गुरुवार, 4 फ़रवरी 2016

सात दिवसीय पुस्तक मेला का शुभारंभ

सात दिवसीय पुस्तक मेला का  शुभारंभ
लाल बिहारी लाल
बदरपुर।  खुशबू विकास सहयोगी समिति  एवं नेशनल बुक  ट्रस्ट के संयुक्त तात्वावधान में  सात दिवसीय पुस्तक प्रोन्नति प्रशिक्षण कार्य़शाला,  संगोष्ठी एवं पुस्तक मेला  का आयोजन बदरपुर क्षेत्र के ताजपुर पहाड़ी स्थित कोसमोस सीनियर सेकेन्डरी स्कूल में दक्षिणी दिल्ली के सांसद रमेश विधूड़ी द्वारा द्वीप प्रज्जवलन से शुरु हुआ।


        इस अवसर पर विभिन्न पुस्तक के प्रकाशकों ने अपनी-अपनी पुस्तकों का प्रदर्शनी लगा रखा है जिसमें क्षेत्र के सैकड़ो बच्चों ने पुस्तकों का अवलोकन किया तो कुछ ने अपनी-अपनी जरुरत के हिसाब से खरीदा भी। इस अवसर पर संस्था के संस्थापक राकेश कोहली, अध्यक्ष रक्षपाल शर्मा ,उपाध्यक्ष राम सुमेर 
तिवारी महासचिव अजय सिंह, सहसचिव वीर भान सिंह, ब्यवस्थापक शैलेन्द्र सारस्वत समाजसेवी लाल बिहारी लाल ,गौरव बिन्दल, .पी. मिश्रा  सहित कई गन्य मान्य मौयूद थे।

बुधवार, 13 जनवरी 2016

प्रदूषण से दिल्ली की जनता बेहाल-लाल बिहारी लाल लाल

प्रदूषण से दिल्ली की जनता बेहाल-लाल बिहारी लाल
लाल बिहारी गुप्ता लाल 



दिल्ली। आज दिल्ली विश्व में टोकियो के बाद सर्वाधिक प्रदूषित शहर है।सन 2014 में टोकियो की आबादी 3.80 करोड़ थी जबकि दिल्ली की 2.5 करोड़ आबादी  थी । बढ़ती हुई आबादी के दर को देख के कहा जा सकता है कि सन 2030 तक दिल्ली दूसरे नंबर पर ही प्रदूशित शहरों की श्रेणी में रहेगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन(WHO) एंव यूरोपियन यूनियन ने पी.एम. 2.5 प्रदूषण का स्तर प्रतिघन मीटर 25 माइक्रोग्राम निर्धारित किया है जबकि अमेरिका इससे भी कड़ा यह स्तर 12 माइक्रोग्राम निर्धारित किया है । दिल्ली में यह स्तर सामान्यतः 317 है कभी कभार इससे ज्यादा भी हो जाता है। यह स्तर अमेरिका से लगभग 30 गुना औऱ विश्व स्वास्थ्य संगठन के तय मानको से 15 गुना ज्यादा है। इससे कैंसर,दिल की बिमारियाँ,स्थमा एवं अन्य घातक बिमारियां होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। भारी यातायात,स्थानीय उद्योग,थर्मल पावर प्लांट एवं झूग्गियों में कोयले पर खाना बनाना दिल्ली में वायू प्रदूषण के स्तर को बढ़ाने में काफी योगदान करते है।
              दिल्ली में नीजि एवं कर्मशियल पंजीकृत गाड़ियों की संख्या 88 लाख है । जिसमें 29-30 लाख कारे तथा 55-56 लाख दुपहिया वाहन हैं। प्रदूषण फैलाने में सड़को एवं ट्रको के बाद दुपहिया वाहनों का 18-19 प्रतिशत तथा कारो का14-15 प्रतिशत दिल्ली की हवा खराब करने में योगदान है।दिल्ली में सन 2011 में दि.प. नि. के पास 6,000 से अधिक बसे थी सन 22012-13 तक यह घटकर 4,500 रह गई। आज इसमें भी 500-600 वसे प्रतिदिन रोड पर ब्रेक डाउन रहती है जिससें दिल्ली की जनता काफी परेशान है।सरकार पिछले 3-4 साल में कोई खास पहल नहीं किया जिससें दूपहिया एवं नीजि वाहनों पर आत्मनिर्भरता बढ़ी है। अतः दिल्ली की जनता प्रदूषण से काफी बेहाल है। आज जरुरत है कि इससे निजात के लिए कुछ स्थायी समाधान किया जाये। 
    भारत की भूमी दुनिया की भूमि के 2.4 प्रतिशत जबकि आबादी लगभग 18 प्रतिशत है । इस तरह प्रति ब्यक्ति संसाधनों पर अन्य देशों की वनिस्पत भारत में काफी दबाव है जिससे तेजी से शहरीकरण एवं औद्योदिकरण हो रहा है। सन 1947 में वर्ष 2002 तक पानी की उपलब्धता 70 प्रतिशत घटकर 1822 घनमीटर प्रति ब्यक्ति रह गया है। अगर इसी तरह संसाधनों का दोहन तेजी से होता रहा तो मावव जल के बिना मच्छली की तरह तड़प-तड़प कर एख दिन जान दे देगा। भारत में वनों का औसत भोगोलिक क्षेत्रफल 18.34 प्रतिशत है जो की समान्य 33 प्रतिशत के मनदंड से काफी कम है। इसमें भी 50 प्रतिशत म.प्र.(20.7) और पूर्वोतर के राज्यो में (25.7) प्रतिशत है वाकी के राज्य  वन के मामलें में काफी निर्धन है। वन की कमी से जलवायु परिवर्तन हो रहा  है। तभी कुछ दिन पहले तामिलनाड्ड़ू जल तांडव से ग्रस्त था।
   प्रदूषण के मामलें में केन्द्र एवं राज्य सरकारें नियम तो बना रखा है पर इस पर सख्ती से अमल नहीं हो पाता है यही कारण है की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का ग्राफ काफी तेजी से बढ़ा है। यहा पर सार्वजनिक परिवहन ब्यवस्था काफी लचर है।आम आदमी की नई सरकार बनी
थी तो लोगो ने सोचा की काफी सुधार होगा पर यह सरकार पिछली सरकार से भी फिसड्डी साबित हुई। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश जस्टीश टी.एस. ठाकुर के फटकार पर दिल्ली सरकार ने फौरी तौर पर 1 जनवरी 2016 से 15 दिनों के लिए गाड़ियो के ओड एंव इभेन नंबर एक-एक दिन चलाने के सुझाव पर पूरी दिल्ली चली पर इ दिनों सरकारीएवं नीजि स्कूलों को बंद रखा गया तथा हजारों नीजि वसे भी चलायी गई पर नतीजा कुछ खास नहीं निकला। क्योंकि यह स्थायी समाधान नही हो सकता है। इसलिए जरुरी है कि दिल्ली में सार्वजनिक परिवहन ब्यवस्था को दुरुस्त किया जाये ताकि लोगो को नीजि गाड़ियों से आत्मनिर्भरता कम हो सके  और नियमों पर सख्ती से अमल हो और लोगो को पर्यावरण के प्रति जागरुक भी किया जाये। राजनीतिज्ञों को वोट की राजनीति से बाहर आकर देशहित एवं समाजहित में कुछ करने का साहस दिखाना ही  होगा तभी देशवासियो एवं दिल्ली वासियों का भला हो सकता है।
     सुप्रीम कोर्ट के रवैये से शायद  केन्द्र एवं राज्य सरकार  जनता के हितो की रक्षा के लिए कुछ ठोस कदम उठाये। इसकी संभावना प्रबल है पर अभी भी सरकारी रवैया एवं जनता के रुख को देखकर दिल्ली से प्रदूषण के दानव को भगाना इतना आसान नहीं हैं।

लेखक- लाल कला मंच के सचिव एवं पर्यावरणप्रेमी हैं।
फोन-09868163073/07042663073


बुधवार, 2 दिसंबर 2015

लाडली फांउडेशन द्वारा 51 गरीब कन्याओं की शादी में हाछ बटाने पहूँचे-लाल बिहारी लाल

लाडली फांउडेशन द्वारा 51 गरीब कन्याओं की शादी समपन्न
लाल बिहारी लाल






नई दिल्ली। लाडली फांउडेशन ट्रस्ट ,नई दिल्ली द्वारा आयोजित 51 गरीब कन्याओं की शादी  को छतरपुर मंदिर के प्रागन में आयोजित की गई। इस अवसर पर हमारा मैट्रो  की ओर से लाल बिहारी लाल ने भी इस शादी में हाथ बटाने पहूँचे थे।। इनके अलावे बदरपुर से समाजसेवी आत्माराम पाचाल,,तेजी पांचाल,अखिलेख सिंह,ददन कुमार एवं दूबे जी भी उपस्थित थे। आत्माराम पांचाल संस्था के बदरपुर के प्रभारी एवं सहयोगी भी है। इस अवसर पर दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शिला दीक्षित,भाजपा के सीडर एवं मिस यूनीवर्स रुबी यादव,दिल्ली महिला आयोग के अध्यक्ष स्वाति मालिवाल,सहित कई गन्य मान्य हस्तिया भी मौयूद थी। इस अवसर पर विभिन्न स्कूल के बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में दिल्ली सहित विभिन्न प्रदेशों  के 51 जोड़ा ने हिस्सा लिया। बदरपुर से 3 जोड़ा ने हिस्सा लिया जो क्रमशः पाडाल संख्य़ा -11 में गगन संग अवन्तिका,पाडाल संख्या-12 में गीता संग राकेश गिरी तथा पांडाल संख्या-38 में सुखवती संग राजकुमार का विवाह हजारों लोगों की उपस्थिति में भब्य औऱ सामूहिक रुप से संपन्न हुआ।
    इसमें संस्था की ओर से प्रत्येक गरीब वर बधु की ओर से 5100 रु नकद तथा एक लाख रुपये की समान दी गई जिसमें सोनें का रिंग, चाँदी की पाजेब तथा उषा की सिलाई मशीन एवं स्टील की आलमिरा आदी सहित बर-वधू को कपड़ा शामिल है।अन्त में   संस्था के अध्यक्ष देवेन्द्र गुप्ता ने आये हुए सभी अतिथियों व सहयोगियो को हार्दिक धन्यवाद दिया।
प्रस्तुति-सोनू गुप्ता
अध्यक्ष-लाल कला मंच,नई दिल्ली
फओन -09868163073

शुक्रवार, 27 नवंबर 2015

हिन्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय कवि - हरिवंश राय बच्चन

27  नवम्बर जन्म दिवस पर विशेष

हिन्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय कवि  - हरिवंश राय बच्चन
लाल बिहारी लाल
नई दिल्ली। बच्चन का जन्म 27 नवम्बर 1907 को इलाहाबाद से सटे प्रतापगढ़ जिले के एक छोटे से गाँव बाबूपट्टी में एक कायस्थ परिवार मे हुआ था। इनके पिता का नाम प्रताप नारायण श्रीवास्तव तथा माता का नाम सरस्वती देवी था। इनको बाल्यकाल में 'बच्चन' कहा जाता था जिसका शाब्दिक अर्थ 'बच्चा' या संतान होता है। बाद में ये इसी नाम से मशहूर हुए। इन्होंने कायस्थ पाठशाला में पहले उर्दू की शिक्षा ली जो उस समय कानून की डिग्री के लिए पहला कदम माना जाता था। उन्होने प्रयाग विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम. . और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य के विख्यात कवि डब्लू बी यीट्स की कविताओं पर शोध कर पीएच. डी.(1952-1955) पूरी की फिर स्वदेश आ गये और भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में हिन्दी विशेषज्ञ रहे। अनन्तर राच् सभा के मनोनीत सदस्य। बच्चन जी की गिनती हिन्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय कवियों में होती है।
     1926 में 19 वर्ष की उम्र में उनका विवाह श्यामा बच्चन से हुआ जो उस समय 14 वर्ष की थीं। लेकिन 1936में श्यामा की टीबी के कारण मृत्यु हो गई। पांच साल बाद 1941 में बच्चन ने एक पंजाबन तेजी सूरी से विवाह किया जो रंगमंच तथा गायन से जुड़ी हुई थीं। इसी समय उन्होंने 'नीड़ का पुनर्निर्माण' जैसे कविताओं की रचना की। तेजी बच्चन से अमिताभ तथा अजिताभ दो पुत्र हुए। अमिताभ बच्चन एक प्रसिद्ध अभिनेता हैं। तेजी बच्चन ने हरिवंश राय बच्चन द्वारा शेक्सपियर के अनूदित कई नाटकों में अभिनय का काम किया है।
          हरिवंश राय श्रीवास्तव "बच्चन हिन्दी भाषा के एक कवि और लेखक थे।'हालावाद' के प्रवर्तक बच्चन जी हिन्दी कविता के उत्तर छायावाद काल के प्रमुख कवियों मे से एक हैं। उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति मधुशाला है। भारतीय फिल्म उद्योग के प्रख्यात अभिनेता अमिताभ बच्चन 
उनके सुपुत्र हैं।

   उनकी कृति दो चट्टाने को 1968 में हिन्दी कविता का साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मनित किया गया था। इसी वर्ष उन्हें सोवियत लैंड नेहरु पुरस्कार तथा एफ्रो एशियाई सम्मेलन के कमल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। विरला फांडेशन ने उनकी आत्मकथा चार खंडों के लिये उन्हें पहला सरस्वती सम्मान (1991) दिया था। बच्चन को भारत सरकार द्वारा 1976 में साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
उनकी प्रमुख कृतियों में-

कविता संग्रह- तेरा हार (1929), मधुशाला (1935), मधुबाला (1936), मधुकलश (1937), निशा निमंत्रण (1938). एकांत संगीत (1939), आकुल अंतर (1943), सतरंगिनी (1945), हलाहल (1946),. बंगाल का काव्य (1946), खादी के फूल (1948), सूत की माला (1948), मिलन यामिनी (1950), प्रणय पत्रिका (1955), धार के इधर उधर (1957), आरती और अंगारे (1958), बुद्ध और नाचघर (1958), त्रिभंगिमा (1961), चार खेमे चौंसठ खूंटे (1962), दो चट्टानें (1965), बहुत दिन बीते (1967), कटती प्रतिमाओं की आवाज़ (1968), उभरते प्रतिमानों के रूप (1969), जाल समेटा (1973) आदी।

आत्मकथाओं में- क्या भूलूँ क्या याद करूँ (1969), नीड़ का निर्माण फिर (1970),. बसेरे से दूर (1977),बच्चन रचनावली के नौ खण्ड (1983), दशद्वार से सोपान तक (1985) आदी सहित सौकड़ो छिटपूट कवितायें बिभिन्न स्र्तरो एवं पत्र पत्रिकायें में प्रकाशित हुई थी।

      इस लोकप्रिय कवि का निधन 18 जनवरी 2003 को मुम्बई में लंबी बिमारी के कारण हुआ।
सचिव –लाल कला मंच,बदरपुर,नई दिल्ली

                  

मंगलवार, 10 नवंबर 2015

बिहार में मोदी की नहीं गली दाल-लाल बिहारी लाल

बिहार में मोदी की नहीं गली दाल-लाल बिहारी लाल
 
नई दिल्ली। सन् 2014 के राष्ट्रीय चुनाव में जनता ने महँगाई और भ्रष्टाचार के खिलाफ कांग्रेस गठबंधन को सता से हटाकर भाजपा को प्रचंड बहुमत से जीताया था। भाजपा ने नारा दिया था नरेन्द्र मोदी आयगे अच्छे दिन लायेगे। इस अच्छे दिनों की आश में गुजरात के विकास में मोदी के हाथ को देखकर महाराष्ट्र और हरियाणा की जनता ने भी प्रचंड बहुमत दिया।मोदीका काम को धीरे-धीरे लोगो ने हकीकत में देशना शुरु किया और इनके काम का प्रदर्शन और केजरीवाल के वादों के पीछे दिल्ली में जनता ने मोदी को हरा दिया। दिल्ली के बाद बिहार में चुनाव हुआ पर पिछलो 17-18 महिनों में नरेन्द्र मोदी का तिलिस्म धीरे-धीरे देश में कम होने लगा क्योंकि जनता अच्छे दिनों की आश में आज भी पलके बिछायें इंतजार कर रही है।
     देश की जनता मोदी सरकार से उम्मीद लगायो बैठी थी कि भाजपा देश में महँगाई कम करेगी पर सिवाये कागजों के जमीनी स्तर पर महँगाई कम नहीं हुई है। देश में निवेश के लिए पी.एम.ने सारी दुनिया का खाक छानने में करोड़ो स्वाहा कर दिया पर देश में निवेश के लायक माहौल नहीं बना पाये इसमें भी पीछे रहे। किसानों के हितों को नजरअंदाज करके तीन बार भूमि अधिग्रहन अध्यादेश लाये पर कामयाब नहीं रहे।तेल पर एक्साइज ड्यूटी ,रेल भाड़ा आदी बढ़ा कर जनता पर और बोझ डाल दिया। युवायों को सरकारी रोजगार के लिए भी कोई पद सृजित नहीं कर पाये। महँगाई,बेरोजगारी,भ्रष्टाचार जैसी विकराल समस्याओं से देश आज भी त्रस्त है।
   सपने दिखाकर ,झूठे वादों से देश नहीं चल सकता यह बिहार के जनता ने उन्हें बता दिया। काग्रेस ,जनतादल (यू)एवं राजद के महा गठबंधन को जीता दिया. ऐन चुनाव के दौरान ही देश के आम जनता की थाली से दाल गोल हो गयी ,प्याज भी कम नहीं रुलाया अब सरसों का तेल रुला रहा है। मोदी सरकार जमीनी स्तर पर काम करने में, गरीव जनता एवं देश के आम वर्ग की वात करनें में नकाम रही ।इसलिए बिहार में मोदी की दाल नही गल पायी और भाजपा को हार का मुँह देखना पड़ा।
सचिव-लाल कला मंच,बदरपुर ,नई दिल्ली
  


रविवार, 8 नवंबर 2015

भोजपुरी कविता -फेंकुआ हार गइल-लाल बिहारी लाल

फेंकुआ हार गइल


*लाल बिहारी लाल

फेंकुआ हार गइल
जनता जीत गइल
झूठ वादा के पोल खुलल
तीर चलल ,लालटेन जलल
हाथ मुखर भइल...
फेंकुआ हार गइल
भाईचारा के बल मिलल
केतना के मुँह ताला जड़ल
महँगाई मार गइल.....
फेंकुआ हार गइल
बीत गइल दिन कई महिना
जन-जन को रोज चुए पसीना
बिहार जीत गइल....
फेंकुआ हार गइल
"लाल बिहारी" के एके सजा
झूठ के जनता मजा चखा
धन्य-धन्य बिहार भइल..
फेंकुआ हार गइल
*सचिव-लाल कला मंच,नई दिल्ली.

रविवार, 25 अक्टूबर 2015

वाणिज्य एंव उद्योग मंत्रालय द्वारा आयोजित हिन्दी पखवाड़ा में लाल बिहारी गुप्ता लाल

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय  के औद्योगि नीति संवर्धन विभाग द्वारा आयोजित हिन्दी पखवाड़ा के दौरान आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं में  लाल बिहारी गुप्ता लाल  अपने सहयोगियों के साथ।