मंगलवार, 7 मार्च 2023

 विश्व पुस्तक मेला में लाल बिहारी लाल की पुस्तक संग्रह महंगी रोटी हुई लोकार्पित


सोनू गुप्ता



नई दिल्ली। दिल्ली स्थित प्रगति मैदान में आयोजित विश्व पुस्तक मेला में नवजागरण प्रकाशन के स्टाँल पर कवि,लेखक एवं गीतकार सह साहित्य टी.वी. के संपादक लाल बिहारी लाल की लिखी हुई आजादी के अमृत महोत्सव पर 75 कविताओं का संग्रह महंगी रोटी का लोकार्पण- अंबेडकर फाउंडेशन के एडिटर सुधीर हिल्सयान, जामिया विश्वविद्यालय के हिंदी अधिकारी डा. राजेश मांझी,लोक सभा सचिवालय के एडिटर रण विजय राव,लेखक लाल बिहारी लाल,प्रकाशक राजकुमार अनुरागी,लेखिका प्रेम लता मुरार,मुम्बई से पधारे वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार हरिश पाठक,लेखिका डा. संदेश रायपुरकार तथा लेखक अनिल मासूम ने किया।

  लाल बिहारी लाल पिछले दो दशक से साहित्य सेवा में सक्रिय है। उन्होंने 5 सहयोगी संकलन संपादित कर चुके है तथा 2017 से 2022 तक लगातार बदरपुर डायरेक्ट्री का भी संपादन किया है। वर्तमान में साहित्य टी.वी. के माध्यम से साहित्य सेवा में लगे हुए हैं।इनकी कवितायें,गीत विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित होते रहती है।इनके लिखे सैकड़ों गीत विभिन्न संगीत कंपनियों से बाजार में उपलब्ध है। हाल ही में संगीता वर्मा की आवाज में होली गीत आया है।

शुक्रवार, 13 जनवरी 2023

लाल बिहारी लाल विश्व हिंदी दिवस पर हिंदी सेवी सम्मान से सम्मानित

 लाल बिहारी लाल  विश्व हिंदी दिवस पर हिंदी सेवी सम्मान से सम्मानित




 

सोनू गुप्ता
 
++++देश के विभिन्न प्रांतो से 51 हिंदी सेवी सम्मानित++
 
 
 
नई दिल्ली। हिंदी की सेवा में दशकों से लगी देश की जानी मानी  संस्था जैमिनी अकादमी ,पानीपत द्वारा  विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर देश के विभिन्न क्षेत्रों से दिल्ली के लाल बिहारी लाल सहित  51 हिंदी के वरिष्ठ विभूतियों को डिजीटल रुप  हिंदी सेवी सम्मान से सम्मानित किया गया है। संस्था के अध्यक्ष ड़ा. विजेन्द्र जैमिनी ने बताया कि आजकल करोना काल में फिजीकल के बजाये डिजीटल सम्मान दिया गया है।
    लाल बिहारी लाल पिछले दो दशक से हिदी सेवी के रुप में काफी योगदान दिया है। पत्रकार एंव गीतकार लाल बिहारी लाल को देश की कई संस्थाये विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित कर चुकी है। उनमें पर्य़ावरण प्रहरी,शब्द साधक, राष्ट्र गौरव, दिल्ली रत्न, राष्ट्रभाषा संरक्षक आदि ।  इनके गीतों को  मानविता मिडिया, टी. सारीज, रामा, मैक,मैक्स, यू.की., लाचो,सुरताल भारत महान म्यूजिक,प्रज्ञा म्यूजिक सहित देश के सभी संगीत कंपनियों के लिए सकड़ो गीत लिख चुके है। इनके दर्जनों गीत हिंदी और भोजपुरी में यू. ट्यूब पर भी विभिन्न गायक ,गायिकाओं के स्वर में उपलब्ध है। इनके कई गीत बहुत जल्द आने वाले हैं। इनकी कविता क्रान्ति बिहार के दो विश्वविद्यालयों में पढ़ायी जाती है।

 
 

शनिवार, 22 अक्तूबर 2022

दीपावाली पर खुशियाँ ग्रीन पटाखों से ही मनायें और जीवन बचायें

 दीपावाली पर खुशियाँ ग्रीन पटाखों से ही  मनायें  और जीवन बचायें

 
लाल बिहारी लाल
 
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साधारण पटाखों से निकलने वाली गैसों में सल्फर डाई आंक्साइड-जिससे ,गले एवं छाती में संक्रमण, श्वसन में परेशानी,कारबन मोनो आक्साइड –खाँसी, त्वचा में परेशानी, उच्च रक्त चाप, मानसिक एवं हृदय की बिमारियाँ उतपन्न, पोटेशियम नाइट्रेट जो  कैंसर के मुख्य वजह है. हाइड्रोजन सल्फाइड जो  छाती में दिक्कत, ब्रोमियम आक्साइट  आँखों की त्वचा  तथा गंध सूघने की क्षमता का नष्ट कर देता है। इसेक साथ ही उच्च शोर से मानव क कान को पर्दे भी फट सकते है।
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नई दिल्ली। भगवान राम चंद्र कई दुर्दांत राक्षसों का वध कर वनवास से अयोध्या वापस  आये तो इसी खुशियों को मनाने के लिए पूरी अयोध्या को दीपों से सजाया गया था जो कलांतर में दीपावली का रुप ले लिया। पर धीरे-धीरे  खुशियाँ मनाने का तरीका बदल गया और आज हर मौसम या हर खुशी में पटाखों  को सुमार कर लिया गया है। बढ़ती हुई आबादी और घटते हुए वन ने पर्यावरण पर काफी दबाब बढ़ा दिया  है, ऐसे में इस मौसम में अन्य मौसम की तुलना में हवायें काफी प्रदूषित होती है उपर से पटाखो का शोर और धुआं जीवों के लिए काफी हानिकारक साबित हो रही है। इसी को ध्यान में रखकर कई पर्यावरण संस्थानों के सुझाव पर सुप्रीम कोर्ट ने 7 अक्टूबर 2017 को देश में दीपावाली पर ग्रीन पटाखे को जलाने के लिए इजाजत दी थी यानी साधारण पटाखों पर बैन लगा दिया गया साथ ही साथ जलाने के समय सीमा भी रात्री में 8 बजे से 10 बजे निर्धारित कर दी औऱ यही प्रावधान वर्ष  2018,2019 भें भी लागू रहा । वर्ष 2020 मे करोना के कारण कुछ मौसम परिस्थितियाँ अनुकुल नही था पर पर्यावरण में काफी सुधार हुआ। वर्ष 2021 मे धीरे –धीरे सभी क्रिया कलाप पटरी पर लौट आई । वर्ष 2021 में दीपावली पर सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीन पटाखे ही जलाने की इजाजत दी है और  अधिकारियों पर जिम्मेदारी भी तय कर दी है।
  इस वर्ष संस्कृति की दुहाई देकर माननीय सांसद मनोज तिवारी छूट के लिए सुप्रीम कोर्ट गये थे पर छूट नहीं मिली।माननीय जज एम आऱ शाह की बेंच ने फटकार लगाते हुए कहा कि कि आप भी दिल्ली और एन.सी.आर में रह कर इस तरह की बात कर रहे है। इन्होने ये भी कहा कि दिल्ली एन.सी.आर में दीवाली पर पटाखों पर बैन रहेगी 2 जनवरी 2023 तक वही देश के अन्य हिस्सों में पहले की तरह जारी रहेगा यानी ग्रीन पटाखे जलाने की इजाजत रहेगी। यह एक सकारात्मक पहल  है पर यह तभी संभव है जब जनता जागरुक हो और सरकार का हाथ बटाये वरना पटाखों के इस जलन से जीव संकट में आ जायेंगे। ।

  बात करते है ग्रीन पटाखों की तो दुनिया में चीन को बाद भारत दूसरे पायदान पर निर्माता(उत्पादक) के रुप में जाना जाता है। पटाखो के घटक में से अल्युमुनियम, बेरियम  पोटेशियम नाइट्रेट तथा कार्बन की मात्रा कम या बिल्कुल नगन्य कर दी जाती है तो यही पटाखे ग्रीन पटाखे कहलाती है। इन पटाखों से  वातावरण में 30-40% गैसे कम उत्यर्जित होती है जिससें वाताररण में 30-40 प्रतिशत  प्रदूषण कम फैलते हैं। इन पटाखो का निर्माण राष्ट्रीय पर्यावरण अभियंत्रिकी संस्थान (NEERI/निरी),पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संस्थान(PESO/पेसो) के सहयोग से सी.एस. आई. आऱ. ने बनाया है। इन्हीं के फर्मूला का उपयोग अन्य पटाखा उत्पादक कंपनिया करती है जिन पर इको/ग्रीन पटाखे का लोगो होता है। साधारण पटाखों से निकलने वाली गैसों में सल्फर डाई आंक्साइड-जिससे ,गले एवं छाती में संक्रमण, श्वसन में परेशानी,कारबन मोनो आक्साइड –खाँसी, त्वचा में परेशानी, उच्च रक्त चाप, मानसिक एवं हृदय की बिमारियाँ उतपन्न, पोटेशियम नाइट्रेट जो  कैंसर के मुख्य वजह है. हाइड्रोजन सल्फाइड जो  छाती में दिक्कत, ब्रोमियम आक्साइट  आँखों की त्वचा  तथा गंध सूघने की क्षमता का नष्ट कर देता है। इसेक साथ ही उच्च शोर से मानव क कान को पर्दे भी फट सकते है। पटाखों के जलाने से बच्चें मानव बृद्ध के साथ-साथ पर्यावरण के अन्य जीव जन्तुओं पर भी इसका असर पड़ता है। जिससे जीवों पर संकट उत्पन्न हो गया है। अतः सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सराहनीय है। अब मानव को भी आगे आना होगा कोर्ट को इस कदम से कदम  मिलाना होगा तभी इस संकट स निजात मिल सकती है। वरना जीवों का जीना दुभर हो जायेगा। और मानव खुशियों की आड़ में अपना गला खुद घोंट लेगा।
 
लेखक- पर्यावरण प्रेमी एवं  साहित्य टी.वी. के संपादक है।
 

रविवार, 17 जुलाई 2022

खनकती आवाजों की मल्लिका बनी- अभिलिप्सा पांडा

 हर-हर शंभू ,शिव महादेवा वाइरल एलबम की गायिका


लाल बिहारी लाल




नई दिल्ली। उड़िया ,तेलगु के रास्ते हिंदी भजन में कैरियर की शुरुआत करने वाली खनकती आवाजों की मल्लिका अभिलिप्सा पांडा का जन्म ब्राह्मण परिवार में सन 2001 में उड़िसा के बारबिल गांव  जिला क्योझोर में हुआ था।

  अभिलिप्सा पांडा को संगीत विरासत में इनके दादा से मिला है जो  अपने ज़माने में हारमोनियम बजाने के लिए प्रसिद्ध थे। अभिलिप्सा का कहना है की पहली बार उनकी माताजी ने उन्हें गायत्री मन्त्र के जरिये संगीत से जोड़ा था जब वो एल.के.जी कक्षा में  केवल 4 वर्ष की थी। तभी से उड़ीसी क्लासिकल वोकल सीखना शुरू कर दिए था। लेकिन कुछ कारण वश उन्हें विराम देना पड़ा।

   अभिलिप्सा ने 2015 में द्रौपदी देवी कल्चरल इंस्टिट्यूट से हिंदुस्तानी वोकल सीखना शुरू किया। जब वह सिख रही थी तभी उनके गुरु ने उनसे पूछा कि क्या वह एक बच्चो के गाने को अपनी आवाज़ देंगी, तो इस पर अभिलिप्सा ने हाँ कर दी और इस प्रकार उन्होंने सिंगिंग इंडस्ट्री में पहला कदम रखा। साल 2017 – 18 में उन्होंने हिंदुस्तानी क्लासिकल वोकल में गवर्नर्स ट्रॉफी भी हासिल की। अभिलिप्सा ने एक ओड़िआ रियलिटी शो, उड़ीसा सुपर सिंगर में भी भाग लिया है। कुछ समय बाद ओडिसा सुपर सिंगर के निर्माताओं ने अभिलिप्सा की एक वीडियो क्लिप अलग- अलग सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दी। यह क्लिप जीतू शर्मा ने देखा,जो काफी पसंद आया औऱ फिर उन्होंने अभिलिप्सा के साथ हर हर शम्भू गाना गया जो संस्कृत मिक्स है और इसका संगीत दिया है युवा संगीतकार  आकाश देव ने। जो 5 मई 2022 को यू ट्यूब पर चढ़ाया गया है और इतना तेजी से दर्शको के बीच लोकप्रिय हुआ है कि आज लगभग दो महिने में 70 मिलियन से ज्यादा लोगो ने देखा है। इसके बाद दो गीत  मंजिल केदारनाथ और  भोले नाथ जी भी आये हैं जिसे दर्शकों ने काफी पसंद किया है। आशा है  अभिलिप्सा अपने गायिकी कैरियर को एक नया मुकाम तक ले जायेंगी।

युवा कवयित्री डाँ.आशा सिंह सिकरवार भोपाल में हुई सम्मानित

 युवा कवयित्री डाँ.आशा सिंह सिकरवार भोपाल में हुई सम्मानित 


लाल बिहारी लाल



नई दिल्ली । साहित्यिक संस्था निर्दलीय का 49 वां वार्षिकोत्सव सह साहित्योत्सव गांधी भवन,  भोपाल में  आयोजित किया गया । जिसकी  अद्य़क्षता साहित्यकार एवं निर्दलीय के सलाहकार श्री राजेन्द्र शर्मा अक्षर ने की मुख्य अतिथि मध्य प्रदेश के प्रथम चिकित्सा विश्वविद्यालय, जबलपुर के पूर्व कुलपति, डाँ.त्रिभुवन नाथ दुबे ,तथा अति विशिष्ट एवं विशिष्ट अतिथियों में सुश्री मेधा पाटकर, डाॅ.पवन कुमार भड़कतया जैन ( जबलपुर ),पूर्व मंत्री श्री दीपक जोशी एवं  श्री रमेश सिंह राघव (दिल्ली),श्री नीलकंठ राव यावलकर (अमरावती)श्री दयाराम नामदेव (सचिव-गांधी भवन न्यास ),श्री राजेश व्यास (सह सभापति-राज्य बार काउंसिल),श्री अब्दुल अज़ीज़ सिद्दकी (लखनऊ )श्री रमेश नंद ( वरिष्ठ कवि)एवं श्री शैलेश शुक्ला (पत्रकार) दुर्गा मिश्रा आदि कार्यक्रम में उपस्थित रहे । 


   राष्ट्रीय पुष्पेंद्र कविता सम्मान स्व. डाँ. रामघुलाम वैश्य रघु पूर्व दंत चिकित्साविशेषज्ञ की स्मृति में  श्री पुष्पेंद्र वैश्य श्रीमती कविता वैश्य, भोपाल द्वारा अहमदाबाद स्थित डाँ. आशा सिंह सिकरवार  को राष्ट्रीय शिखर सम्मान से सम्मानित किया गया । इश असर पर 11 प्रांतों के  प्रतिष्ठित 58 सृजनधर्मियों को स्मानित किया गया। डाँ . आशा सिंह सिकरवार को अनेक पुरस्कार और सम्मान पहले भी प्राप्त हुए हैं । हाल ही में गुजरात विश्वविद्यालय अहमदाबाद के नये पाठयक्रम में  स्त्री विमर्श में ' उस औरत के बारे में 'काव्य संग्रह से  रचनाएँ शामिल हुई हैं ।   वे मुख्यधारा की महत्वपूर्ण कवयित्री में अपना विशिष्ट स्थान रखती हैं । आशा सिंह सिकरवार की लेखनी  ने कविता के अतिरिक्त ग़ज़ल, कहानी की  विधा को  अपनाया है । वे एक समीक्षक के रूप में में भी ख्याति प्राप्त हैं । उनकी अनेक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं उन्हें देश विदेश की समस्त संस्थाओं द्वारा पुरस्कार एवं सम्मानित  भी किया जा चुका है ।

बढ़ती जनसंख्या विकास में बाधक है इसे रोकना जरुरी

विश्व जनसंख्या दिवस पर विशेष (11जुलाई )

बढ़ती जनसंख्या विकास में बाधक है इसे रोकना जरुरी है

लाल बिहारी लाल

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आज जनसंख्या रोकने के लिए सबको शिक्षा होनी चाहिये जिससे इसे कम करने में मदद मिलेगी शिक्षा के साथ-साथ जागरुकता की सख्त जरुरत है ताकि देश उनन्ति के मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ सके । वर्ष 2021 में असम सरकार इस ओर सख्त पहल की है और उ.प्र. सरकार भी आज जनसंख्या स्थिरिकरण के लिए अनेक मसौदा जारी कर दी है। 

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सन 1987 में विश्व की जनसंख्या 5 अरब को पार गई तभी से सारी दुनिया में जनसंख्या रोकने के लिए जागरुकता की शुरुआत के क्रम में 1987 से हर वर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाते आ रहे हैं। इसका मुख्य उदेश्य बढ़ती जनसंख्या से उत्पन्न खतरों के प्रति आमजन के बीच में जागरुकता फैलाना है ताकि जनसंख्या निय़ंत्रण में आसानी हो। 

     आज सारी दुनिया की 90% आबादी इसके 10% भाग में निवास करती है।विश्व की आबादी कही 11-50/वर्ग कि.मी. है तो कही 200 वर्ग कि.मी.है।जनसंख्या वृद्धि के कई कारण है जो जनसंख्या वृद्धि को प्रभावित करते हैं।उनमें भौगोलिक,आर्थिक एवं सामाजिक तथा सांस्कृतिक कारक प्रमुख है।भोगोलिक कारकों में मुख्य रुप से मीठे एवं सुलभ जल की उलब्धता, समतल एवं सपाट भूआकृति, अनुकुल जलवायु ,फसल युक्त उपजाऊ मिट्टी आदी  प्रमुख है।

आर्थिक कारकों में खनिज तत्व की उपलब्धता के कारण औद्योगिकरण तथा इसके फलस्वरुप शहरीकरण क्योंकि आधुनिक युग में स्वास्थ्य ,शिक्षा,परिवहन,बिजली तथा पानी आदी की समुचित उपलब्धता के कारण औद्योगिक कल-कारखाने में काम करने के लिए कर्मचारियो की जरुरत को कारण यहा की आबादी सघन होते जा रही है। इसके अलावे भी सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिवेश उतरदायी है। उक्त कारकों  के अलावे जनसंख्या वृद्दि दर भी आज काफी है।पृथ्वी पर जनसंख्या आज 700 करोड़ से भी ज्यादा है। इस आकार तक जनसंख्या को पहूँचने में शताब्दियां लगी है।आरंभिक कालों में विश्व की जनसंख्या धीरे-धीरे बढ़ी। यानी 1 अरब तक पहुँचने में 2,00,000 साल लगे वही 1 अरब से 7 अरब पहुँतने में मात्र 200 साल लगे। 

     विगत कुछ सौ बर्षों के दौरान ही जनसंख्या आश्चर्य दर से बढ़ी है। पहली शताब्दी में जनसंख्या 30 करोड़ से कम थी। 16वी.एवं 17वी शताब्दी में औद्योगिक क्रांति के बाद तीब्र गति से जनसंख्या की वृद्दि हुई और सन 1750 तक 55 करोड़ हो गई। सन 1804 में 1 अरब,1927 में 2 अरब ,1960 में 3 अरब,1974 में 4 अरब तथा 1087 में 5 अरब हो गई और 7.78 अरब से ज्यादा हो गई है। । विगत 500वर्षों में प्रारंभिक एक करोड़ की जनसंख्या होने में 10 लाख से भी अधिक वर्ष लगे परन्तु 5 अरब से 6 अरब होने में 1987 से12 अक्टूबर 1999 तक मात्र 12 साल लगे। इसी तरह 31 अक्टूबर 2011 को 7 अरब हो गई। आज विश्व की जनसंख्या मार्च 2019 तक 7 अरब 53 करोड के आस पास थी। परन्तु 10 जुलाई 2022 को संध्या 4 बजे तक विश्व की जनसंख्या 7,97,65,99,776 थी।

   भारत आज 120 (139) करोड़ से अधिक आबादी के साथ चीन(1अरब 45करोड़ ) के बाद दूसरे नंबर पर है अगर इसी रफ्तार से भारत की जनसंख्या बढ़ती रही तो वह दिन दूर नहीं जब भारत 2025 में चीन को पीछा छोड़कर आबादी के मामलों में सारी दुनिया में  नंबर वन हो जायेगा। चिंता की बात है कि जहां 1951 में हिंदूओं की प्रतिशत संख्या लगभग 85 थी जो 2011 में 80 प्रतिशत के आस पास रह गई जबकि 1951 में मुस्लिमों की आबादी लगभग 10 प्रतिशत थी तो 2011 में लगभग 15 प्रतिशत हो गई। जबकि भूमि के मामले में भारत विश्व का 2.5% है और आबादी लगभग 17-18 % है। इस जनसंख्या विस्फोट से समाजिक ढ़ाचा परिवहन,शिक्षा स्वास्थ्य, बिजली , पानी आदी की मात्रा सीमित है जो समस्या बनेगी। इससे प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव बढ़ेगा और अनेक समस्याय़े खड़ी हो जायेगी। जिससे देश में सामाजिक ढाचा छिन्न-भिन्न(असहज) होने की संभावना बढ़ेगी। अतः आज जनसंख्या रोकने के लिए सबको शिक्षा होनी चाहिये जिससे इसे कम करने में मदद मिलेगी शिक्षा के साथ-साथ जागरुकता की सख्त जरुरत है ताकि देश उनन्ति के मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ सके । वर्ष 2021 में असम सरकार इस ओर सख्त पहल की है और वर्ष 2021में उ.प्र. सरकार भी विश्व जनसंख्या दिवस पर जनसंख्या स्थिरिकरण के लिए ड्राफ्ट जारी कर दी  है जिस पर सुझाव एवं आपतियाँ आमंत्रित की गई है। बढ़ती हुई जनसंख्या विकास में बाधक हो रही है इसे रोकना जरुरी है।

लेखक –पर्यावरण प्रेमी औऱ साहित्य टी.वी के संपादक है।

रविवार, 26 जून 2022

काव्य संकलन मणि की किरण का हुआ लोकार्पण

 मणि की किरण का लोकार्पण संपन्न

                   लाल बिहारी लाल      






 नई दिल्ली  ।  दिल्ली मेट्रों के डी सी पी जितेंद्र मणि द्वारा रचित पुस्तक ”, मणि की किरन,” जो कि एक काव्य संग्रह है और उनकी धर्मपत्नी स्वर्गीय किरण मणि त्रिपाठी को समर्पित है का अनावरण माननीय आयुक्त महोदय दिल्ली पुलिस श्री राकेश अस्थाना , श्री दीपक मिश्रा सेवानिवृत्त आईपीएस पूर्व एसडीजी सीआरपीएफ , श्री सुधांशु त्रिवेदी माननीय सांसद  ,श्री राम मोहन मिश्र  सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी एवम पूर्व सचिव भारत सरकार, श्रीमती नुज़्हत हसन विशेष आयुक्त दिल्ली पुलिस एवं श्री  अमरेंद्र खटुआ  आई एफ एस पूर्व सचिव भारत सरकार के कर कमलों द्वारा एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर मे संपन्न हुआ   ,इस कार्यक्रम में अन्य गणमान्य अतिथियों  में श्री वीरेन्द्र सिंह चहल  विशेष आयुक्त दिल्ली पुलिस, श्री दीपेंद्र पाठक विशेष आयुक्त पुलिस, श्री मधुप तिवारी  विशेष आयुक्त दिल्ली पुलिस, श्री संजय सिंह विशेष आयुक्त दिल्ली, श्री संजय शुक्ला  आइएफएस सचिव इंडियन जू सोसाइटी, डॉ आलोक मिश्रा  ज्वाइंट सेक्रेटरी अखिल भारतीय विश्विद्यालय संघ, csc सी एस सी  दिल्ली मेट्रो , श्री शुवशेष चौधरी, ए डी सी पी रजनीश गुप्ता, डी सी पी रेलवे  श्री हरेंद्र कुमार सिंह  डी सी पी आई जी आई  तनु शर्मा, ब्रदर सुनिल शर्मा श्री आलोक यादव ज्योति मिश्रा राका विक्रम के पोरवाल रजनीश गर्ग अन्येष राय  सतीश तिवारी विवेक कुमार मिश्रा, संतोष मिश्रा ,रूपा सिंह आदित्य मणि प्रवीण बंसल, राहुल बंसल, प्रेम नाथ द्विवेदी  प्रसिद्ध शायर आदिल राशीद ,आचार्य शैलेश तिवारी  श्री अरूण सिन्हा ज्वाइंट सेक्रेटरी भारत सरकार सहित कई गणमान्य अतिथियों ने भाग लिया, सभी मंच पर बैठे अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित करके कार्यक्रम की शुरुआत की एवम पुस्तक का विमोचन किया , पुस्तक की समीक्षा श्री लक्ष्मी शंकर वाजपेई पूर्व एडीजी ऑल इंडिया रेडियो, श्रीमती अलका सिंह एवम नरेश शांडिल्य जी ने किया मंच संचालन  डॉ ज्योति ओझा  जी ने किया और पुस्तक का प्रकाशन  हिंदी सहोदरी की मुख्य संयोजक श्री  जय कान्त मिश्रा  जी ने किया । 

                इस अवसर पर  हास्य कवि श्री शंभू शिखर ने अपने काव्य पाठ से लोगो को गुदगुदाया सभी ने पुलिस विभाग ने होते हुए भी जितेंद्र मणि के संवेदनशीलता  ,अपनी पत्नी को विषय बना कर लिखी कविताओं  एवम काव्य प्रतिभा की भूरि भूरि प्रशंसा की ,पुलिस आयुक्त दिल्ली महोदय ने कहा कि पत्नी के असमय छोड़ की चले जाने की बाद जितेंद्र मणि की कार्य कुशलता में कोई कमी नही आई है और ये पूरी तत्परता और कार्य कुशलता से पुलिस सेवा कर रहें है। इस पुस्तक के आमदनी का कैंसर पीड़ितों पर खर्च किया जायेगा। यह पुस्तक फ्लिप कार्ट पर भी उपलब्ध है।