शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2020

सरल सहज ब्यक्तित्व के लाल- लाल बिहारी लालःडा पूरन सिंह

 सरल सहज ब्यक्तित्व के लाल- लाल बिहारी लालःडा पूरन सिंह

 




 नई  दिल्ली। लाल बिहारी लाल जी से मेरी मुलाकात हम सब साथ-साथ के कार्यकारी संपादक श्री किशोर श्रीवास्तव जी के माध्यम से हुई। जैसा ब्यक्तित्व श्री किशोर श्रीवास्तव जी का है उन्होने अपने ही ब्यक्तित्व जैसे ब्यक्ति से मिलवा दिया । जब तक मैं नहीं मिला था श्री लाल साहेब से तब तक कुछ और छवि थी मेरे मन में उनके लिए लेकिन जब मिला तो उसके विपरीत भोला-भाला,मासूम-सा,सीधा-साधा, रहन-सहन साधारण से लिवास में छिपी अनुठी प्रतिभा का मैं कायल हो गया। मुझे खुशी हुई कि साहित्य जगत में कोई साहित्य सृजक भी है,नहीं तो साहित्य सृजन की भूमि पर उर्वरक कम विध्वंसक ज्यादा हैं जो अपने ही लेखन पर  अभिमान को है। और  ये किसी को भी कुछ नहीं समझते। लाल साहेब में ऐसा कुछ भी नहीं लगा। स्वाभिमानी और दृढ निश्चयी लाल साहब सभी को स्नेह एवं सम्मान देने वाले सशक्त ब्यकति हैं। मुझे लगता हैं उनसे कुछ सीखा जा सकता है। कितनी तत्परता से और सहजता से वे अपने आप को साहित्य के प्रति समर्पित कर सभी के दिलो में अपना स्थान बना लेते हैं।
     वे न सिर्फ लेखक ही है बल्कि  समाजसेवी भी हैं। उन्होने न केवल हिन्दी साहित्य में ही बल्कि भोजपरी साहित्य में भी अपना स्थान बनाया है। टिलिबिजन हो या रेडियो, प्रिंट मीडिया हो या इलेक्ट्रोनिक मिडीया,उनकी दोनो पर ही बेहतरीन पकड है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में ,साहित्य सृजन करने के साथ-साथ  वे आडियो कैसेट्स के माध्यम से भोजपुरी मनोरंजन जगत में  भी छाए हुए हैं।
    कला, संस्कृति एवं सामाजिक चेतना मंच के लिए दृढ संकल्प रखने वाले लाल साहब की रचनाओं को जब पढता हूँ तो सहज भाव से लिखी गई उनकी रचनाएं मन में अन्दर तक बैठ जाती है। विभिन्न पत्र पत्रिकाओ के ब्यूरो प्रमुख होने के साथ-साथ वह विभिन्न पुरस्कारों  से लवरेज भी हैं। उनकी साहित्यिक साधना यूं ही बनी रहे यही चाहता हूँ।और ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि भविष्य में  भी उचाईंयों और साहित्य शिखर पर बढते रहे। उन्हें सादर प्रणाम ।

                            सहायक निदेशक,कृषि मंत्रालय,भारत सरकार