शुक्रवार, 29 दिसंबर 2017

लाल बिहारी लाल“काव्य गौरव”सम्मान से सम्मानित

मोवाइल न्यूज 24 द्वारा लाल बिहारी लाल काव्य-गौरव सम्मान से सम्मानित
– सोनू गुप्ता

नई दिल्ली। पोर्टल न्यूज चैनल मोबाइल न्यूज 24 डाँट काँम (www.mobilenews24.com) द्वारा स्टार न्यूज एजेंसी के दिल्ली ब्यूरो चीफ, लाल कला मंच के सचिव पर्यावरण प्रेमी एवं दिल्ली रत्न लाल बिहारी लाल को नव वर्ष पर आयोजित काव्य पाठ के लिए काव्य-गौरव सम्मान से चैनल के मुख्य संपादक सह निदेशक नीरज नरुका एंव वरिष्ठ साहित्यकार शिव प्रभाकर ओझा द्वारा सम्मानित किया गया। नव वर्ष के शुभ अवसर पर आयोजित इस काव्य पाठ में लाल विहारी लाल सहित गिरिराज शर्मा गिरीश तथा शिव प्रभाकर ओझा ने भी भाग लिया और उन्हें भी काव्य-गौरव सम्मान से वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार लाल बिहारी लाल तथा नीरज नरुका द्वारा सम्मानित किया गय़ा। इस कार्यक्रम का प्रसारण यू ट्यूब एवं मोबाइल न्यूज 24 डाँट काँम पर 31 दिसंबर 2017 को मध्य रात्रि में किया गया।
 लाल बिहारी लाल को इससे पहले भी साहित्य एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनिय योगदान के लिए दर्जनों पुरस्कार मिल चुके हैं। इनकी भोजपुरी कविता क्रांति विहार के दो विश्वविद्यालयों में बी.ए. तथा एम.ए. के पाठ्यक्रम में शामिल है। श्री लाल अभी तक 6 पुस्तको का संपादन भी कर चुके हैं। औऱ इनकी रचनाएँ देश के विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में अवरत प्रकाशित होती रहती है।आशा है लाल नये साल पर भी अपनी लेखन जारी रखेगे।



गुरुवार, 28 दिसंबर 2017

(ब्यंग्य कविता/गीत)

नववर्ष पर नेता जी के चुनावी घोषणा पत्र 

लाल बिहारी लाल

 

दीजिये वोट सरकार हम बनायेंगे

मिल बांट)2 फिफ्टी-फिफ्टी दोनो जन खायेंगे

दीजिये वोट सरकार हम बनायेंगे...

 

घर-घर घुम प्रचार हम करेगे

उनसे बढ़िया हम काम करेगे

युवाओं के खातिर रोजगार हम बढ़ायेंगे

दीजिये वोट सरकार हम बनायेंगे...

 

भ्रूण हत्या हो चाहे महिला सुरक्षा

नियम कानून सबसे लायेंगे अच्छा

कुर्सी को वरना हम यहीं छोड़ जायेगे

दीजिये वोट सरकार हम बनायेंगे...

 

जन-जन की बात पर काम होगा अपना

युवा बे-रोजगार को दिखायेंगे हम सपना

भारत को छोड़ नवभारत हम बनायेंगे

दीजिये वोट सरकार हम बनायेंगे...

 

कालाधन, नोटबंदी,जी.एस.टी ले आयेंगे

आज के नेता लाल बिहारी को बुलायेंगे

अब तक ना जो हुआ वही करवायेंगे

दीजिये वोट सरकार हम बनायेंगे...

 

सचिव-लाल कला मंच,नई दिल्ली

 



मंगलवार, 19 दिसंबर 2017

संस्कार भारती गाजियाबाद ने अन्हरिया में हलचल शुरु की

संस्कार भारती गाजियाबाद ने अन्हरिया में हलचल शुरु की

लाल बिहारी लाल



गाजियाबाद।  संस्कार भारती की मासिक संगोष्ठी मे भोजपुरी के शलाका पुरुष आचार्य पाण्डेय कपिल के श्रद्धांजलि दी गई। इस अवसर पर संस्कार भारती के जे.पी. द्विवेदी, मुख्य अतिथि पूर्वाञ्चल भोजपुरी महासभा के अध्यक्ष अशोक श्रीवास्तव और भोजपुरी कवि मनोज भावुक सहित दर्जनों साहित्य प्रेमियों ने  आचार्य पाण्डेय के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर हिन्दी और भोजपुरी के मिलन रुपी  संगम यादगार बन गया। आने वाले 25 दिसंबर को भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेयी और महामना मदन मोहन मालवीय जी के  जन्मदिन भी कवियो द्वारा मनाने की बात हुई। कवि जयशंकर प्रसाद द्विवेदी आचार्य पाण्डेय कपिल के व्यक्तित्व आ कृतित्व पर अपनी बात रखी और भोजपुरी गीत “अन्हरिया मे हलचल भइल” से अटल जी और महामना मालवीय जी के आपन काव्यांजलि दी । गोष्ठी मे करीब दो दर्जन कवियों ने अपनी-अपनी काव्य सरिता मे सभी को सराबोर किया।

    कवि मनोज भावुक आचार्य पाण्डेय कपिल के साथ अपने अनेक संस्मरणों की चर्चा की । उनके “जीभ बेचारी का करी “आचार्य पाण्डेय कपिल को आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी  के समकक्ष बतलाया । उसके बाद अपनी गजल “तनि तनि” से सभी श्रोताओं का मन मोहनें मे सफल रहे । मुख्य अतिथि अशोक श्रीवास्तव जी अपने भोजपुरी गीत से सभी को गुदगुदाया । अंत मे गोष्ठी के अध्यक्ष  हिन्दी के वरिष्ठ कवि महेश सक्सेना जी अपने गीत और गजल से गोष्ठी को चरम पर पहुंचाया। गोष्ठी के सफल संचालन अदरणीया डॉ तारा गुप्ता अंत तक सभी श्रोताओं को बांधने में कामयाब रही। कूल मिला के संस्कार भारती की यह गोष्ठी बहुतों दिनों तक सभी के जेहन मे बसी रहेगी।




सोमवार, 18 दिसंबर 2017

10 दिसंबर मानव अधिकारों के जागरुकता का दिन

मानव अधिकार दिवस पर विशेष-

10 दिसंबर मानव अधिकारों के जागरुकता का दिन

लाल बिहारी लाल

नई दिल्ली। आज मानव के अधिकारों के संरक्षण का संवैधानिक दर्जा पूरी दुनिया प्राप्त है। मानव अधिकारों से अभिप्राय ''मौलिक अधिकारों एवं स्वतंत्रत से है जिसके सभी मानव प्राणी समान रुप से हकदार है। जिसमें स्वतंत्रता, समाजिक ,आर्थिक औऱ राजनैतिक रूप में देना है। जैसे कि जीवन और आजाद रहने का अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और कानून के सामने समानता एवं आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों के साथ ही साथ सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेने का अधिकार, भोजन का अधिकार, काम करने का अधिकार एवं शिक्षा का अधिकार।'' आदि शामिल है।
    मानवाधिकारों के इतिहास और इसकी चिंताओं को देखें तो सर्वप्रथम इसके बारे में हमें भारतीय वांग्मय में व्यापक तौर पर सामग्री मिलती है। दुनिया कि आदि ग्रंथ कहे जाने वाले सबसे प्राचीन ग्रंथों के रूप में मान्य वेदों में यह सर्वप्रथम दिखाई देते हैं। ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद से लेकर अथर्ववेद में अनेक ऋचाएं हैं, जो इस बात पर चिंता व्यक्त करती हैं कि व्यक्ति के स्वतंत्रता के अधिकार के साथ उसके बोलने की आजादी का संपूर्ण रूप से ख्याल रखा जाए। राज्य के स्तर पर या स्थानीय निकाय में प्रत्येक नागरिक कानूनी समानता, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों के स्तर पर एक समान हो। भारत में इन वैदिक ग्रंथों के बाद अन्य पौराणिक ग्रंथों, जातक कथाओं, अपने समय के कानूनी दस्तावेजों सहित धार्मिक और दार्शनिक पुस्तकों में ऐसी अनेक अवधारणाएं, नियम, सिद्धांत मिलते हैं जो यह सिद्ध करते हैं कि भारत में मानवाधिकार की चिंता शुरू से की जाती रही है।
   इसके बाद युरोप के देशों समेत दुनिया के तमाम देशों में किसी न किसी रूप में मानव के अधिकारों और उनके संरक्षण की बातें उठने लगीं। तो संयुक्त राष्ट्र संघ ने 10 दिसम्बर 1948 को मानव अधिकार की सार्वभौम घोषणा अंगीकार की ।इन प्रपत्रों को लगभग  विश्व के 380 भाषाओं में अनुवाद कराया गया जिसके कारण इस अधिनियम को गिनीज बुक आफ रिकार्ड में नाम दर्ज हुआ। और 4 दिसंबर 1950 से विधिवत इसे लागू भी कर दिया गया। जिसमें यह बात साफ तौर पर लिखी गई कि राष्ट्र के लोग यह विश्वास करते हैं कि कुछ ऐसे मानवाधिकार हैं जो कभी छीने नहीं जा सकते, मानव की गरिमा है और स्त्री-पुरुष के समान अधिकार हैं। इस घोषणा के परिणामस्वरूप विश्व के कई राष्ट्रों ने इन अधिकारों को अपने संविधान में शामिल करना आरंभ कर दिया।इशका लोगो 23 सितंबर 2011 को न्यूयार्क में जारी किया गया। इस अधिनियम से पूरी दुनिया में मानवहितों की रक्षा करने में काफी सहयोग मिला है।      
    भारत में इसका गठन 28 सितंबर 1993 को हुआ और 12 अक्टूबर 1993 से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग काम करना शुरु कर दिया। इसके अध्यक्ष(चेयरमैन) सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत जज होते हैं। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है। और इसके प्रथम चेयरमैन जस्टिस रंगनाथ मिश्रा थे वही वर्तमान में इसके चेयरमैन 29 फरवरी 2016 से जस्टिस एच.एल दतु हैं।
   भारत में मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा 21 में राज्य में मानवाधिकार आयोग गठन का प्रावधान है और सभी राज्यों में इस आयोग का गठन हो चुका है। इन आयोगों के वित्तीय भार का वहन राज्य सरकारों द्वारा किया जाता है। संबंधित राज्य का राज्यंपाल, अध्यक्ष तथा सदस्यों की नियुक्ति करता है। आयोग का मुख्यालय राज्य में कहीं भी हो सकता है। ''सन 1993 की धारा 21 (5) के तहत राज्य मानव अधिकार के हनन से संबंधित उन सभी मामलों की जांच कर सकता है, जिनका उल्लेख भारतीय संविधान की सूची में किया गया, वहीं धारा 36 (9) के अनुसार आयोग ऐसे किसी भी विषय की जांच नहीं करेगा, जो किसी राज्य आयोग अथवा अन्य आयोग के समक्ष विचाराधीन है। मानव के हीतो की रक्षा करना ही इस आयोग का मुख्य काम है जिसे संवैधानिक मानयता प्राप्त है। इस मानवहितों की रक्षा के उद्देश्यों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए हर साल पूरी दुनिया में 10 दिसंबर को विश्व  मानव अधिकार दिवस मनाते हैं।
(लेखक वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार हैं।)


सोमवार, 4 दिसंबर 2017

8 वां भोजपुरिया स्वाभिमान सम्मेलन पंजावर में आयोजित हुआ

वां भोजपुरिया स्वाभिमान सम्मेलन पंजावर में सम्पन्न
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लाल बिहारी लाल
 
 


नई दिल्ली। देश के प्रथम राष्ट्रपति व भोजपुरिया मांटी की आन-बान-शान के प्रतिक देशरत्न डाक्टर राजेन्द्र बाबू के जयंती के अवसर पर आखर परिवार के द्वार बिहार के सीवान जिले के रघुनाथपुर प्रखंड के  पंजवार में आयोजित किया गया।भोजपुरिया महाकुंभ के आठवां स्वाभिमान सम्मेलन का उद्घाटन बिहार पुलिस के महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडेय  ने दीप प्रज्वलित कर के किया तथा कार्यक्रम की शुरुआत प्रो. निरुपमा सिंह के द्वारा गाए गए मंगलचरण से हुआ । इस अवसर पर भोजपुरिया कैलेंडर का लोकार्पण डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय सहित अन्य अतिथियों के द्वारा किया गया ।  भोजपुरीया स्वाभिमान को बढानेवाले 12 महानुभावों के जीवन विवरण और चित्र इस  कैलेंडर के माध्यम से आखर परिवार ने प्रसारित किया है ।
          इस मौके पर मंच पर उपस्थित थे विधान पार्षद प्रो. विरेन्द्र नारायण यादवपूर्व पुलिस अधिकारी धूर्व गुप्तामोहन प्रसाद विद्यार्थीसौरभ पाण्डेयप्रोफेसर मुन्ना पाण्डेय सहित भोजपुरिया क्षेत्र के कई गणमान्य लोग उपस्थित थे । कार्यक्रम का संचालन संजय कुमार सिंह ने किया ।  इस मौके उपस्थित जन-समुह को संबोधित करते हुए श्री पाण्डेय ने कहा कि स्वाभिमान वहीं होता है जहां शौर्य व पुरूषार्थ रहता है । भोजपुरीया समाज में शौर्य व पुरूषार्थ दोनों है इस लिए ही सुदूर ग्रामीण अंचल में भोजपुरिया स्वाभिमान के नाम पर इतना बड़ा सम्मेलन आयोजित हो रहा है । उन्होंने कहा कि मैं एक भोजपुरिया हूँइस बात का मुझे हमेशा गुमान रहता है । डीजीपी ने कहा कि जो मनुष्य अपनी मातृभाषा व मातृभूमि से प्रेम नही करता वह मनुष्य के नाम पर कलंक है ।
      भोजपुरी स्वाभिमान सम्मेलन के मंच से  एक ओर जहां डीजीपी श्री पाण्डेय ने भोजपुरी भाषा,  साहित्य व संस्कृति के प्रति जमकर लोगों का उत्साहवर्धन किया वहीं इस मंच का उपयोग उन्होंने बिहार सरकार के शराबबंदी कानून का समर्थन , बाल विवाह का विरोध व दहेज के विरोध शुरू किए गए अभियान को भी अपने गीतों के माध्यम से किया । डीजीपी के इस खूबसूरत प्रयास को उपस्थित जन-समुह ने हाथों-हाथ लिया । लोगों के उत्साह का ही कारण रहा कि डीजीपी श्री पाण्डेय ने एक से बढ़कर एक भोजपुरी गीत प्रस्तुत कर के सरकार के शराबबंदी कानून के पक्ष में माहौल बनाया साथ ही साथ दहेज दानव के खिलाफ लोगों को जागरूक ही नही किया बल्कि उपस्थित जन-समुह , विशेषकर हजारों की संख्या में उपस्थित छात्र – छात्राओ को दहेज न लेने व न देने का संकल्प भी दिलाया।        
        रविवार को पंजवार में आयोजित भोजपुरिया स्वाभिमान सम्मेलन का शुभारंभ हर वर्ष की भांति भोजपुरिया गौरव यात्रा से हुआ । यह यात्रा विद्या मंदिर पुस्तकालय से शुरू होकर पुरा गांव भ्रमण करते हुए सम्मेलन स्थल पर पहुँचा। सम्मेलन में सैकड़ो की संख्या में स्कूली बच्चे व आखर परिवार के सदस्य शामिल थे । गौरव यात्रा लगभग तीन किलोमीटर लंबी थी ।           
        लोकलहरी की टीम ने एक से बढ़कर एक भोजपुरी गीत प्रस्तुत कर लोगों के बीच अपनी विशेष पहचान बना ली । टीम का निर्देशन काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की शोध छात्रा ऋचा वर्मा ने किया । इसके अलावे ब्यास भरत शर्मा का गायन सहित कई रंगारंग सांस्कृतिक कार्यों क्रमों का आयोजन किया गया। महेंद्र मिश्र की जीवनी पर आधारित नाटक "फूलसूंघी" का मंचन कस्तूरबा बालिका इंटर कॉलेज पंजवार की छात्राओं द्वारा प्रस्तुत किया गया । पांडेय कपिल द्वारा रचित उपन्यास का नाट्य रूपांतरण और निर्देशन संजय सिंह के द्वारा किया गया । कुल मिलाकर ग्रामिण अंचल में भोजपुरी की सुंगंध फैलाने में आखर परिवार सफल रहा।अंत में आखर के वरिष्ठ सदस्य ब्रजकिशोर तिवारी ने सबको धन्यवाद दिया । अगले साल पुनः मिलने मिलाने के साथ 8 वा सम्मेलन सम्पन्न हुआ ।

रविवार, 26 नवंबर 2017

नवांकुर साहित्य सभा द्वारा काव्य गोष्ठी एवं पुस्तक लोकार्पण लाल बिहारी लाल


नवांकुर साहित्य सभा द्वारा काव्य गोष्ठी एवं पुस्तक लोकार्पण

लाल बिहारी लाल


नई दिल्ली ।'नवांकुर साहित्य सभा' एवं 'दिल्ली पब्लिक लाईब्रेरी, के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित काव्य विधा के बहुत सुंदर और लोकप्रिय छंद ''महिया' पर विशेष 'युवा काव्य गोष्ठी' एवम रजनीगन्धा पुस्तक का विमोचन कल शाम दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी, पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के सामने में किया गया । मंचासीन अतिथि साहित्यकारों एवम कविगण में. श्री लक्ष्मीशंकर बाजपेयी जी (अध्यक्ष और वक्ता महिया छंद) ,. श्री अनिल मीत,. श्री मनोज अबोध ,,. श्री शैल भदावरी रहे । सभी अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित एवं पुष्प अर्पित करने के उपरान्त एटा से आये कवि डॉ प्रशांत देव के मधुर स्वर में सरस्वती वंदना हुई इसके उपरान्त काव्य पाठ आरम्भ हुआ !
काव्य गोष्ठी का संचालन हास्य कवि श्री गुड्डू शादीसुदा ने बहुत मोहक एवम लाजबाब अंदाज़ में किया । इस सुअवसर पर शब्दांकुर प्रकाशन द्वारा प्रकाशित एवं काली शंकर सौम्य एवं संजय कुमार गिरि द्वारा सम्पादित 24 कवियों द्वारा लिखी कविताओं का काव्य संग्रह "रजनीगंधा" पुस्तक का लोकार्पण भी किया गया !रजनीगन्धा पुस्तक में सम्मलित रचनाकारों के अलावा दिल्ली एन सी आर से आये लगभग 35 कवियों ने मंच से अपना शानदार काव्यपाठ भी किया जिनमें सर्वश्री नयन सिंह नयन ,इंद्रजीत कुमार ,मनोज मनमौजी ,उमेश निर्झर ,चरनजीत सिंह ,इब्राहीम अल्वी ,जगदीश मीणा ,ओम प्रकाश शुक्ल ,कल्पना शुक्ला ,बलराम निगम ,सरौज शर्मा ,रवि सरोहा ,सृजन शीतल , अनिमेष शर्मा ,आदि ।नवांकुर साहित्य सभा के अध्यक्ष श्री अशोक कश्यप एवं महासचिव श्री काली शंकर जी ने अतिथियों का स्वागत पुष्प माला एवम अंगवस्त्र पहना कर किया ।


सोमवार, 20 नवंबर 2017

भोजपुरी की ‘मैना’ मैनावती देवी की आवाज मौन हो गई

भोजपुरी की मैना मैनावती देवी की आवाज मौन हो गई

लाल बिहारी लाल
नई दिल्ली। भोजपुरी को पहचान दिलाने वाली, लोकगीतों से सामाजिक जीवन को मानव पटल पर उतारने वाली लोकगायिका मैनावती देवी  श्रीवास्तव का जन्म  बिहार के सिवान जिले की पचरूखी  में 1मई 1940 को हुई थी। पर  उन्होनें अपनी कर्मभूमि गोरखपुर को बनायी। उन्होनें लोकगायन की शुरूआत गोरखपुर से सन् 1974 में आकाशवाणी गोरखपुर की शुरूआत के साथ की। आकाशवाणी गोरखपुर की शुरूआत मैनावती देवी श्रीवास्तव के गीतों से ही हुई। उनके गीतों के बाद से ही भोजपुरी संस्कृति को एक अलग पहचान मिली। उन्होने लोक गीतों के संरक्षण ,संवर्धन एंव प्रचार प्रसार पर काफी काम किया।उन्होंने लोकपरंपरा के संस्कार गीतों को पिरोने का काम बा-खूबी किया। लोकपरंपरा में भारतीय सामाजिक परिवेश में रहन-सहन, जीवन-मरण से लेकर हर परिवेश को उन्होने बड़ी ही कुशलता से अपनी रचनाओं में भी उकेरा है। वह कवियत्री और लेखिका भी थी। प्रयाग संगीत समिति से संगीत प्रभाकर की डिग्री ली थी। म्यूजिक कंपोजर के रूप में आकाशवाणी में काम किया। साथ ही दूरदर्शन में भी उन्होने अपना अमूल्य योगदान दिया। इनकी गायिकी के विरासत को इनके पुत्र राकेश श्रीवास्तव भी आज देश दुनिया में बढ़ा रहे है।
     श्रीमती नैना देवी के प्रकाशित पुस्तको में 1977 में गांव के दो गीत(भोजपुरी गीत), श्री सरस्वती चालीसा, श्री चित्रगुप्त चालीसा, पपिहा सेवाती(भोजपुरी गीत), पुरखन के थाती(भोजपुरी पारंपरिक गीत), तथा  अप्रकाशित पुस्तकों में कचरस (भोजपुरी गीत), याद करे तेरी मैना(इछ  हदी गीत), चोर के दाढ़ी में तिनका (कविता)और बे घरनी घर भूत के डेरा(कहानी) जैसे अनमोल गीत समाज को दिया। सन् 1974 से लोकगायन की शुरूआत करने वाली मैनावती देवी को पहला सम्मान सन् 1981 में लोक कलाकार भिखारी ठाकुर के 94वें जन्मदिवस के अवसर पर बिहार में "भोजपुरी लोक साधिका" का सम्मान मिला। उसके बाद सन् 1994 में अखिल भारतीय भोजपुरी परिषद लखनऊ द्वारा "भोजपुरी शिरोमणि" का सम्मान ठुमरी गायिका गिरजा देवी के हाथों प्राप्त किया था। इसके बाद उन्हे अनेकों सम्मान प्राप्त किया उनमें भोजपुरी रत्न सम्मान, 2001 में भोजपूरी भूषण सम्मान , 2005 में नवरत्न सम्मान, 2006 में 2012 में लोकनायक भिखारी ठाकुर सम्मान, लाइफ टाइम एचिवमेन्ट अवार्ड तथा गोरखपुर गौरव जैसे सम्मान से नवाजा गया। उन्हे कोई राजकीय सम्मान नहीं मिला फिर भी भोजपुरी की सेवा में रात दिन अंतिम सांस तक  लगी रही। ऐसे महान भोजपुरी सेवी को शत शत नमन है।
*लेखक-भोजपुरी के जानेमाने गीतकार हैं।
फोन -7042663073या 9868163073



रविवार, 12 नवंबर 2017

बाल दिवस पर लाल बिहारी लाल के कुछ दोहे

बाल दिवस पर लाल बिहारी लाल के कुछ दोहे



दशरथ पिता नहीं रहे, कहां मिलेंगे राम।
रिश्ते भी अब नेट पर, ढूढ़े मिले तमाम।1

पढना लाल भूल गये, संस्कारों की बात।
कौन उन्हें समझाये,आज भला यह बात।2

बाल साहित्यकार भी,हो गये आज स्यान।
लाल भी अब ठीक-ठीक, कैसे पाये ज्ञान।3

बाल साहित्य में छुपा, दुनिया भर का ज्ञान।
ठीक-ठीक जो पढ़ लिया,उस घर का कल्याण।4

लाल-लाल अब ना रहा बन गया आज बाप।
खोद रहा खुद की कबर,देखों अपने आप।5

लाल कहां अब जा रहा, देखो आज इंसान।
आज इसे यही रोको,जन-जन दो अब ध्यान।6

सचिव –लाल कला मंच, नई दिल्ली
फोन-7042663073