सोमवार, 8 मई 2017

भोजपुरी भाषा के रचनात्मक आंदोलन पर परिचर्चा और पुस्तक का विमोचन

भोजपुरी भाषा के रचनात्मक आंदोलन पर परिचर्चा और पुस्तक का विमोचन
लाल बिहारी लाल


नई दिल्ली । जयशंकर प्रसाद द्विवेदी द्वारा लिखित  भोजपुरी काव्य संकलन " पीपर के पतई " का लोकार्पण सह पूर्वाञ्चल भोजपुरी महासभा द्वारा  आहूत परिचर्चा  "भोजपुरी भाषा के रचनात्मक आंदोलन " जो कविनगर स्थित वरिष्ठ नागरिक मनोरंजन केंन्द्र मे हुआ । भोजपुरी भाषा के विकास के लिए क्या किया जा सकता है  , कैसे किया जा सकता है , इस  आंदोलन मे अब तक क्या क्या हुआ , यह आंदोलन कब शुरू हुआ और आगे इस आंदोलन को गति कैसे दी जा सकती है , इस  बात पर विचार किया गया  

      परिचर्चा मे बोलते विशिष्ट अतिथि डॉ रमाशंकर श्रीवास्तव जी ने कहा कि आज भोजपुरी भाषा के पास सब कुछ है । भोजपुरी भाषा किसी बात कि मोहताज नहीं है । आज तक भोजपुरी भाषा के हर विधा पर काम हुआ है और हो भी रहा है  वही  बरिष्ठ लेखक सह अध्यक्षता कर रहे मैनेजर पाण्डेय जी ने कहा  कि कबीर बाबा भोजपुरी के आदि कवि हैं  और  हिन्दी के विकास के लिए  भोजपुरी भाषा की  बलि नहीं दी जा सकती
 
      भोजपुरी भाषा मान्यता आंदोलन के अध्यक्ष संतोष पटेल जी ने अपने तथ्यपरक उदाहरण से भोजपुरी भाषा के रचनात्मक आंदोलन का  दमदार पक्ष रखा  । इंद्ररा गांधी मुक्त विश्व विद्यालय से पधारे  डॉ सुशील तिवारी जी  ने भोजपुरी भाषा के गरिमामई इतिहास और इसके  शब्दों के विशाल भंडार पर प्रकाश डाला  ।  कार्यक्रम के उद्घाटनकर्ता के रूप मे आए भोजपुरी महासभा दिल्ली के अध्यक्ष अजीत दुबे जी ने संविधान के आठवीं अनुसूची को लेकर चल रहे प्रयासों के बारे मे विस्तार से बताया ।  

      विषय प्रवर्तन करते हुये जयशंकर प्रसाद द्विवेदी जी ने अपने उद्बोधन मे कहा  - "भाषा का प्रश्न हर तरफ है । भाषा केवल  अपने  अनुभव को  अभिव्यक्त करने का रास्ता भर नहीं है , भाषा पूरी मानव सभ्यता को संस्कारित करती है । आज का यह  मंच बहुत ही  समृद्ध है इसकी  समृद्धि का  कारण यह है कि  यहाँ  भोजपुरी के बारे मे  चिंतन करने वाले  हर प्रकार के मनीषी और व्यक्तित्व के लोग उपस्थित हैं । विषय को  प्रस्तुत करते हुये  मैं यही कहूँगा कि आज भोजपुरी के लिए कहीं भी निरासा कि बात नहीं है । इस समय भोजपुरी साहित्य का संवर्धन हो रहा है बहुत सारी भोजपुरी   पत्रिका - ई पत्रिका प्रकाशित हो रही हैं , ‘भोजपुरी-टाइम्सजैसे दैनिक समाचार पत्र भी निकाल रहे हैं , अनगिनत लोग लिख भी रहे हैं , किताब भी छापी जा रही हैं , लेकिन भोजपुरी मे पाठकों का बहुत अभाव है । कितने लोग हैं जो किताब खरीद कर पढ़ना चाहते हैं ? यह सबसे बड़े दुख कि  बात है ।  विद्वत समाज को इस पर भी सोचना चाहिए । पूर्वाञ्चल भोजपुरी महासभा के अध्यक्ष अशोक श्रीवास्तव जी ने अपने उद्बोधन मे कहा  कि गाजियाबाद के भोजपुरी भाषा भाषी इसके संवर्धन के लिए  हमेशा से तैयार हैं और आगे भी रहेंगे हम लोग इस तरह के कार्यक्रम गाजियाबाद मे आयोजित करके जन जागरण कराते रहेंगे । मंच संचालन भोजपुरी के सुप्रसिद्ध कवि मनोज भावुक जी ने किया
प्रस्तुति-लाल बिहारी लाल
फोन -07042663073

मन की गीता सहित तीन आध्यात्मिक पुस्तकों का लोकार्पण समपन्न


मन की गीता सहित तीन आध्यात्मिक पुस्तकों का लोकार्पण समपन्न






सोनू गुप्ता

नई दिल्ली।  उतराखंड चम्पावत के बयोवृद्ध लेखक महेश चंद्र सिंह अधिकारी  द्वारा रचित तीन आध्यात्मिक पुस्तकें –मन की गीता, आद्याशक्ति सहस्त्रोत्तर स्त्रोत तथा आरती एवं भजन संग्रह का लोकार्पण वरिष्ठ गजलकारा ड़ा. सीमा गुप्ता, वरिष्ठ साहित्यकार डा. बिक्रम चोपड़ा,दिल्ली रत्न एवं वरिष्ठ साहित्यकार लाल बिहारी लाल, एक्जिम बैंक के हिंदी अधिकारी श्रीमती अर्चना मदान तथा अनुराधा प्रकाशन के संपादक मनमोहन शर्मा शरन द्वारा गांधी शाति प्रतिष्ठान ,नई दिल्ली में किया गया। इस अवसर पर साप्ताहिक उत्कर्ष मेल के ताजा अंक का भी अतिथियों द्वारा विमोचन किया गया।
  इस अवसर पर अनुराधा प्रकाशन द्वारा लेखक महेश अधिकारी सहित कई समाजसेवियों जिसमें सर्व श्री रामेश्वर दयाल, अनिल शर्मा, अजस भारद्वाज तथा चारु चंद्र को सम्मानित किया गया । इस अवसर पर एक सरस कवि सम्मेलन का भी आयोजन किया गया जिसमें- सर्व श्री जसवंत सिंह तंवर,आशुतोष दिवेदी, डा. सरला सिंह, हीरेन्द्र चौधरी, लाल बिहारी लाल,डा.सीमा गुप्ता तथा डा. कृष्णानंद तिवारी आदि नें काब्यपाठ कर सभी श्रोताओं का मन मोह लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता अर्चना मदान ने की जबकि मंच संचालन प्रियंका ने।कार्यक्रम के अंत में अनुराधा प्रकाशन के संपादक मनमोहन शर्मा ने सभी अतिथियों एवं आगन्तुको का हार्दिक धन्यावद किया।



शुक्रवार, 5 मई 2017

तिहार जेल में कविता की बही ब्यार

तिहार जेल में  कविता की बही ब्यार

नई दिल्ली। बज़्म सुखन और राजिंदर सिंह अरोरा 'दिलदार देहलवी की जानिबसे तिहार की सेंट्रल जेल  में एकशानदार मुशायरे का आयोजनकिया गया ! इस मुशायरेकी अध्य्क्षता जनाब राजेश चौहान सुपरिंडेंट साहेब ने की और विशिष्ट अतिथि थे जनाब कमर बदरपुरी साहेबनिज़ामतजनाब फैज़ ग़ाज़ीपुरी साहेब ने बहुतही ख़ूबसूरती से की मुशायरे में आमंत्रित शायर थे जनाब अरविन्द असर साहेब,डॉ.गुरविंदर सिंह बंगाअमरीकसिंह अदब,मोहतरमा नीना सहरजनाब . फैज़ग़ाज़ीपुरीअजय अक्स एसअली खानइरशाद सिकंदर खान,
श्रोताओं में सभी विचाराधीन कैदी थे और सब ने सभी शायरों को बहुत गौर से सुना और शेर पसंदः आने पर भरपूर दाद दीजनाब अजय अक्ससाहेब की मज़ाहियाशायरी का सभी ने भरपूर लुत्फ़ उठाया सभी के चेहरों पर मुस्कराहट नज़र आयी ! इस मौकेपर सुपरिंडेंट जनाब राजेश चौहानसाहेब का कहना था की ऐसे प्रोग्राम कैदिओं को मानसिक तनाव से रहत देने के साथ साथ कुछ सन्देश भी देते है ! कैदी कुछ वक़्त के लिएहीसही अपनी गम भूल जाते हैं
प्रस्तुति-लाल बिहारी लाल
मेल-lalkalamunch@rediffmail.com
Phon.-09868163073,7042663073

गुरुवार, 4 मई 2017

मजदूर दिवस पर लाल बिहारी लाल के कुछ दोहे


1 मई अन्त. मजदूर दिवस पर
 
 


 लाल बिहारी लाल के कुछ दोहे


दुनिया के हर काम को,देते सदा अंजाम।
चाहे कोई कुछ कहे, लेते नहीं विराम ।1।

इनके ही सम्मान की  बाते करते लोग।
इनके नहीं नसीब में,जीवन को ले भोग।2।

कहीं तोड़े पत्थर तो, कही तोड़ते हार।
लाल तरस नही खाये,अजब गजब ब्यवहार।3)

पल-पल करते चाकरी ,रोटी खातिर रोज।
लाल जाने कब अइहें,जीवन में सुख भोग।4।

मजदूरों के जोग से दुनिया बनी महान।
चाहे बात विनाश की या हो फिर निर्माण।5।

वरिष्ठ साहित्यकार,नई दिल्ल-44
lalkalamunch@rediffmail.com


मंगलवार, 2 मई 2017

अन्त. मजदूर दिवस पर लाल कला मंच की ओऱ से काब्य निशा आयोजित

अन्तर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस पर लाल कला मंच की ओऱ से काब्य निशा आयोजित
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मजदूर दिवस पर लाल बिहारी लाल सम्मानित
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रवि शंकर
नई दिल्ली। अन्तर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस पर लाल कला मंच,नई दिल्ली  की ओऱ से एक काब्य निशा का आयोजन मीठापुर चौक पर किया गया जिसके मुख्य अतिथि वरिष्ठ समाजसेवी का. जगदीश चंद्र शर्मा तथा इस काब्य निशा की अध्यक्षता वरिष्ठ समाजसेवी लोक नाथ शुक्ला ने की। इस काब्य निशा की शुरुआत लाल बिहारी लाल के सरस्वती वंदना से हुई-ऐसा माँ वर दे विद्या के संग-संग सुख समृद्धि से सबको भर दे। इस कड़ी को आगे बढ़ाया के.पी.सिंह कुंवर ने मजदूरो के स्वाभिमान की ओर इशारा करते हुए कहा कि-हाथ और हिम्तवाले  है ,लक्ष्मी पास जरुर नहीं.,जैसा चाहो हमें हाँक लो,ऐसे भी मजबूर नहीं।। इस कड़ी को आगे बढाया-मास्टर नानक चंद जी ने कहा कि- भोर रुआंसा,संध्या काली है,उनके बासन में जगह खाली है। वही मा. गिरीराज गिरीश ने कहा कि- दीन मानव आज भी पाषाण – युग में रह रहे।हैं कहां आराम इनको दुख सारे सह रहे।। वही असलम जावेद ने कहा कि अगर हम एक हो जाये मिटा के फर्क यारों । फजा जन्नत निशा हो जाये अपने इस वतन के। वही इस कडी को आगे बढ़ाया आकाश पागल ,सुरेश मिश्र अपराधी,मा. कृपा शंकर ने। अंत में लाल कला मंच के संस्थापक सचिव दिल्ली रत्न लाल बिहारी लाल ने मजदूरों की दशा एवं दिशा पर दोहा के रुप में कहा कि- पल-पल करते चाकरी ,रोटी खातिर रोज। लाल जाने कब मिलेंगे,जीवन में सुख भोग।। अंत में दणिणी दिल्ली सी.पी.आई एम के सचिव  का. जगदीश चद्र शर्मा ने को मजदूर दिवस की महता पर प्रकाश डाला। उपाध्यक्ष मलखान सैफी ने भी मजदुरों के हीत की बात कही । अध्यक्षता कर रहे लोक नाथ शुक्ला ने सभी कवियों को हार्दिक धन्यवाद दिया।
 इस अवसर पर  कार्यक्रम के अंत में  लाल बिहारी लाल को आर्य समाज  सभा ,पश्चिमी दिल्ली की ओऱ से असलम जावेद एवं अतिथियों द्वारा  पटका एवं स्मृति चिन्ह से सम्मानित भी किया गया।

रविवार, 30 अप्रैल 2017

मजदूर दिवस पर लाल बिहारी लाल के कुछ दोहे


1 मई अन्त. मजदूर दिवस पर
 





 लाल बिहारी लाल के कुछ दोहे


दुनिया के हर काम को,देते सदा अंजाम।
चाहे कोई कुछ कहे, लेते नहीं विराम ।1।

इनके ही सम्मान की  बाते करते लोग।
इनके नहीं नसीब में,जीवन को ले भोग।2।

कहीं तोड़े पत्थर तो, कही तोड़ते हार।
लाल तरस नही खाये,अजब गजब ब्यवहार।3)

पल-पल करते चाकरी ,रोटी खातिर रोज।
लाल जाने कब आये,जीवन में सुख भोग।4।

मजदूरों के जोग से दुनिया बनी महान।
चाहे बात विनाश की या हो फिर निर्माण।5।

वरिष्ठ साहित्यकार,नई दिल्ल-44
lalkalamunch@rediffmail.com