छे इंसान भी । रिश्तों को बहुत ही दिल से निभाते हैं ।
दिदिया- लघुकथा-संग्रह में कुल इकसठ लघुकथाएँ हैं । इस संग्रह की सबसे उल्लेखनीय बात है कि यह लघुकथा –संग्रह उन्होने अपनी बहिन को समर्पित किया है । पुस्तक का आत्मकथन बहुत ही भावुक करने वाला है। मित्रों का भी आभार व्यक्त किया है और मित्रों की राय भी मांगी है ।
वर्तमान में लघुकथा बहुत प्रचलित विधा है। अनेक लोगों ने अपने अनुसार अपनी-अपनी परिभाषाएँ भी दी हैं । मेरा मानना है कि जो लघुकथा पाठक को चिकोटी काट दे, जिसे पढ़ने पर मुँह खुला का खुला रह जाये और पाठक अवाक रह जाय...सन्न रह जाये..... इस तरह मानवीय हृदय की संवेदना को झंकृत कर दे वह कामयाब लघुकथा है। वे उम्र में मुझसे बड़े हैं। बहुत जगह छपते भी हैं इसलिए मैं उनका अनुज हूँ । लेकिन मैं एक पाठक हूँ अतः अपनी प्रतिक्रिया बतौर एक पाठक के ही रखना पसंद करूँगा।
“मेकअप” :- एक ऐसी लघुकथा है जहाँ एक मॉडर्न महिला शोक में जाते समय भी सफ़ेद साड़ी, सफ़ेद सेंडिल का मैचप करके जाती है ...मेकअप करके जाती है। यह विद्रूपता लेखक को ही नहीं बल्कि आमजन के हृदय को क्रोध से भर देती है । लेखक इस भाव को और नई पैदा होती सामाजिक बुराई पर कड़ी चोट करने में सक्षम हैं।
“हार-जीत” : प्रेम में बलिदान का बहुत बड़ा महत्व होता है। जीवन में प्रेम एक-दूसरे के बलिदान पर ही टिका होता है। एक युवक अपनी प्रेमिका के लिए जानबूझकर परीक्षा में फेल हो जाता है ताकि वह अपनी साथी के साथ रह सके । यूं तो यह बात खटकती है कि कोई मूर्ख ही ऐसा कर सकता है। मगर मैं मानता हूँ कि समझदार लोग प्यार कम गणित ज्यादा लगाते हैं और अक्सर परेशान रहते हैं। घटना बहुत साधारण है लेकिन उसमें निहित प्रेम ही इस कहानी की जान है।
“बचा लो उसे” : एक बहिन का सर्वोच्च बलिदान । किसी भी स्त्री की आबरू उसके लिए सबसे अहम होती है। अगर एक बहिन अपने भाई के ईलाज के लिए अपने सर्वस्व को सौंप दे तब उस बहिन को हम कुलटा कहेंगे या देवी ? उस पर भी अगर दैहिक सौंदर्य का पिपासु उस स्त्री के साथ कुछ न करके उसके भाई का सारा ईलाज खर्च अदा करे तब उसे हम क्या कहेंगे? बिना देह को स्पर्श करने पर अगर स्त्री पैसा वापिस कर दे तब उस मर्यादा को क्या कहेंगे? ऐसे ही कई सवाल मन में इस लघुकथा ने उठा दिये हैं। जिसमें त्याग ही त्याग की उच्च भावना है तो दूसरी तरफ मानवीयता भी है उस व्यक्ति की जिसने देह भी हासिल नहीं की और पूरे ईलाज का बिल भी चुकाया। हालांकि आजकल ऐसा होना मुमकिन नहीं लगता किन्तु फिर भी जिस भावना में डॉ पूरन सिंह जी ने पाठक को गोते लगवाए हैं वह प्रशंसनीय है।
“पगड़ी” :- एक माँ के सम्मान की कथा है । एक माँ ने अपने बच्चे को पालपोसकर शादी लायक किया पिता के न रहने पर । जब रिश्ते का समय आया तब पगड़ी किस के सिर बंधे यह सवाल खड़ा हो गया । लड़के ने अपनी माँ को तरजीह दी और उसके सिर पर पगड़ी बांधने को कहा । रिश्ता नहीं हो सका । लड़की का बाप कहता है, “चलो भाइयो, मुझे ऐसे घर में शादी नहीं करनी है जहाँ लुगाई मालकिन हो।“ कैसी विडम्बना है कि आज का समाज औरत के उस रूप और परिश्रम को नहीं देखता जहाँ एक महिला न सिर्फ अपनी औलाद को पालती है बल्कि बाप के सारे फर्ज़ भी निभाती है । ये कथा नारीवादी सोच का बहुत सुंदर प्रयोग है । समाज में इस स्त्री-पुरुष की गैरबराबरी पर बहुत गहरी चोट करती है।
“परजीवी” :- एक लेखक महोदय अपनी पुस्तक “परजीवी” लेकर लेखक के पास पहुँचे । बातों-बातों में लेखक के काम धंधे के विषय में पूछा तब उन्होने कहा,”मेरी पत्नी काम करती है और वहीं मेरी कविताओं को छपवाती है।“
पुस्तक का शीर्षक सार्थक हो गया। यह विडम्बना है कि कवि महोदय स्वयं परजीवी के अर्थ को समझ नहीं पाये थे । स्त्री किस प्रकार उस पुरुष को पति मानती होगी जो इस तरह अपनी पत्नी पर बोझ हो और कविता जैसी बौद्धिक प्रक्रिया में संलग्न हो, क्या सचमुच ऐसा व्यक्ति कवि कहलाने लायक है ? वह तो परजीवी ही हो सकता है । शीर्षक को सार्थक करती हुई लघुकथा है।
सबसे बड़ी बात किसी भी कथाकार में जो होनी चाहिए वह है मानवीयता और मानवीय गुणों का विस्तार देने वाली सोच। डॉ पूरन सिंह जी अपनी दलित विमर्श की कथाओं के लिए जाने जाते हैं। उन्हें अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित भी किया गया है । हिन्दी अकादमी दिल्ली द्वारा उनकी कहानी “नरेसा की अम्मा उर्फ भजोरिया” का मंचन भी दिल्ली में हो चुका है । उनकी कई रचनाओं का अनेक प्रादेशिक भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। इस सब को जानते हुए भी मैं कहना चाहूँगा कि कुछ रचनाएँ अभी और तीखी हो सकती थीं । रंदा कसाई की जरूरत है। मित्र हूँ, पाठक हूँ और शुभचिंतक होने के नाते यह मेरा दायित्व भी है कि जो मुझे खटका उसको संप्रेषित भी करूँ। यह एक साथी लेखक का और मित्र का धर्म है।
अंत में यही कहूँगा कि नारीमन को समझने का जो हृदय डॉ पूरन सिंह जी के पास है वह बहुत कम रचनाकारों में होता है। लघुकथाएँ कहीं भी जटिल नहीं हैं और अपना उद्देश्य बहुत ही सरलता से प्राप्त करते हुए पाठक के मन में सवाल पैदा करने और निराकारण देने में सक्षम हैं।

समीक्षक- शब्द मसीहा
पुस्तक : दिदिया- लघुकथा-संग्रह (डॉ पूरन सिंह)
प्रकाशक : के बी एस प्रकाशन , दिल्ली 
पेज : 112
मूल्य : 200.00 रुपये

गुरुवार, 15 अगस्त 2019

स्वतंत्रता दिवस पर कवियों की हुंकार 15 August 2019 vol 3

रक्षा बंधन पर विशेष।लाल बिहारी लाल Hmtv live

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गीत हमारा हिंदुस्तान। lal bihari lal Hmtv live

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मंगलवार, 2 जुलाई 2019

पत्रकारिता के लिए लाल बिहारी लाल को "काव्य सृजन महिला मंच" ने किया सम्मानित





पत्रकारिता के लिए आपका मित्र लाल बिहारी लाल को सम्मानित किया गया ।

पत्रकारिता के लिए लाल बिहारी लाल को "काव्य सृजन महिला मंच" ने किया सम्मानित





पत्रकारिता के लिए आपका मित्र लाल बिहारी लाल को सम्मानित किया गया ।

पत्रकारिता के लिए आपका मित्र लाल बिहारी लाल को सम्मानित किया गया ।

बुधवार, 24 अप्रैल 2019

लाल बिहारी लाल का लिखा गीत संतोष कुमार ने गाया जोगिया


लाल बिहारी लाल का लिखा गीत संतोष कुमार ने गाया जोगिया  



सोनू गुप्ता
नई दिल्ली । हिन्दी औऱ भोजपुरी के लोकप्रिय गीतकार कवि,लेखक एवं पत्रकार लाल बिहारी लाल का लिखा हुआ गीत जोगिया संतोष कुमार की  आवाज में प्रज्ञा म्यूजिक कं. प्रा.लि. से रिलीज हुआ। आज देश में सामाजिक  भाईचारा तार- तार हो रहा है ऐसे में पुरानी धरोहर को तरोताजा करने का काम लाल बिहारी लाल ने जोगिया के माध्यमसे किया है । लाल बिहारी लाल का लिखा हुआ विशेष गीत मैं भी चौकीदार हूं हाल ही में आदि श्री  भोजपुरी फिल्मस से दिलीप कुशवाहा दिलजले की आवाज में आया । कुशवाहा की आवाज में ही एक चईता गीत भौजी के चुआता पसीना आया है वही प्रज्ञा म्यूजिक से हीरा पाठक की आवाज में लाग जाई लुह आया है।     श्री लाल के लोक गीत हाल ही में महान म्यूजिक कंपनी से सिन्टू प्रेमी की आवाज में ओढ़निया वाली अईह आया है वही नवरातें में माता का भजन अविनाष सिंह की आवाज में मोर मईया हई सुकुमार हो.. आया है । श्री लाल के लिखे गीत पिछले दिनो हेमराज एवं संध्या संगम की आवाज में मेरा मरद माना किया है आया था। सन 2019  में अभी तक 5 होली  गीत सहित दर्जनों लोक गीत एवं विशेष गीत रिलीज हो चुके है। श्री लाल के भोजपुरी गीत क्रांति बिहार के दो विश्वविद्यालयों के बी.ए. तथा एम.ए. पाठ्यक्रम  में शामिल है। इनकी  रचनाये देश कके विभिन्न पत्र –पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती है।


लाल बिहारी लाल का लिखा गीत मैं भी चौकीदार हूं रिलीज हुआ



लाल बिहारी लाल का लिखा गीत दिलीप कुशवाहा ने  गाया मैं भी चौकीदार हूं


सोनू गुप्ता
नई दिल्ली । हिन्दी औऱ भोजपुरी के लोकप्रिय गीतकार लाल बिहारी लाल का लिखा हुआ गीत मैं भी चौकीदार हूं दिलीप कुशवाहा दिलजले की आवाज में आदि श्री भोजपुरी फिल्मस से रिलीज हुआ। एक तरफ जहां देश में मैं भी चौकीदार हूं का कैंपेन भाजपा के पी.एम नरेन्द्र  मोदी द्वारा चलाया जा रहा है । इसी कड़ी को लाल बिहारी लाल ने आगे बढ़ाया है और भोजपुरी में लुखा है मैं भी चौकीदार हूं । लाल बिहारी लाल का लिखा हुआ लोक गीत हाल ही में महान म्यूजिक कंपनी से सिन्टू प्रेमी की आवाज में ओढ़निया वाली अईह आया है वही नवरातें में  माता का भजन अविनाश सिंह की आवाज में मोर मईया हई सुकुमार हो.. आया है । श्री लाल के लिखे गीत पिछले दिनो हेमराज एवं संध्या संगम की आवाज में मेरा मरद माना किया है आया था। सन 2019  में अभी तक 5 होली  गीत सहित दर्जनों गीत रिलीज हो चुके है।


गुरुवार, 21 फ़रवरी 2019

सुपर हिट होली सॉन्ग 2019//singer sandheya sangam





पारिवारिक होली गीत आपके मित्र  लाल बिहारी लाल का  लिखा हुआ जिसमें स्वर  दिया है  संध्या संगम  नेे और  जारी किया है। महान'   म्यूजििक कंपनी ने। असलील के विरुद्ध चल रहे अभियान को बढ़ावा  देने के लिए इसे जरुर सुने।औऱ अपना प्यार दे।


मंगलवार, 19 फ़रवरी 2019

प्रज्ञा म्यूजिक द्वारा सरस्वती पूजा पर रंगारंग कार्यक्रम आयोजित


प्रज्ञा म्यूजिक द्वारा सरस्वती पूजा पर रंगारंग कार्यक्रम आयोजित



सोनू गुप्ता
 
नई दिल्ली। प्रज्ञा म्यूजिक कंपनी  के प्रो. कुमार पंकज द्वारा  सरस्वती पूजा के अवसर पर एक  भव्य रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन हंगामा म्यूजिकल ग्रुप के सहयोग से  कामना एवं कल्पना एपार्टमेंट , वैशाली सेक्टर -5 गाजियाबाद  में किया गया। इस कार्यक्रम में लोक गायक हीरा पाठक, धीरज कुमार , रेनू कश्यप ने अपनी गायिकी से समां बांधा वही झांकी का जिम्मा  दीपक-प्रिंस आर्ट ग्रुप द्वारा कई सुंदर –सुंदर झांकियों का प्रदर्शन किया गया। डब्बू बावंरा मटकावाले ने भी अपनी मटका के माध्यम से कई कामेडी प्रस्तुत की। संगीत पर  वादक के रुप में हरीश, सुनिल,मोनू एव अनिल सहयोग कर रहे थे।  इसके अलावे गीतकार  मोहित माशुम ,लाल बिहारी लाल एंव मुन्ना जी मौयूद थे। इस कार्यक्रम एंव पूजा को सफल बनाने में शुक्ला जी, सक्सेना जी एवं तिवारी जी का अहम रोल रहा। इस कार्क्रम का आनंद सैकड़ो लोगों ने उठाया।

संत रवि दास जयंती पर विशेष(कविता/गीत)

संत रवि दास जयंती पर विशेष(कविता/गीत)


लाल बिहारी लाल

माघ महीना रहे ,पूर्णिमा के दिन
अइले रैदास एतवरवे के दिन
चौदह सौ तैंतींस रहे शुभ उ दिन
धन –धन धऱती भइली पाके नामचीन
माघ महीना रहे.....

जात-पात ,भेद-भाव से रहले उ दूर
कल्याण करे से उ भइले मशहूर
समय से करस काम ,खातिर होखे खूब
कबीर के गुरू बना के,कइले अजब खूब
कठौती में गंगा ,ले अइले  एक दिन
माघ  महीना रहे..........

मीरा बाई देत रहली , गुरू के जइसन मान
धीरे-धीरे बढल उनकर, दुनिया मेम सम्मान
लाल बिहारी लाल केतना करस अब  बखान
दिलीप कुशवाहा नीत-नीत  आवेले उ गान
माघ महीना रहे.......


लाल बिहारी लाल,नई दिल्ली-44
फोन - 7042663073