माँ पर कुछ दोहा
लाल बिहारी लाल
माँ जीवन की सार है, माँ है तो संसार।
माँ बिन लाल जीवन ,समझो है बेकार।1।
माँ की ममता धरा पर, सबसे है अनमोल।
माँ जिसने भूला दिया,सब कुछ उसका गोल।2।
माँ सम कोई गुरु नहीं,मिले इस संसार।
गुरु का जो मान रखा,नैया उसका पार।3।
माँ के दूध का कर्ज, चुका न पाया कोय।
जन जो कर्ज चुका दिया,जग बैरी न होय।4।
माँ पीपल की छांव है,माँ बगिया के फूल।
माँ जीवन की सार है, हरे लाल के शूल।5।
माँ से जग संसार है,माँ से जीवन मूल।
माँ बिन खुशबू नहीं ,मुर्झाये सब फूल।6।
* सचिव-लाल कला मंच, नई दिल्ली
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