बुधवार, 25 जुलाई 2018

लाल बिहारी लाल के दर्द भरे गीत-टूटे दिल की आवाज हुए रिकार्ड्स



प्रज्ञा म्यूजिक कंपनी से बहुत जल्द बाजार में लाल बिहारी लाल के दर्द भरे गीत-टूटे दिल की आवाज 




सोनू गुप्ता
नई दिल्ली। कवि,लेखक एंव पत्रकार तथा समाजसेवी लाल बिहारी लाल के दर्द भरे भरे गीत टूटे दिल की आवाज  प्रज्ञा म्यूजिक कंपनी से पंकज कुमार के निर्देशन में राज किशोर की आवाज में रिकार्ड हुआ है। इसमे गुलगुल जी ने भी काफी सहयोग किया है। लाल के हाल ही में दो भोजपुरी लोक गीत आर.एन. फिल्मस् एंड मीडिया कंपनी द्वारा रिकार्डस हुआ है।  पहले गीत के बोल है- पिया निरमोही,बलम निरमोही तथा दूसरे गीत के बोल है- अब त घरे आजा बालमा...।जिसे स्वर दिया है लोक गायिक कंचन प्रिया ने।  इन गीतों में एक गीत यू ट्युब पर पिया निरमोही,बलम निरमोही  नाम से जारी(रिलीज) कर दिया गया है दूसरा अब त घरे आजा बालमा पर एडिटिंग का काम तेजी से चल रहा है जो बहुत जल्द रिलीज होने वाला है।
     लाल बिहारी लाल का हाल ही में इससे पहले भोजपुरी कांवर भजन देवघर में भेंट होई ए जान रिलीज हुआ है।मैया अंबे को जोच जगा के रिलीज हुआ है जिसमें स्वर दिया है लोक गायक राज किशोर तथा चेद्रसेखर पोजी ने ने। इससे पहले लाल बिहारी लाल टी.सीरीज, एच.एम.वी , वीनस, यू.की. रामा, मैक्स, सोनूटेक, चंदा सहित दर्जनों कंपनियों के खातिर दर्जनों गायक गायिकाओं के लिए सैकड़ों गीत लिख चुके हैं। इनके लिखे कई गीत नब्बे के दशक में काफी हीट हुए जो आज भी बाजारों में खूब चल (बजे) रहे हैं। इनके लिखे हुए गीतों को  गाने वालों में- तारा बानो फैजाबादी,शायरा बानो फैजावादी,नरेन्द्र सागर,संजय प्रभाकर, रमायण सिंह राकेट,सरिता साज,शर्मिला पांडे,जय राम जुल्मी राज किशोर,कंचन प्रिया, रेखा रानी, वही हिंदी में मो. शफी कुरैसी,हेमा ध्यानी, आदि ने गाया है। इनकी भोजपुरी कविता-क्रांति बिहार के मगध ओपेन विश्वविद्यालय के एम ए और अंबेडकर  बिहार विश्वविद्यालय के बी.ए. के पाठ्यक्रम में भी शामिल है। इन्हें भोजपुरी एवं हिंदी साहित्य सेवा के लिए दर्जनों सम्मान मिल चुके है। भोजपुरी भाषा पर गायक मनोज लहरी की आवाज में भी एक गीत बहुत जल्द रिकार्ड होने वाली है। जिसमें संगीत दे रहे है.अशोक निर्मल जी ने।


शुक्रवार, 20 जुलाई 2018

आदमी हूँ आदमी से प्यार करता हूं के लेखक-गोपालदास नीरज जी नहीं रहे


महाकवि गोपालदास नीरज के गीतों का कारवां सदा के लिए थम गया

लाल बिहारी लाल


हिंदी के महाकवि गोपालदास नीरज का  जन्म 4 जनवरी 1925 को उ.प्र.के इटावा जिला के पुरावरी गांव में हुआ था। इनका बचपन काफी मुफलिसी में बिता । शुरु में गंगा मैया में चढ़ाये जाने वाले 5 या 10 पैसे को नदी से एकत्र कर जीवन यापन होता था। इस मुफलिसी ने उन्हें गीतकार बना दिया। धीरे धीरे इनकी रचनाये विभिन्न मंचो पर वाहवाही लूटने लगी। इनकी रचनाये जनमानस को सीधे छू जाती थी। जो आज  भी इनकी रचनायें कालजयी है।
   गोपालदास "नीरज" कुछ फिल्मों के लिए भी गीत लिखा जो अपने जमाने में काफी लोकप्रिय हुए औऱ आज भी हिंदी प्रेमी के मन मषतिष्क पर दर्ज है।
वो हम न थे,वो तुम न थे/ शोखियों में घोला जाये पूलो का शबाब/ स्वप्न झरे फूल से,गीत चुभे शूल से/ लिखे जो खत तुझे/ ऐ भाई जरा देख के चलो/दिल आज शायर है/जीवन की बगिया महकेगी/मेघा छाये आधी रात/खिलते हैं गुल यहाँ/फूलो के रंग से/रंगिला रे तेरे रंग में/ मेरो सैंया/ रादा ने माला जपी श्याम की/देखती ही रहो आज तुम दरपन/गुलाबी फूल रेशमी उजाला है/मखमली अंधेरा काल का/कहता है जोकर सारा जमाना/आदमी हूँ आदमी से प्यार करता हूँ आदि।
  उन्हें फिल्मो के लिए लगातार तीन साल फिल्म फेयर एवार्ड मिला। सन 1970 में गीत –काल का पहिया घूमे रे भइया, फिल्म चंदा और बिजली,  1971 में बस यही अपराध मैं हर बार करता हूं, फिल्म पहचान के लिए तथा 1972 में गीत-ए भाई जरा देख के चलो फिल्म मेरा नाम जोकर के लिए।
   इन्होने कुछ मुक्तक तो कुछ हाइकू भी लिखा एक हाइकू- जन्म मरण,समय के गति के,हैं दो चरण । इनकी कुछ रचनाये  बच्चो पर भी है - हम बच्चे हैं तो क्या? कुछ विद्वानो ने इनके बारे में अलग अलग विचार दिये हैं- कोई इन्हें अश्वघोष कहा तो कोई इन्हें संत फकीर वही दिनकर जी ने इन्हें हिंदी के वीणा मानते थे।
इनकी प्रकाशित कुछ पुस्तकों में कालानुसार-
संघर्ष (1944),    अन्तर्ध्वनि (1946),    विभावरी (1948),    प्राणगीत (1951),    दर्द  दिया है (1956),    बादर बरस गयो (1957),    मुक्तकी (1958),    दो गीत (1958), नीरज की पाती (1958),    गीत भी अगीत भी (1959),    आसावरी (1963),   नदी किनारे (1963), लहर पुकारे (1963),    कारवाँ गुजर गया (1964),    फिर दीप जलेगा (1970),  तुम्हारे लिये (1972),  नीरज की गीतिकाएँ (1987) आदि।
      नीरज जी को अब तक कई पुरस्कार  सम्मान प्राप्त हो चुके हैंजिनमें –विश्व उर्दू परिषद् पुरस्कार,    पद्म श्री सम्मान (1991), भारत सरकार ,   यश भारती  एंव एक लाख  रुपये का पुरस्कार (1994), उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थानलखनऊ द्वारा पद्धम भूषण
 सम्मान (2007), भारत सरकार द्वारा।
 19 जुलाई 2018 को फेफड़े में संक्रम के कारण  इस वीणा के तार की झंकार सदा सदा के लिए खामोश हो गया।

लेखक-लाल कला मंच के सचिव एवं वरिष्ठ साहित्यकार है
               



मंगलवार, 17 जुलाई 2018

भिखारी ठाकुर के पुण्यतिथि पर राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन


भिखारी ठाकुर के पुण्यतिथि पर जय भोजपुरी जय भोजपुरिया के बैनर तले राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन
लाल बिहारी लाल

नई दिल्ली। जय भोजपुरी जय भोजपुरिया परिवार के द्वारा भोजपुरी के शेक्सपियर के नाव से ख्यातिप्राप्त भिखारी ठाकुर के पुण्यतिथी पर 15 जुलाई, 2018 के गाँधी शान्ति प्रतिष्ठान के सभागार में राष्ट्रीय भोजपुरी कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया । लव कुमार सिंह का मंच संचालन काबिले तारीफ था । दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारम्भ हुआ और संस्था के अध्यक्ष श्री सतीश कुमार त्रिपाठी जी जय भोजपुरी जय भोजपुरिया के अब तक के सफर  की कहानी प्रकाश डाला कि एक भोजपुरी  प्रेमी नवजवान गणेश नाथ तिवारी "श्रीकरपुरी" के द्वारा गठित वाट्सएप समुह कम समय मे ही संस्था के रूप में बदल गया, श्रोता के सामने रखा। केशव मोहन पाण्डेय की कविता "आजुवो भरमावे वाला, भरमावता गौरैया के" से कवि सम्मेलन का आगाज़ हुवा, जे पी द्विवेदी के गीत "पियउ कवने अफतीया अझुराइल बाड़" दर्शको के ताली बजाने पर मजबुर किया । डॉ पुष्पा सिंह बिसेन जी की कविता " मुठी भर आतंकी के बल पर, उत्पाती मचवले बाड़" श्रोताओं में जोश भर दिया  । नई पौध विबेक पाण्डेय की कविता "लागल प्रेम के बेमारी, मिलल आधुनिक नारी" श्रोताओं के चेहरा पर हंसी बिखेर दिया । जलज कुमार अनुपम की कविता "हउवे पहचान हमनीके जान" सुन के गर्व से सीना चौड़ा हो गया । पँडित राजीव की कविता "हम हई भोजपुरी पाठा" डॉ प्रमोद पूरी की "हम गरीब हमार चिन्ता, दु जून जे निवाला बा", दिलीप पैनाली जी की कविता" काहें केहू के केहु बढ़ाई" श्रोताओं की मंत्रमुग्ध कर दिया । तारकेश्वर राय जी की कविता "बड़ी याद आवेले मोरे गउवां के गलियां" श्रोताओं मानस में गांव की याद को तरोताजा कर दिया । लव कान्त सिंह की कविता "पहिले जइसन अब आपन गावँ ना रहल" श्रोताओं की तालियाँ बटोरी । गणेश नाथ तिवारी श्रीकरपुरी की "बेटी बचाई, बेटी पढ़ाई" आधी आबादी को बचाने की समय सामयिक कविता ने सबका मन मोह लिया । सजंय कुमार ओझा जी की हास्य कविता सभागार में उपस्थित लोग को खुल कर हँसने  पर बाध्य किया । रामप्रकाश तिवारी की कविता "एगो हँसी ख़ातिर वक़्त नइखे" बर्तमान समाज प कटाक्ष भी श्रोताओं को अच्छी लगी। बिनोद गिरी के सावन गीत श्रोताओं को लोकगीत के प्रति लगाव को बढ़ाया और खूब तालियाँ बटोरी। इसके अलावा इस कवि सम्मेलन में नवजागरण प्रकाशन के राज कुमार अनुरागी, बिख्यात रंगकर्मी महेन्द्र प्रसाद सिंह, डॉ मुन्ना पाण्डेय, पत्रकार, साहित्यकार, लाल बिहारी लाल ने माई पर मार्मिक कविता माई के ममता पढ़ी जो काफी मार्मिक था गाजियाबाद से सुनील सिन्हा, सन्तोष कुमार "सरस", अनूप श्रीवास्तव, बी एम उपाध्याय,डा. राजेश माँझी मुन्ना पाठक आदि महानुभावओं ने अपनी कविता से माईभाषा के सम्मान में चार चाँद लगाया । बहूत ख़ुशी और गौरव के बात की खाली सोसल मीडिया के निमंत्रण पर सुदूर गाँव, महानगर, विदेशो से भी श्रोता कार्यक्रम में उपस्थित हुए। गांधी प्रतिष्ठान का सभागार दर्शको से भर गया, भीषण उमस और गरमी के बावजूद भोजपुरी के प्रति अपनी नेह देख कर लगा की भोजपुरी के प्रति जनमानस के मन मे प्यार है जरूरत है  इसे सही दिशा देने की। इस कवि सम्मेलन में हर उम्र  के लोगों का साथ, आधी आबादी की अच्छी उपस्थिति उत्साहजनक रही। नई पीढ़ी भी उपस्थित तो रही ही जमी रहे पूरे कार्यक्रम के दौरान ।


बुधवार, 4 जुलाई 2018

लाल बिहारी लाल के दो क गीत हुए रिकार्ड्स


आर.एन.फिल्मस् एंड मीडिया कंपनी से बहुत जल्द बाजार में



सोनू गुप्ता
नई दिल्ली। कवि,लेखक एंव पत्रकार तथा समाजसेवी लाल बिहारी लाल के दो  भोजपुरी लोक गीत आर.एन. फिल्मस् एंड मीडिया कंपनी द्वारा रिकार्डस हुआ है।  पहले गीत के बोल है- पिया निरमोही,बलम निरमोही तथा दूसरे गीत के बोल है- अब त घरे आजा बालमा...।जिसे स्वर दिया है लोक गायिक कंचन प्रिया ने।  इन गीतों को इसी नाम से अलग अलग यू. ट्यूब पर बहुत जल्द ही जारी किया जायेगा।
     लाल बिहारी लाल का हाल ही में भोजपुरी कांवर भजन देवघर में भेंट होई ए जान रिलीज हुआ है। जिसमें स्वर दिया है लोक गायक राज किशोर ने। इससे पहले लाल बिहारी लाल टी.सीरीज, एच.एम.वी , वीनस, यू.की. रामा, मैक्स, सोनूटेक, चंदा सहित दर्जनों कंपनियों खातिर दर्जनों गायक गायिकाओं के लिए सैकड़ों गीत लिख चुके हैं। इनके लिखे कई गीत नब्बे के दशक में काफी हीट हुए जो आज भी बाजारों में खूब चल रहे हैं। इनके लिखे हुए गीतों को  गाने वालों में- तारा बानो फैजाबादी,शायरा बानो फैजावादी,नरेन्द्र सागर,संजय प्रभाकर, रमायण सिंह राकेट,सरिता साज,शर्मिला पांडे,जय राम जुल्मी राज किशोर,कंचन प्रिया, रेखा रानी वही हिंदी में मो. सफी कुरैसी,हेमा ध्यानी, आदि ने गाया है। इनकी भोजपुरी कविता-क्रांति बिहार के मगध ओपेन विश्वविद्यालय के एम ए और अंबेडकर  बिहार विश्वविद्यालय के बी.ए. के पाठ्यक्रम में भी शामिल है। इन्हें भोजपुरी एवं हिंदी साहित्य सेवा के लिए कई सम्मान मिल चुके है। भोजपुरी भाषा पर गायक मनोज लहरी से बातचीत चल रही है। जो बहुत जल्द वो भी बाजार में आयेगा।