सोमवार, 20 नवंबर 2017

भोजपुरी की ‘मैना’ मैनावती देवी की आवाज मौन हो गई

भोजपुरी की मैना मैनावती देवी की आवाज मौन हो गई

लाल बिहारी लाल
नई दिल्ली। भोजपुरी को पहचान दिलाने वाली, लोकगीतों से सामाजिक जीवन को मानव पटल पर उतारने वाली लोकगायिका मैनावती देवी  श्रीवास्तव का जन्म  बिहार के सिवान जिले की पचरूखी  में 1मई 1940 को हुई थी। पर  उन्होनें अपनी कर्मभूमि गोरखपुर को बनायी। उन्होनें लोकगायन की शुरूआत गोरखपुर से सन् 1974 में आकाशवाणी गोरखपुर की शुरूआत के साथ की। आकाशवाणी गोरखपुर की शुरूआत मैनावती देवी श्रीवास्तव के गीतों से ही हुई। उनके गीतों के बाद से ही भोजपुरी संस्कृति को एक अलग पहचान मिली। उन्होने लोक गीतों के संरक्षण ,संवर्धन एंव प्रचार प्रसार पर काफी काम किया।उन्होंने लोकपरंपरा के संस्कार गीतों को पिरोने का काम बा-खूबी किया। लोकपरंपरा में भारतीय सामाजिक परिवेश में रहन-सहन, जीवन-मरण से लेकर हर परिवेश को उन्होने बड़ी ही कुशलता से अपनी रचनाओं में भी उकेरा है। वह कवियत्री और लेखिका भी थी। प्रयाग संगीत समिति से संगीत प्रभाकर की डिग्री ली थी। म्यूजिक कंपोजर के रूप में आकाशवाणी में काम किया। साथ ही दूरदर्शन में भी उन्होने अपना अमूल्य योगदान दिया। इनकी गायिकी के विरासत को इनके पुत्र राकेश श्रीवास्तव भी आज देश दुनिया में बढ़ा रहे है।
     श्रीमती नैना देवी के प्रकाशित पुस्तको में 1977 में गांव के दो गीत(भोजपुरी गीत), श्री सरस्वती चालीसा, श्री चित्रगुप्त चालीसा, पपिहा सेवाती(भोजपुरी गीत), पुरखन के थाती(भोजपुरी पारंपरिक गीत), तथा  अप्रकाशित पुस्तकों में कचरस (भोजपुरी गीत), याद करे तेरी मैना(इछ  हदी गीत), चोर के दाढ़ी में तिनका (कविता)और बे घरनी घर भूत के डेरा(कहानी) जैसे अनमोल गीत समाज को दिया। सन् 1974 से लोकगायन की शुरूआत करने वाली मैनावती देवी को पहला सम्मान सन् 1981 में लोक कलाकार भिखारी ठाकुर के 94वें जन्मदिवस के अवसर पर बिहार में "भोजपुरी लोक साधिका" का सम्मान मिला। उसके बाद सन् 1994 में अखिल भारतीय भोजपुरी परिषद लखनऊ द्वारा "भोजपुरी शिरोमणि" का सम्मान ठुमरी गायिका गिरजा देवी के हाथों प्राप्त किया था। इसके बाद उन्हे अनेकों सम्मान प्राप्त किया उनमें भोजपुरी रत्न सम्मान, 2001 में भोजपूरी भूषण सम्मान , 2005 में नवरत्न सम्मान, 2006 में 2012 में लोकनायक भिखारी ठाकुर सम्मान, लाइफ टाइम एचिवमेन्ट अवार्ड तथा गोरखपुर गौरव जैसे सम्मान से नवाजा गया। उन्हे कोई राजकीय सम्मान नहीं मिला फिर भी भोजपुरी की सेवा में रात दिन अंतिम सांस तक  लगी रही। ऐसे महान भोजपुरी सेवी को शत शत नमन है।
*लेखक-भोजपुरी के जानेमाने गीतकार हैं।
फोन -7042663073या 9868163073



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