मंगलवार, 12 जून 2018

छोटे-छोटे प्रयासों से पर्यावरण बचाया जा सकता है-लाल बिहारी लाल

छोटे-छोटे प्रयासों से पर्यावरण बचाया जा सकता है- लाल बिहारी लाल


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नई दिल्ली। इस संसार में कई ग्रह एवं उपग्रह हैं पर पृथ्वी ही एक मात्र ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन एवं जीव पाये जाते हैं। धरती कभी आग का गोला थाजलवायु ने इसे रहने लायक बनाया और प्रकृति ने मुनष्यों सहित समस्त जीवोंपेड़-पौधों का क्रमिक विकास किया। प्रकृति और जीव एक दूसरे के पूरक हैं। प्रकृति सत्य है बिना प्रकृति के न तो जीवन उत्पन्न हो सकता है और न ही जीव। इसीलिए प्रकृति मनुष्य को पर्यावरण संरक्षण की सीख देता है। हमारा शरीर प्रकृति के पांच तत्वों से मिलकर बना है-क्षितिजजलपावकगगनसमीरा। पंच तत्व यह अधम शरीरा। इन पंच तत्त्वों के उचित अनुपात से ही चेतना (जीवन) उत्पन्न होती है। धरतीआकाशहवाआगऔर पानी इसी के संतुलित अनुपात से ही धरती पर जीवन और पर्यावरण निर्मित हुआ हैजो जीवन के मूल तत्व हैं। 
   आज बढती हुई आबादी के दंश से पर्यावरण का संतुलन तेजी से बिगड रहा है। और प्रकृति कूपित हो रही है। प्रकृति के किसी भी एक तत्व का संतुलन बिगड़ता हैतो इसका प्रभाव हमारे जीवन के ऊपर पड़ता है-मसलन- बाढ़भूस्खलनभूकंप,ज्वालामुखी उद्गार,सुमामी जैसी दैवीय आपदा सामने आती हैं। इस को ध्यान में रखकर सन 1972 में पर्यावरण के प्रति अमेरिका मे जून को चर्चा हुई औऱ तब से लेकर अब तक हर साल जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रुप में मनाते है। सन 1992 में 174 देशो के प्रतिनिधियों ने पर्यावरण के प्रति चिंता ब्यक्त करते हुए इसके समाधान के लिए ब्राजील के शहर रियों दी जनेरियो में पहला पृथ्वी सम्मेलन के तहत एक साथ बैठे। कलान्तर में सन 2002 में दक्षिणी अफ्रीकी शहर जोहान्सवर्ग में दूसरा पृथ्वी सम्मेलन हुआ। जिसमें चर्चा हुई कि पर्यावरण बचाने की दिम्मेदारी सभी राष्ट्रों की है पर ज्यादा खर्चा धनी देश करेंगे। पर पिछले 20साल के सफर में कोई खास प्रगति नहीं हुई है।समाज एवं सरकारी स्तर पर देश दुनिया में काफी प्रयास हो रहे है। परन्तु यह प्रयास तभी कारगर हो सकती है जब हर जन इसके लिए आगे आये। इसके लिए समाज में जागरुकता की कमी को दूर करना होगा तभी इसके सकारात्मक फल मिल सकता है। हम और आप छोटे-छोटे प्रयास कर के इस बिगड़ते हुये पर्यावरण को ठीक कर सकते है। मसलन पानी की बर्बादी को रोकना,इसके लिए गाड़ी को सीधे नलके के बजाये बाल्टी में पानी भरकर गाड़ी को धोना,अपने घर में हो रहे पानी के लिकेज को रोकना गांव- मुहल्लों में बिना टोटी के बहते हुए पानी को रोकना इसके लिए पडोसी को भी जागरुक करना। ब्यक्तिगत वाहन के बजाये सार्वजनिक वाहन का उपयोग करना या फिर कार आदि को पूल करना।अपने घरों में छोटे-छोटे पौधे को गमले में उगाना। कागज के दोनों ओर लिखना। पुरानी किताबों को रद्दी बेंचने के बजाये किसी विद्याथी या पुस्तकालय को दान दे देना,घरो में अवश्यक रुप से बिजली के उपकरणों को चलाये रखने के बजाये उपयोग के बाद बंद कर दे। आदी जैसे बहुत से छोटे-छोटो उपाय है जिसे अपनाकर पर्यावरण का ख्याल रख के ही विभिनन् जल स्त्रोतों को बचाया जा सकता है । वनों की संख्या बढ़ाई जा सकती है। प्राकृतिक उर्जा स्त्रोतों का उपयोग किया जा सकता है। इस कार्य से पर्यावरण संरक्षण मैं अपनी भूमिका को साबित कर सकते है और इस पृथ्वी को आने वाले पीढी के लिए सुरक्षित बना सकते हैं।

   पर्यवारण के घटक वायु प्रदूषण के कारण दिल्ली सरकार ने दिल्ली में दो वार ओड इभेन का फार्मूला अपना चुकी है पर पहली की तुलना में दूसरी कामयाब नही हो सकी।केन्द्र सरकार भी कई योजने बनाई है पर सही से कर्यान्वयन की कमी से इसका सकारात्मक परिणाम नहीं मिल रहा है। आम जन-जन को जागरुक करना कारगर सिद्ध हो सकता है।
    अगर अब भी पर्यावरण के प्रति सचेत नही हुए तो बढ़ती हुई आबादी की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वन काटना होगा। जिससे प्रदूषण का असर औऱ बढ़ेगा।ग्लोबल वार्मिग होनगा जिससे वातावरण का ताप बढ़ेगा अंततः ग्लेशियर पिघलेंगे औऱ समुंद्र का जलस्तर बढ़ेगा औऱ पृथ्वी एक दिन जल में समा जायेगी।

सचिव लाल कला मंच,नई दिल्ली-110044  


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