विश्व भोजपुरी सम्मेलन की गाजियाबाद इकाई का शपथ ग्रहण समारोह और
पुस्तक लोकार्पण का कार्यक्रम सम्पन्न
लाल बिहारी लाल
विश्व भोजपुरी सम्मेलन की गाजियाबाद इकाई का शपथ
ग्रहण समारोह आज आर डी मिमोरियल पब्लिक
स्कूल मे आयोजित हुआ । समारोह कि शुरुवात मे उपस्थित अतिथियों ने माँ सरस्वती की
प्रतिमा को माल्यार्पण के साथ दीप
प्रज्वलित कर आज के समारोह की विधिवत शुरुवात की । उसके बाद समारोह मे पधारे लोक गायक
श्री ओझा जी ने माँ सरस्वती के सम्मान मे एक भोजपुरी लोकगीत प्रस्तुत किया । उसके उपरांत समारोह के अध्यक्ष कृष्णा इंजीनियरिंग कालेज के डाइरेक्टर
डॉ संदीप तिवारी ने श्री अशोक श्रीवास्तव जी को अध्यक्ष और जे पी द्विवेदी को
महासचिव के साथ कुल 21 लोगों को उनके दायित्व की शपथ दिलाई । शपथ ग्रहण समारोह मे
मुख्य अतिथि श्री मनोज भावुक , पूर्वाञ्चल भोजपुरी महासभा
के चेयरमैन श्री केदार नाथ तिवारी , मैं भारत हूँ” की सह संपादिका श्रीमति पुष्पा सिंह बिसेन , विश्व भोजपुरी सम्मेलन के
दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष श्री विनय मणि त्रिपाठी एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अजीत
दुबे जी के प्रतिनिधि के रूप मे पधारे
श्री अरविंद दुबे जी उपस्थित रहे । तदुपरान्त गाजियाबाद मे दूसरी बार जयशंकर
प्रसाद द्विवेदी के भोजपुरी गीत संग्रह
“जबरी पहुना भइल जिनगी” का लोकार्पण हुआ । गाजियाबाद की धरती जो हिन्दी साहित्य का
समुन्द्र है , वहाँ पर किसी भोजपुरी किताब का रचा जाना और
लोकार्पण स्वयं मे लोमहर्षक लगता है । विगत दो वर्षों मे यह दूसरी किताब का
लोकार्पण है ।
विश्व भोजपुरी सम्मेलन के इतिहास पर मुख्य
अतिथि श्री मनोज भावुक ने बृहत प्रकाश डाला । मनोज भावुक जी ने विश्व भोजपुरी
सम्मेलन के 1995 से लेकर अब तक के सफर पर सिल सिलेवार ढंग से प्रकाश डाला । इसलिए उन्होने सम्मेलन के बाहर और भीतर , देश और विदेश सभी पक्षो पर बेबाकी से अपनी बात रखी । चूंकि मनोज भावुक
जी दिल्ली इकाई और इंग्लैंड इकाई के
अध्यक्ष रह चुके हैं और मारिशस मे हुवे वे अंतराष्ट्रीय महोत्सव मे सिरकत भी कर चुके हैं ।
भोजपुरी गीत संग्रह जबरी पहुना भइल जिनगी
पुस्तक के नाम का जिक्र कराते हुवे कवि भावुक ने कहा “ यह
नाम ही अपने आप मे एक पूरी कविता है और कबीर वाणी की तरह संकेत मे ही जिंदगी की
जिजीविषा और मुस्किलो के रूबरू करा देती है । जिनगी पहुना है और पहुना को एक न एक
दिन जाना ही है । यही जीवन का एकमात्र सत्य है ।
भोजपुरी गीत संग्रह के लोकार्पण पर उन्होने इसके रचयिता जयशंकर प्रसाद
द्विवेदी को शुभकामना दी और कहा कि “आज जहां हर केहू बेटा बेटी , रोजी रोजगार, कोट कचहरी मे अझुराइल बा उहवें
साले भीतर दू दू गो किताब के सृजन कवि के साहित्य के प्रति अनुराग आउर लेखन के
प्रति निष्ठा के दर्शावत बा” ।
समारोह
का अंतिम सत्र भोजपुरी कवि गोष्ठी के नाम रहा । वहाँ पधारे करीब दर्जन भर कवियों
ने अपनी भोजपुरी गीत और कविता के माध्यम
से सभी श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया । सुनील सिन्हा ने जहां अपनी भोजपुरी कविता
“माटी के देहिया से” से जहां लोगों को सोचने पर मजबूर किया , वही फरीदाबाद से पधारे श्री तरकेश्वर राय ने अपनी कविता के माध्यम से
भोजपुरी भाषा के मान्यता की अलख जगाई । अशोक श्रीवास्तव जी ने अपने गीत से खूब
तालियाँ बटोरी । जे पी द्विवेदी ने अपनी व्यंग कविता “बनल रहे भौकाल बकैती” से लोगो के चेहरे पर
मुस्कान बिखेरी । मुख्य अतिथि श्री मनोज भावुक ने अपने भोजपुरी गीत से लोगो को
मंत्रमुग्ध कर दिया । समारोह की अध्यक्षता कर रहे डॉ संदीप तिवारी जी अपने सम्बोधन
मे पूर्वञ्चल के भाषा , संस्कृति और संस्कार पर बोलते हुए
उसे बनाए रखने के लिए सभी को प्रेरित किया । वहाँ उपस्थित सभी अतिथियों ने इकाई के
गठन पर बधाई और शुभकामना दी । धन्यवाद ज्ञापन श्री केदार नाथ तिवारी ने किया और
मंच संचालन श्री कैप्टन ने किया
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