बुधवार, 2 दिसंबर 2015

लाडली फांउडेशन द्वारा 51 गरीब कन्याओं की शादी में हाछ बटाने पहूँचे-लाल बिहारी लाल

लाडली फांउडेशन द्वारा 51 गरीब कन्याओं की शादी समपन्न
लाल बिहारी लाल






नई दिल्ली। लाडली फांउडेशन ट्रस्ट ,नई दिल्ली द्वारा आयोजित 51 गरीब कन्याओं की शादी  को छतरपुर मंदिर के प्रागन में आयोजित की गई। इस अवसर पर हमारा मैट्रो  की ओर से लाल बिहारी लाल ने भी इस शादी में हाथ बटाने पहूँचे थे।। इनके अलावे बदरपुर से समाजसेवी आत्माराम पाचाल,,तेजी पांचाल,अखिलेख सिंह,ददन कुमार एवं दूबे जी भी उपस्थित थे। आत्माराम पांचाल संस्था के बदरपुर के प्रभारी एवं सहयोगी भी है। इस अवसर पर दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शिला दीक्षित,भाजपा के सीडर एवं मिस यूनीवर्स रुबी यादव,दिल्ली महिला आयोग के अध्यक्ष स्वाति मालिवाल,सहित कई गन्य मान्य हस्तिया भी मौयूद थी। इस अवसर पर विभिन्न स्कूल के बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में दिल्ली सहित विभिन्न प्रदेशों  के 51 जोड़ा ने हिस्सा लिया। बदरपुर से 3 जोड़ा ने हिस्सा लिया जो क्रमशः पाडाल संख्य़ा -11 में गगन संग अवन्तिका,पाडाल संख्या-12 में गीता संग राकेश गिरी तथा पांडाल संख्या-38 में सुखवती संग राजकुमार का विवाह हजारों लोगों की उपस्थिति में भब्य औऱ सामूहिक रुप से संपन्न हुआ।
    इसमें संस्था की ओर से प्रत्येक गरीब वर बधु की ओर से 5100 रु नकद तथा एक लाख रुपये की समान दी गई जिसमें सोनें का रिंग, चाँदी की पाजेब तथा उषा की सिलाई मशीन एवं स्टील की आलमिरा आदी सहित बर-वधू को कपड़ा शामिल है।अन्त में   संस्था के अध्यक्ष देवेन्द्र गुप्ता ने आये हुए सभी अतिथियों व सहयोगियो को हार्दिक धन्यवाद दिया।
प्रस्तुति-सोनू गुप्ता
अध्यक्ष-लाल कला मंच,नई दिल्ली
फओन -09868163073

शुक्रवार, 27 नवंबर 2015

हिन्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय कवि - हरिवंश राय बच्चन

27  नवम्बर जन्म दिवस पर विशेष

हिन्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय कवि  - हरिवंश राय बच्चन
लाल बिहारी लाल
नई दिल्ली। बच्चन का जन्म 27 नवम्बर 1907 को इलाहाबाद से सटे प्रतापगढ़ जिले के एक छोटे से गाँव बाबूपट्टी में एक कायस्थ परिवार मे हुआ था। इनके पिता का नाम प्रताप नारायण श्रीवास्तव तथा माता का नाम सरस्वती देवी था। इनको बाल्यकाल में 'बच्चन' कहा जाता था जिसका शाब्दिक अर्थ 'बच्चा' या संतान होता है। बाद में ये इसी नाम से मशहूर हुए। इन्होंने कायस्थ पाठशाला में पहले उर्दू की शिक्षा ली जो उस समय कानून की डिग्री के लिए पहला कदम माना जाता था। उन्होने प्रयाग विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम. . और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य के विख्यात कवि डब्लू बी यीट्स की कविताओं पर शोध कर पीएच. डी.(1952-1955) पूरी की फिर स्वदेश आ गये और भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में हिन्दी विशेषज्ञ रहे। अनन्तर राच् सभा के मनोनीत सदस्य। बच्चन जी की गिनती हिन्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय कवियों में होती है।
     1926 में 19 वर्ष की उम्र में उनका विवाह श्यामा बच्चन से हुआ जो उस समय 14 वर्ष की थीं। लेकिन 1936में श्यामा की टीबी के कारण मृत्यु हो गई। पांच साल बाद 1941 में बच्चन ने एक पंजाबन तेजी सूरी से विवाह किया जो रंगमंच तथा गायन से जुड़ी हुई थीं। इसी समय उन्होंने 'नीड़ का पुनर्निर्माण' जैसे कविताओं की रचना की। तेजी बच्चन से अमिताभ तथा अजिताभ दो पुत्र हुए। अमिताभ बच्चन एक प्रसिद्ध अभिनेता हैं। तेजी बच्चन ने हरिवंश राय बच्चन द्वारा शेक्सपियर के अनूदित कई नाटकों में अभिनय का काम किया है।
          हरिवंश राय श्रीवास्तव "बच्चन हिन्दी भाषा के एक कवि और लेखक थे।'हालावाद' के प्रवर्तक बच्चन जी हिन्दी कविता के उत्तर छायावाद काल के प्रमुख कवियों मे से एक हैं। उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति मधुशाला है। भारतीय फिल्म उद्योग के प्रख्यात अभिनेता अमिताभ बच्चन 
उनके सुपुत्र हैं।

   उनकी कृति दो चट्टाने को 1968 में हिन्दी कविता का साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मनित किया गया था। इसी वर्ष उन्हें सोवियत लैंड नेहरु पुरस्कार तथा एफ्रो एशियाई सम्मेलन के कमल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। विरला फांडेशन ने उनकी आत्मकथा चार खंडों के लिये उन्हें पहला सरस्वती सम्मान (1991) दिया था। बच्चन को भारत सरकार द्वारा 1976 में साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
उनकी प्रमुख कृतियों में-

कविता संग्रह- तेरा हार (1929), मधुशाला (1935), मधुबाला (1936), मधुकलश (1937), निशा निमंत्रण (1938). एकांत संगीत (1939), आकुल अंतर (1943), सतरंगिनी (1945), हलाहल (1946),. बंगाल का काव्य (1946), खादी के फूल (1948), सूत की माला (1948), मिलन यामिनी (1950), प्रणय पत्रिका (1955), धार के इधर उधर (1957), आरती और अंगारे (1958), बुद्ध और नाचघर (1958), त्रिभंगिमा (1961), चार खेमे चौंसठ खूंटे (1962), दो चट्टानें (1965), बहुत दिन बीते (1967), कटती प्रतिमाओं की आवाज़ (1968), उभरते प्रतिमानों के रूप (1969), जाल समेटा (1973) आदी।

आत्मकथाओं में- क्या भूलूँ क्या याद करूँ (1969), नीड़ का निर्माण फिर (1970),. बसेरे से दूर (1977),बच्चन रचनावली के नौ खण्ड (1983), दशद्वार से सोपान तक (1985) आदी सहित सौकड़ो छिटपूट कवितायें बिभिन्न स्र्तरो एवं पत्र पत्रिकायें में प्रकाशित हुई थी।

      इस लोकप्रिय कवि का निधन 18 जनवरी 2003 को मुम्बई में लंबी बिमारी के कारण हुआ।
सचिव –लाल कला मंच,बदरपुर,नई दिल्ली

                  

मंगलवार, 10 नवंबर 2015

बिहार में मोदी की नहीं गली दाल-लाल बिहारी लाल

बिहार में मोदी की नहीं गली दाल-लाल बिहारी लाल
 
नई दिल्ली। सन् 2014 के राष्ट्रीय चुनाव में जनता ने महँगाई और भ्रष्टाचार के खिलाफ कांग्रेस गठबंधन को सता से हटाकर भाजपा को प्रचंड बहुमत से जीताया था। भाजपा ने नारा दिया था नरेन्द्र मोदी आयगे अच्छे दिन लायेगे। इस अच्छे दिनों की आश में गुजरात के विकास में मोदी के हाथ को देखकर महाराष्ट्र और हरियाणा की जनता ने भी प्रचंड बहुमत दिया।मोदीका काम को धीरे-धीरे लोगो ने हकीकत में देशना शुरु किया और इनके काम का प्रदर्शन और केजरीवाल के वादों के पीछे दिल्ली में जनता ने मोदी को हरा दिया। दिल्ली के बाद बिहार में चुनाव हुआ पर पिछलो 17-18 महिनों में नरेन्द्र मोदी का तिलिस्म धीरे-धीरे देश में कम होने लगा क्योंकि जनता अच्छे दिनों की आश में आज भी पलके बिछायें इंतजार कर रही है।
     देश की जनता मोदी सरकार से उम्मीद लगायो बैठी थी कि भाजपा देश में महँगाई कम करेगी पर सिवाये कागजों के जमीनी स्तर पर महँगाई कम नहीं हुई है। देश में निवेश के लिए पी.एम.ने सारी दुनिया का खाक छानने में करोड़ो स्वाहा कर दिया पर देश में निवेश के लायक माहौल नहीं बना पाये इसमें भी पीछे रहे। किसानों के हितों को नजरअंदाज करके तीन बार भूमि अधिग्रहन अध्यादेश लाये पर कामयाब नहीं रहे।तेल पर एक्साइज ड्यूटी ,रेल भाड़ा आदी बढ़ा कर जनता पर और बोझ डाल दिया। युवायों को सरकारी रोजगार के लिए भी कोई पद सृजित नहीं कर पाये। महँगाई,बेरोजगारी,भ्रष्टाचार जैसी विकराल समस्याओं से देश आज भी त्रस्त है।
   सपने दिखाकर ,झूठे वादों से देश नहीं चल सकता यह बिहार के जनता ने उन्हें बता दिया। काग्रेस ,जनतादल (यू)एवं राजद के महा गठबंधन को जीता दिया. ऐन चुनाव के दौरान ही देश के आम जनता की थाली से दाल गोल हो गयी ,प्याज भी कम नहीं रुलाया अब सरसों का तेल रुला रहा है। मोदी सरकार जमीनी स्तर पर काम करने में, गरीव जनता एवं देश के आम वर्ग की वात करनें में नकाम रही ।इसलिए बिहार में मोदी की दाल नही गल पायी और भाजपा को हार का मुँह देखना पड़ा।
सचिव-लाल कला मंच,बदरपुर ,नई दिल्ली
  


रविवार, 8 नवंबर 2015

भोजपुरी कविता -फेंकुआ हार गइल-लाल बिहारी लाल

फेंकुआ हार गइल


*लाल बिहारी लाल

फेंकुआ हार गइल
जनता जीत गइल
झूठ वादा के पोल खुलल
तीर चलल ,लालटेन जलल
हाथ मुखर भइल...
फेंकुआ हार गइल
भाईचारा के बल मिलल
केतना के मुँह ताला जड़ल
महँगाई मार गइल.....
फेंकुआ हार गइल
बीत गइल दिन कई महिना
जन-जन को रोज चुए पसीना
बिहार जीत गइल....
फेंकुआ हार गइल
"लाल बिहारी" के एके सजा
झूठ के जनता मजा चखा
धन्य-धन्य बिहार भइल..
फेंकुआ हार गइल
*सचिव-लाल कला मंच,नई दिल्ली.

रविवार, 25 अक्टूबर 2015

वाणिज्य एंव उद्योग मंत्रालय द्वारा आयोजित हिन्दी पखवाड़ा में लाल बिहारी गुप्ता लाल

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय  के औद्योगि नीति संवर्धन विभाग द्वारा आयोजित हिन्दी पखवाड़ा के दौरान आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं में  लाल बिहारी गुप्ता लाल  अपने सहयोगियों के साथ।









मंगलवार, 13 अक्टूबर 2015

लाल कला मंच का 12 वां स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया गया

बिहारी लाल का 42 वां जन्मोत्सव भी मनाया गया  

सोनू गुप्ता।
नई दिल्ली। समाजिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र में सक्रिय संस्था लाल कला मंच का 12वाँ स्थापना दिवस मीठापुर चौक पर धूमधाम से डा.के.के तिवारी की अध्यक्षता एवं हमरा पूर्वाच्ल सा.पत्रिका के संपादक रमाधार पांडे के आतिथ्य में संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में संस्था के सचिव पर्यावरण प्रेमी एवं दिल्ली रत्न लाल बिहारी लाल का 42 वाँ जन्म दिवस मनाया गया। इस अवसर पर दिल्ली के कई कवियों सहित, कई पत्रकार एवं नेता इन्हें जन्म दिन की बधाई देने पहूँचे उनमें फरीदाबाद से शिव प्रभाकर ओझा,दिवाकर मिश्रा,गिरीश मिश्रा नोयडा से वरिष्ठ पत्रकार राज कुमार अग्रवाल ,संतोष तिवारी,लक्ष्मी नगर से नीरज पांडे,दिल्ली से मा. गिरीराज शर्मा ने लाल बिहारी लाल के लगन के देख कर  कहा-कुछ किया कर कुछ किया फार पजामा सिया कर ,उमर हनीफ, राकेश कन्नौजी, के.,पी.,सिंह, नेताओं में का.जगदीश चंद्र शर्मा,मलखान सैफी,विजय प्रकाश, प्रेम कुमार गौतम, नान्हें प्रसाद,लोकनाथ शुक्ला, भगत सिंह आदी क्षेत्र के कई गन्यमान्य उपस्थित थे। इस अवसर पर कवियों ने अपनी-अपनी कविता लाल बिहारी लाल के उपर सुनाया।सबसे ज्यादा बाहाबही सुरेश मिश्र अपराधी की कविता पर रही-        
                करे समाज सेवा नित्य पर्यावरण का रखे ख्याल।
              क्षेत्र में अजब मिशाल,युग-युग जीयो बिहारी लाल।।








   का. जगदीश चंद्र शर्मा ने कहा- कि लाल बिहारी लाल लाल कला मंच के तहत क्षेत्र के नवोदित बच्चों को रंग अबीर उत्सव के माध्यम से मंच प्रदान करते हैरामाधार पांडे ने कहा कि लाल कला मंच एवं लाल बिहारी लाल दोनों के कार्य़ सराहनीय है।  अध्यक्षीय वक्तब्य में डा. तिवारी ने कहा कि लाल कला मंच पिढले 12 सालों से साहित्य ,पर्यावरण एवं संस्कृति के क्षेत्र में बदरपुर ही नही बल्कि दिल्ली में काफी जानी-मानी संस्था है औऱ अपने क्षेत्र में काफी काम कर रही है। लाल बिहारी लाल भी सामाजिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्रों में अपना नाम दिल्ली ही नही बल्कि ए.सी.आर में भी काफी जना पहचाना नाम है। लाल बिहारी लाल ने कहा कि आप लोगो का स्नेह एंव प्यार मिलता रहा तो यह प्रयास आगे भी जारी रहेगा। अन्त में संस्था के अध्यक्ष सोनू गुप्ता ने आये हुए सभी अतिथियों,कवियो एं अय सभी को हार्दिक धन्यवाद दिया।

बुधवार, 30 सितंबर 2015

लाल कला मंच नें शहीदे-आजम भगत सिंह की 109वीं जयंती काब्यगोष्ठी के रुप में मनाई

लाल कला मंच नें शहीदे-आजम भगत सिंह की 109वीं जयंती काब्यगोष्ठी के रुप में  मनाई
लाल बिहारी लाल
नई दिल्ली। लाल कला मंच,नई दिल्ली की ओर से शहीदे-आजम भगत सिंह की 109वीं जयंती काब्यगोष्ठी के रुप में मीठापुर चौक पर  मनाई गई। कार्यक्रम का आगाज समाजसेवी  संस्था के सचिव लाल बिहारी लाल के सरस्वती वंदना-ऐसा माँ वर देविद्या के संग-संगसुख समृद्धि सेसबको भर दे से हुई। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता  वरिष्ठ समाजसेवी एवं बल्लवगढ़ काँलेज के पूर्व प्राचार्य डा. हवलदार शास्त्री ने किया तथा का. जगदीशचंद्र शर्मा के अतिथ्य में समपन्न हुआ । इसमें वंदना के बाद सुरेश मिश्र अपराधी ने भगत सिंह के ब्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनमें देशभक्ति के साथ-साथ समाजिकता का फूट था वही वे आजादी के बाद देश की स्थिति पर भी खाका खींचकर काम किया इसलिए अल्पआयु में ही भारत सहित नेपाल,वर्मा, बंगलादेश,श्रीलेका आदी में भी लोकप्रिय हो गये।इस कड़ी को आगे बढाया,भवानी शेकर शुक्ला तथा  के.पी. सिंह कूँवर ने औऱ कहा-
                मैं कहूंगी नहीं मुझको जागीर दो,फिर भी तोहफा नया कुछ वीर दो।
                मैंने बांधी है राखी कलाई पर जो मेने उस राखी के बदले काश्मीर दो।।
मा. गिरीराज किशोर,मा. रविशंकर,मा. कृपा शंकर  नें भी इसे आजे बढ़ाया जबकि सुरेश मिश्र अपराधी ने कहा-  माँ आजादी मेरी जिन्दगी है...वही चाह वही राह वही मन वसी है..संस्था के सचिव एवं कवि  लाल बिहारी लाल ने कहा- आजादी के बाद नेता आजकल भटक गये है इस पर झाड़ू कविता सुनाया- कभी नोट कभी दारू में जनता अब उलझी झाड़ू मे.....  ,आकाश पागल, मलखान सैफी सहित कई कवियों ने हिस्सा   लिया। का. जगदीशचंद्र शर्मा ने कहा कि भगत सिंह  की सोंच दूरदर्शी थी वही अध्यक्षता कर रहे शास्त्री जी ने कहा कि आज आजादी के बाद लोग देश और समाज के लिए कम सोंच रहे है अतः जरुरी है कि समाजिक जागरुकता विभिन्न माध्यमों से लाया जाये ताकि देश की दशा एवं दिशा को सुधारा जा सके। 
      इस अवसर पर क्षेत्र के कई गन्यमान्य भी मौयूद थे उनमें-, लोकनाथ शुक्ला, महेश बछराज, भगत सिंह ,राम सागर गुप्ता,जे.पी. शर्मा, राज नंन्द प्रसाद मलखान सैफी, पत्रकार सुमन ओझा आदी सहित दर्जनों लोगं ने कवियों के कविताओं का आनंद उठाया।, अंत में संस्था के अध्यक्ष सोनू गुप्ता ने  सभी कवियों एवं आगन्तुकों को धन्यवाद दिया। 










सोमवार, 21 सितंबर 2015

मंगल नसीम जी का 60 वां जन्मदिन उनके शिष्यों ने मनाया

मेंहदी रची हथेलियाँ लहरों ने चूम लीं,
छोड़े जब उसने ताल में जलते हुए दिए,

इस तरह तमाम दुनिया की मीठी कड़वी सच्चाई को अपने एक एक शेर से बयाँ करने वाले मोहतम शायर उस्ताद मंगल नसीम जी का 60 वां जन्मदिन उनके शिष्यों द्वारा "अखिल भारतीय उर्दू- हिंदी एकता अंजुमन" द्वारा तनेजा टायर वर्ल्ड ,नागलोई ,नई दिल्ली में शानदार तरीके से मनाया गया जो मोहतरम शायर उस्ताद मंगल नसीम पर केन्द्रित रहा ! उनके शिष्यो में रामश्याम हसीन,असलम बेताब,राजेश तंवर,संजय कुमार गिरि ने मिलकर यह सुन्दर आयोजन किया ! मुख्य अतिथि श्री मति रेखा रोहतगी ,विशिष्ट अतिथि श्री अवधेश तिवारी रहे !कार्यक्रम में अध्यक्षता -सपन भट्टाचार्य ने की ! इस सुन्दर आयोजन का मंच सञ्चालन कवि दुर्गेश अवस्थी ने अपने लाजबाब अंदाज में किया ! सरस्वती वंन्दना संजय कुमार गिरि ने अपनी मधुर आवाज में की ! इस सुन्दर आयोजन में उस्ताद शायर श्री मंगल नसीम के कुछ पुराने शिष्य भी थे जिन्होंने अपने कुछ अनुभव वहां सुनाये जो उन्होंने मंगल नसीम जी के सानिध्य में बिताये ! जिनमे डॉ .प्रवीन शुक्ल ,,पदम् प्रतीक ,चन्द्र मणि चन्दन रामश्याम हसीन थे ! इस सुअवसर पर कवि सम्मेलन एवं मुशायरा भी किया गया जिनमे दिल्ली ,उत्तर प्रदेश 
हरियाणा से आये कवि कवित्रियों ने शिरकत की और अपनी शानदार रचनाएं सुनाई -
कवि रामश्याम हसीन की सुन्दर पंक्तियाँ जो श्रोताओं को बहुत पसंद आई ---
आज भी उस पर भरोसा है मुझे  
जिसने दुःख ही दुःख परोसा है मुझे 
जिसकी लम्बी उम्र की मैंने दुआ की 
उसने तो हर वक्त कोसा है मुझे
-कृष्णा नन्द तिवारी के लाजबाब दोहें ----
दुआ यही भगवान से , बस इतनी सी चाह 
जिये हजारो साल तक , रहे दिखाते राह --

हरियाणा से आये -हरियाणवी कवि राजेश तंवर --का भी जबाब नहीं ---
तुम्हारे साथ रहकर रौशनी में मैं नहाता हूँ कभी तुम रात पूनम की कभी दिन का उजाला हो

गाज़ियाबाद से आये कवि मनोज कामदेव जी की लाजबाब रचना ---
दीवार पे लटकी कोई शमशीर नहीं हूँ,
जो आके कैद करले वो जंजीर नहीं हूँ,
मुझको भी अपना हुनर दिखाना आता है,
तभी तो मैं बिकने वाली जाग़ीर नहीं हूँ।।

इंद्रप्रस्त दिल्ली --से  कीर्ति';रतन';';निशि';----
';';न छलके आँख से होते तो पैमाने कहाँ जाते 
ग़ज़ल गर ज़िन्दगी होती तो अफसाने कहाँ जाते ';';

संजय कुमार गिरि ------
करें सदा हम गुरु की ,महिमा का गुणगान !
गुरु ज्ञान की खान है ,होते गुरु महान !!
! शायर अफजाल देहलवी --शायरा शबनम सिद्दकी,पूनम माटिया (साहित्यिक संपादिका ट्रू -मीडिया ), आरिफ देहलवी (गीतकार )राजेंदर सलिल (संगीतकार ) राजीव तनेजा ,कवियत्री कीर्ति सिंह,नरेश मालिक ,मनोज कमदेव शर्मा ,विक्रम भारतीय ,निर्देशशर्मा ,डॉ.प्रशांत देव (आगरा ) विकास शर्मा राठी (जींद )सेंतीस्वा कवि ,कृष्णानंद तिवारी ,जगदीश भारद्वाज ,राजबीर खत्री ,शैल भदावरी ,बलजीत , बी के बोस,संजू तनेजा, आदि थे !
प्रस्तुति-लाल बिहारी लाल
9868163073या7042663073

गुरुवार, 17 सितंबर 2015

भोजपुरी जागृति मंच ने बिश्वकर्मा पूजा पर रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किया

सैयां मिलल लड़कैंया हम का करी –मालिनी अवस्थी
लाल बिहारी लाल
बदरपुर। भोजपुरी जागृति मंच,बदरपुर,नई दिल्ली द्वारा विश्वकर्मा पूजा पर बिशाल रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें भोजपुरी की विख्यात गायिका-मालिनी अवस्थी, भोजपुरी के मशहूर गोपालगंज से लोक गायक विजेन्द्र गिरी ,छपरा से दशरथ तिवारी तथा वनारस ने नंदन –चंदन ने अपनी अपनी आवाजों से दर्शकों का मन मोह लिया। मालनी अवस्थी द्वारा गाये गये गीत- सैंया मिलल लड़कैंया हम का करी पर दर्शकों ने जमकर ठूमका लगाया।
इस अवसर पर भाई नरसिंह शाह, शीखा शाह, श्यामल किशोर सिंह, लाल बिहारी लाल एकनाश सिंह ,मुकेश भारद्वाज, शशि भूषण, मों. हारुन,मो. सलाउद्दीन, मा.अशोक, ,रमायण महतो सहित हजारों हजार की संख्या में दर्शक भी मौयूद थे। श्री शाह ने बताया कि पिछले पन्द्रह सालों से यह कार्यक्रम पर साल आयोजित की जा रही है और भविष्य में भी अवरत जारी रहेगा।
इस अवसर पर भोजपुरी भोजपुरी जागृति मंच की ओर से भाई नरसिंह शाह तथा उनकी धर्म पत्नी शीखा शाह द्वारा सभी कलाकारो को  सम्मानिक किया गया।












गुरुवार, 10 सितंबर 2015

आफताब आलम को राजभाषा सम्मान मिला।

आफताब आलम को राजभाषा सम्मान मिला।
लाल बिहारी लाल

नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (टॉलिक), उत्तर मुंबई कार्यालय द्वारा राजभाषा हिंदी के अधिकारियों व कर्मियों की प्रथम डायरेक्टरी "राजभाषा अधिकारी कोश" व लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज भारत की प्रथम मीडिया व साहित्यिक डायरेक्टरी "पत्रकारिता कोश" के संपादन तथा नीटी में राजभाषा हिंदी के कार्यान्वयन हेतु "राजभाषा सम्मान" प्रदान किया गया।
         मुंबई स्थित केंद्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान में आयोजित इस समारोह में मुख्य अतिथि व दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्राध्यापक, साहित्यकार एवं भाषाविद् डॉ. पूर्ण सिंह डबास के हाथों ट्रॉफी, प्रशस्तिपत्र तथा पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया गया। 
   इस अवसर पर केंद्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान के निदेशक व टॉलिक के अध्यक्ष डॉ. वजीर एस. लाकड़ा वाला, उप निदेशक (रा.भा.का.) डॉ. राजेश्वर उनियाल, केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो के केंद्र प्रभारी श्री नरेश कुमार, केंद्रीय हिंदी प्रशिक्षण उप संस्थान के सहायक निदेशक डॉ. अनंत श्रीमाली व अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। हिंदी साहित्य और राजभाषा हिंदी में उल्लेखनीय योगदान देने के लिए आफताब आलम को इससे पहले भी अनेक संस्थाओं / संगठनों द्वारा पुरस्कृत किया जा चुका है।