शुक्रवार, 29 जुलाई 2016

महान एवं जुझारु लेखिका महाश्वेता देवी

दीन-दुखियों एवं आदिवासियों की महान लेखिका-महाश्वेता देवी पर विशेष

लाल बिहारी लाल

पानी की तरह श्वेत जो हर रंगो में समाहित हो जाता है उसी के अनुरुप ता-उम्र दीन दुखियों के लिए तत्पर खासकर आदिवासी एंव पिछड़ों के लिए देवी के रुप में काम करने वाली शख्सियत का नाम है-महाश्वेता देवी। इनका जन्म तत्कालिन ईस्ट बंगाल के ढाका शहर में 14 जनवरी 1926 को हुआ था।वर्तमान में ढ़ाका बंगलादेश की राजधानी है।
  इनके पिता मनीष घटक भी कवि एंव उपन्यासकार थे। उनकी माता धारित्री भी लेखिका एवं समाजसेविका थी। इनकी प्रारंभिक शिक्षा ढ़ाका में ही हुई। भारत विभाजन के समय इनका परिवार पश्चिंम बंगाल में आकर बस गया सन 1939-44 तक कोलकाता में इनके पिता जी को सात बार घर बदलना परा। सन 1942 में सारे घऱ का काम-काज करते हुए मैट्रीक की परीक्षा पास की। उसी वर्ष 1942 में अग्रैजो भारत छोड़ो आन्दोलन से काफी प्रभावित हुई। 1943 में आकाल पड़ा तो वह अपने सहयोगियों के साथ इसमें काफी बढ़चढ़कर पीडितो को सहयोग किया। बाल्यकाल में ही पारिवारिक दायित्व का निर्वहन करते हुए सन 1944 में कोलकाता के आसुतोष कालेज से इंटरमीजियट की परीक्षा पास की। पारिवारिक दायित्वों का वहन छोटी बहन ने संभाल लिया तो बाद में आपने विश्वभारती शांति निकेतन से अंग्रैजी विषय में सन 1946 में स्नातक प्रतिष्ठा(बी.ए.) पास किया। इसी बीच वहां देश के संपादक सागरमय घोष आते जाते थे तो उन्होने महाश्वेता को देश में लिखने के लिए कहा देश में उनकी तीन कहानिया प्रकाशित हुई प्रत्येक कहनी के लिए पारिश्रमिक के रुप मे 10 रु. मिले।
       कोलकाता विश्वविद्यालय से अंग्रैजी साहित्य में स्नातकोतर (एम.ए.)करने के बाद शिक्षक एवं पत्रकार के रुप में अपना जीवन शुरु किया। तदुपरान्त कोलकाता विश्वविद्यालय में अंग्रैजी व्याख्याता के रुप में नौकरी भी किया ।सन 1984 मे लेखन पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए सेवानिवृति भी ले ली। महाश्वेता जी ने कम उम्र में ही लेखनी को गह लिया । इन्हें साहित्य विरासत में मिला था क्योंकि इनकी दादी माँ एवं माँ विभिन्न किताबे एंव पत्र-पत्रिकायें पढ़ने के दिया करती थी और समय समय पर उन्हे क्रास चेकिंग भी किया करती थी।इसके अलावे पिता जी के पुस्तकालय से भी कई किताबे पढ़ती थी। इनकी प्रारंभिक रचनायें कविता के रुप में विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्राथमिकता से छपने लगी। इनकी पहली रचना सन 1956 में झांसी की रानी है । झासी की रानी के लिए देश के संर्दभित क्षेत्रों(बुंदेल खंड के क्षेत्रों में-सागर, जबलपुर,पूना, इंदौर,ललितपुर के जंगलो,झांसी ग्वालियर,कालपी आदी) में दौरा करने के बाद लिखी थी।  इसके उपरान्त इन्होने कहा था कि अब मैं उपन्यासकार औऱ कथाकार बन सकती हूँ। फिर 1957 में उपन्यास नाटी आई। पिछले चालीस बर्षों में छोटी-छोटी कहानियों के बीस संग्रह और लगभग सौ के करीब उपन्यास प्रकाशित हो चुके है। इनकी सभी  मूल रचनाये बंगला में थी जिसका अंग्रैजी एवं हिन्दी रुपानतरण (अनुवाद) किया गया है। इनकी रचना 1084 की माँ पर पहलाज निहलानी ने फिल्म भी बनाया है।इस फिल्म से जया बच्चन ने पुन 17 साल बाद फिल्मों में वापसी की थी। इनके समाजिक सरकोकार एवं अद्वीतीय लेखन के लिए विभिन्न पुरस्कार भी मिले हैं। इनका रचनाओ  में सामंती ताकतों के शोषण ,उत्पीड़न,छल-कपट के विरुद्ध पीडितो एवं शोषितों का संघर्ष अनवरत जारी रहता है। आदिवासियो के सशस्त्र विद्रोह की महागाथा  अरण्य अधिकार के लिए इन्हें सन 1979 में साहित्य अकादमी पुरस्कार,1986 में पद्मश्री,1996 में ज्ञानपीठ पुरस्कार,1997 में रेमन मैग्सेसे अवार्ड और 2006 में पद्म विभूषण सम्मान मिला। इन्होने लेखन के साथ-साथ आदिवासियों के लिए भी काफी काम किया है खास कर पश्चिम बंगाल के लोधास औऱ शबर जनजातियों के लिए काम किया। इस महान उपन्यासकार का निधन 28 जुलाई 2016 को कोलकाता में हुई।
एक दोहा के रुप मे कहना हो तो-
रचा साहित्य बंगला में,हिन्दी हुई अनुवाद।
श्री वृद्धि साहित्य का,करती थी दिन रात।।
                  (लाल बिहारी लाल)

इनकी मुख्य रचनाये-
झांसी की रानी (शुरुआत की तीन कृतिया स्वतंत्रता पर आधारित थी)
लघु कथा- मीलू के लिए,मास्टर साहब
कहानियां –स्वाहा,रिपोर्टर, वांटेड( इनकी नौ में से आठ कहानियां आदिवासियो पर आधारित है।)
उपन्यास- नाटी, अग्नीगर्भ,झांसी की रानी, हजार चौरासी की माँ,मातृ छवि,जली थी अग्नीशिखा,जकड़न,अरेण्य अधिकार।
आलेख- अमृत,संचय ,घहराती घटाएं,भारत में बंधुआ मजदूर,ग्राम वंगला, जंगल के दावेदार आदी।




 

सचिव -लाल कला मंच,नई दिल्ली
फोन-9868163073 या 7042663073











बुधवार, 27 जुलाई 2016

बिश्व हेपेटेइटिस डे पर जागरुकता एवं कवि सम्मेलन आयोजित


बिश्व हेपेटेइटिस डे पर जागरुकता एवं कवि सम्मेलन आयोजित
सोनू गुप्ता



नई दिल्ली। नई दिल्ली के ओखला फेड 1 के वस्ती विकास केन्द्र,कल्याण विहार में विश्व हेपेटाइटिस(पिलिया) दिवस के अवसर पर होलिस्टिक एवार्नेस मिशन, नई दिल्ली के तात्वावधान में  सेहत के प्रति  जागरुकता के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन समाजसेवी एच.आर साहनी की अध्यक्षता में किया गया। जिसमें हेपेटाइटिस के कारण एवं निवारण पर विस्तार से चर्चा डा. के. के. तिवारी,डा. रिजवान आलम एंव दिवाकर मिश्रा ने किया।
     वही कवियो ने भी सेहत के प्रति लोगो को सजग किया। जिसमें- वरिष्ठ कवि नानक चद,आकाश पागल, जावेद असलम , गिराराज शर्मा गिरीश ,जे.पी. गौतम एंव लाल बिहारी लाल ने कहा-खान पान की कमी से रोज बिमारी होय।खाना खाओ समय पर ,कोई रोग न होय।। संचालन कवियित्रि कोमल चौबे ने किया। इस अवसर पर संस्था की ओर से सभी अतिथियो एवं कवियो को  सम्मान एक मोमेटो देकर किया गयाइस असर पर आर.एन गोस्वामी,डा. आर कांत,मि.शशि तिवारी आदी सहित सौकड़ो लोग मौयूद थे।
अध्यक्ष- लाल कला मंच,नई  दिल्ली




मंगलवार, 26 जुलाई 2016

बरसात पर चुनिंदा कवियो एवं शायरों के दोहें/शेर


सेहत पर
लाल बिहारी लाल के कुछ दोहे

खान-पान की कमी से, रोज बिमारी होय।
खाना खाओं समय पर,रोग कभी ना होय।1।

रात को सोना समय पर,सुबह करो ना देर।
वरना तुम्हें बिमारी,  लेगा कोई घेर ।2।

हाथ खाने से पहले ,मुँह खाने के बाद।
निश-दिन धोना सीख लो,जीवन रहे अबाद।3।

मेहनत करना सीख लो,रहे बिमारी दूर।
जीवन में आनंद लाल,काया सुख भरपूर।4।

क्रोध करना छोड़ दो ,सीखो करना माफ।
लाल उसी दिन बिमारी, हो जायेगा हाफ।5।

मस्त रहो ब्यस्त रहो ,फटके न कोई रोग।
लाल संग हो खुशहाल, जीवन को लो भोग।6।

परम साध संतोष है सब साधों में खास।
लाल अमल कर देख लो जीवन आये रास।7।

हरा साग सब्जी खायें,रहें सुखी दिन रात।
बिमारी सब दूर रहे,लाल मिले सौगात।8।



मंगलवार, 12 जुलाई 2016

आबादी निशदिन बढे लड़की कम पर होय ....लाल बिहारी लाल...........


लाल कला मंच द्वारा विश्व जनसंख्या दिवस पर जागरुकता एवं काब्य गोष्ठी का आयोजन किया
 लाल बिहारी लाल
नई दिल्ली । दक्षिणी दिल्ली बदरपुर के मीठापुर चौक पर विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर लाल कला मंच की ओर से जागरुकता एवं काब्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसका मुख्य उद्देश्य जनसंख्या विस्फोट से होने वाले प्रभाव को कम करना एवं जनसंख्या के दर को कैसे कम किया जा सकता है पर चर्चा करना था।  कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों का स्वागत संयोजक लाल बिहारी लाल एव लाल कला मंच के अध्यक्ष सोनू गुप्ता ने अतिथियों को माल्यार्पण  एव गुलदस्ता भेट कर किया इस गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ समाजसेवी राजेन्द्र अग्रवाल  ने किय़ा मुख्य अतिथि के रुप में वरिष्ठ समाजसेवी का.. जगदीश चंद्र शर्मा मौयूद थे। इस कार्यक्रम  का संचालन शिव प्रभाकर ओझा ने किया। इस अवसर पर सभी कवियो एवं वक्ताओं ने विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर शपथ लिया की तन मन कर्म एवं बचन से आबादी  कम करने के लिए प्रयास करुगा।
    काब्य गोष्ठी की शुरुआत वरिष्ठ साहित्यकार जय प्रकाश गौतम द्वारा सरस्वती वंदना से शुरु हुई।जिसमें दिल्ली एवं एन.सी.आर के  दर्जनों कवियों ने  अपनी-अपनी कविताओं के माध्यम से जन संख्या कम करने एवं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ एवं वीर रस के कवियों ने देश के भ्रष्ट नेताओं पर व्यंग कसते हुए देशभक्त के अमर सपूतों को भी नमन किया ।उपस्थित कवियों में डा.सत्य प्रकाश पाठक,डा.कृष्णानंद तिवारीलाल बिहारी लाल ने कहा-आबादी निश दिन बढ़े लड़की कम पर होय दिशहित समाज में यह अदभूत संकट होय।।अमृता रानी,विनोद कुमार,शिव प्रभाकर ओझा,गिरि राज गिरीश,मा.कृपा शंकर, राजेन्द्र अग्रवाल, डा.के.के. तिवारी
,अशलम जावेद  आदि ने अपनी सुमधुर कविताओं से समा बांध दिया जिससे पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गुंजायमान था। अंत में संस्था के अध्यक्ष सोनू गुप्ता ने सभी आगन्तुको का हार्दिक धन्यवाद दिया।
सचिव-लाल कला मंच,नई दिल्ली








शुक्रवार, 8 जुलाई 2016

जनसंख्या पर दोहा

जनसंख्या पर दोहा
 *लाल बिहारी लाल


दो चार आठ की तरह, बढ़े तमाम लोग।
संसाधन चरमरा रहे, मुश्किल होय भोज।1।

इसे रोकने का जतन,करना होगा आज।
वरना आने वाला कल ले आयेगा खाज।2।

जल वायु की आपूर्ति, बाधित होगी आज।
इसके असर से दुखीः,होगा सकल समाज।3।

पर्यावरण अब हो रहा, निशदिन रोज खराब।
इसे बचाने के लिए,विकसित करे दोआब।4।

ताल-तलैया सुख रहे,चिडियाँ हुई उदास।
कही सुनामी भूकंप,बने काल के ग्रास।5।


आबादी निशदिन बढ़े ,लड़की पर कम होय।
देश हित समाज में यह अदभुत  संकट होय।6।


*         सचिव-लाल कला मंच, नई दिल्ली
       फोन-9868163073 या 7042663073








  

विकास के लिए जनसंख्या दर को कम करना होगा- लाल बिहारी लाल ।

      विश्व जनसंख्या दिवस पर विशेष(11 जुलाई)

विकास के लिए जनसंख्या दर को कम करना होगा

लाल बिहारी लाल ।

सन 1987 में विश्व  की जनसंख्या 5 अरब को पार गई तभी से सारी दुनिया में जनसंख्या रोकने के लिए जागरुकता की शुरुआत के क्रम में 1987 से हर वर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाते हैं।
     आज सारी दुनिया की 90% आबादी इसके 10% भाग में निवास करती है। विश्व की आबादी कही 11-50/वर्ग कि.मी. है तो कही 200 वर्ग कि.मी.है।जनसंख्या वृद्धि के कई कारण है जो जनसंख्या वृद्धि को प्रभावित करते हैं।उनमें भौगोलिक, आर्थिक एवं सामाजिक तथा सांस्कृतिक कारक प्रमुख है।भोगोलिक कारकों में मुख्य रुप से मीठे एवं सुलभ जल की उलब्धता, समतल एवं सपाट भूआकृति, अनुकुल जलवायु ,फसल युक्त उपजाऊ मिट्टी आदी  प्रमुख है।
                  आर्थिक कारकों में खनिज तत्व की उपलब्धता के कारण औद्योगिकरण तथा इसके फलस्वरुप शहरीकरण क्योंकि आधुनिक युग में स्वास्थ्य ,शिक्षा,परिवहन,बिजली तथा पानी आदी की समुचित उपलब्धता के कारण औद्योगिक कल-कारखाने में काम करने के लिए कर्मचारियो की जरुरत को कारण यहा की आबादी सघन होते जा रही है। इसके अलावे भी सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिवेश उतरदायी है। उक्त कारकों  के अलावे जनसंख्या वृद्दि दर भी आज काफी है।पृथ्वी पर जनसंख्या आज 600 करोड़ से भी ज्यादा है।इस आकार तक जनसंख्या को पहूँचने में शताब्दियां लगी है।आरंभिक कालों में विश्व की जनसंख्या धीरे-धीरे बढ़ी।
     विगत कुछ सौ बर्षों के दौरान ही जनसंख्या आश्चर्य दर से बढ़ी है। पहली शताब्दी में जनसंख्या 30 करोड़ से कम थी।16वी.एवं 17वी शताब्दी में औद्योगिक क्रांति के बाद तीब्र गति से जनसंख्या की वृद्दि हुई और सन 1750 तक 55 करोड़ हो गई। सन 1804 में 1 अरब,1927 में 2 अरब ,1960 में 3 अरब,1974 में 4 अरब तथा 1087 में 5 अरब हो गई। विगत 500वर्षों में प्रारंभिक एक करोड़ की जनसंख्या होने में 10 लाख से भी अधिक वर्ष लगे परन्तु 5 अरब से 6 अरब होने में 1987 से 12 अक्टूबर 1999 तक मात्र 12 साल लगे। इसी तरह 31 अक्टूबर 2011 को 7 अरब हो गई। आज विश्व की जनसंख्या मार्च 2016 तक 7 अरब 40 करोड के आस पास थी। परन्तु 8 जुलाई 2016 को संध्या 5 बजे तक विश्व की जनसंख्या 7,43,48,56,776 थी।
   भारत आज 120(1,29,88,21,165) करोड़ से अधिक आबादी के साथ चीन(1,41,05,42,192) के बाद दूसरे नंबर पर है अगर इसी रफ्तार से भारत की जनसंख्या बढ़ती रही तो वह दिन दूर नहीं जब भारत चीन को पीछा छोड़कर आबादी के मामलों में सारी दुनिया में  नंबर वन हो जायेगा। जबकि भूमि के मामले में भारत विश्व का 2.5% है और आबादी लगभग 17-18 % है। इस जनसंख्या विस्फोट से समाजिक ढ़ाचा परिवहन,शिक्षा स्वास्थ्य, बिजली , पानी आदी की मात्रा सीमित है जो समस्या बनेगी। इससे प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव बढ़ेगा और अनेक समस्याय़े खड़ी हो जायेगी। जिससे देश में सामाजिक ढाचा छिन्न-भिन्न(असहज) होने की संभावना बढ़ेगी। अतः आज जनसंख्या रोकने के लिए।सबको शिक्षा होनी चाहिये जिससे इसे कम करने में मदद मिलेगी सिक्षा के साथ-साथ जागरुकता की सख्त जरुरत है ताकि देश उनन्ति के मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ सके।
*      सचिव-लाल कला मंच, नई दिल्ली
   फोन-9868163073 या 7042663073





मंगलवार, 5 जुलाई 2016

सातवाँ वेतन आयोग कर्मचारियों के लिए खाली पिटारा-जे.पी.पाण्डे

सातवाँ वेतन आयोग रिर्पोट मंजूर होते ही क्रियाओं एंव प्रतिक्रियाओं का सिलसिला बड़ी तेजी से चल रहा है। जहाँ हर ओर सरकारी कर्मचारी तनखाह से नामात्र की बढोतरी से नाखुस है वही दूसरे लोग इसे देश पर एक अतिरिक्त बोझ के रूप में देख रहे हैं। वित्त मंत्री अरूण जेटाली के अनुसार इससे सरकारी  खजाने पर 102,100 करोड़ रूपये का बोझ बढेगा किन्तु इससे घरेलू बचत और माँग में बढोतरी से अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा।  देश भर में लगभग 43 लाख सेवा में  एंव 57 लाख पेनशर कर्मचारी कार्यरत हैं, जो वर्षों से वेतन आयोग का इंतज़ार करते हैं। सरकारी कर्मचारी भी इस समाज का हिस्सा है, उन्हें भी एक सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार है। सरकारी नौकरी में अभी भी सबसे ज्यादा मांग है। उदारवादी अर्थव्यस्था के दौर में भी सबसे ज्यादा सरकारी नौकरी के लिए ही पढाई करते हैं। यधपी सरकारी कर्मियों के अर्थव्यस्था और भ्रष्टाचार के किस्से जगजाहिर है इसके बाबजूद सरकार जीवन के सभी क्षेत्रों में मौजूद है, प्रशासन, शिक्षा, परिवहन,रेलवे,कर,पुलिस,चिकित्सा सहित अन्य क्षेत्रों में अपनी मैजूदगी दर्ज करता है। शिक्षा के क्षेत्र में आई.आई.टी.आई.एम चिकित्सा के क्षेत्र में एम्स परिवहन के क्षेत्र में रलवे का कोई सानी नहीं है। सरकारी कर्मियों की बात तो छ्ठे वेतन आयोग के पहले नाम मात्र की तन्खाह पर जीने वाले ऐसी प्रजाती थी जो पे-चेक-टू पे चैक पर गुजारा करते थे। महिने के अंतिम तिथि के इंतजार में घर लगभग बड़े खर्च स्थगित रहते थे रेलवे में कर्मचारियों को नगद भुगतान देने की प्रथा थी। जब मैंने पहली बार बैंक में वेतन भेजने का प्रयास किया तो कर्मचारियों की तरफ से बड़ा ही मजेदार तर्क दिया जाता था कि नगद वेतन मिलने से घर कुछ ही दिन तो रौनक रहती है उसके बाद तो वेतन घर में खर्चे,ईलाज,बच्चों की पढाई घर की हाला अदा करने में खत्म हो जाती है।छ्ठें वेतन आयोग के उपरांत वेतन में सम्मान-जनक बढोतरी हुई वेतन के अलावा चाइल्ड केयर लीव,चिल्ड्रेन ऐजुकेशन अस्सिटेंस,ट्रांसर्पोट अलाउंस,ग्रेड पे सिस्टम, उच्चतम वेतनमान एंव निम्नतम वेतन में अंतर को घटाना आदि की शुरूआत ये कदम ऐसे थे जिनसे सरकारी कर्मचारियों को बहुत सारी सुविधायें मिली, जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार आया तथा उनकी मानसिक सोच भी बदली इससे उनके काम की गुणवत्ता व क्षमता में सुधार भी आया। यहाँ तक सातवें वेतन आयोग का प्रश्न है इससे अब तक की सबसे कम बढोतरी हुई है। पाँचवे वेतन आयोग में मूल वेतन 50 प्रतिशत छ्टे वेतन आयोग में 40 प्रतिशत एंव सातवे वेतन आयोग में मात्र 14 प्रतिशत की वृद्वी हुई है। मूल वेतन में 2.57 गुना बढोतरी की बात तो ठीक है लेकिन वास्तविक रूप से वेतन पे मात्र की वृद्वी हुई है। श्री रईश अहमद जो पिछ्ले 15 साल से नौकरी में हैं वर्तमान में कुल वेतन का 23,715/- रूपये है जबकि वेतन आयोग की सिफारिस के बाद वेतन 27,200/- हो जायेगा। इस प्रकार प्रतिमाह रूपये 3,474/- की वृद्वी हुई है जिससे 341/- रूपये टैक्स में कट जायेगा और मात्र 3,126/-(13.18 प्रतिशत) की वृद्वी हुई है। यदि सरकारी व्यवस्था ठीक करनी है तो भले ही सरकारी कर्मचारियों की संख्या कम की जाये किन्तु जो कर्मचारी है उनको र्प्याप्त वेतन, अच्छी सुविधायें,अच्छा वातावरण एंव वर्किग माहौल और कम से कम बाहरी हस्तक्षेप एंव दबाव का माहौल देना चाहिए। सरकारी कर्मचारियों में जबावदेही सुनिश्चत करनी होगी इसके लिए र्प्याप्त मानिटरिंग सिस्टम विकसित करना होगा।

 जे.पी.पाण्डे,मसूरी
प्रस्तुति-लाल बिहारी लाल
सचिव0लाल कला मंच,नई दिल्ली
फोन-9868163073 या7042662072

सोमवार, 4 जुलाई 2016

सुमित्रानंदन पन्त की धरती कवियों से गूंजयमान

सुमित्रानंदन पन्त की धरती कवियों से गूंजयमान 
लाल बिहारी लाल
नई दिल्ली। तराखण्ड की धरती अल्मोड़ा नगर के चिंतन सभागार में युवा 

उत्कर्ष साहित्यिक मंच,दिल्ली के तत्वावधान में “ अखिल भारतीय कवि 
सम्मेलन'' रामकिशोर उपाध्याय, अध्यक्ष -युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच,दिल्ली 
की अध्यक्षता एवं अल्मोड़ा के विधायक मनोज तिवारी के मुख्य आथित्य में 
आयोजित हुआ |
कार्यक्रम का आरम्भ अतिथियों के द्वारा माँ शारदा के चित्र पर 
माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन और विनय विनम्र की में सरस्वती वन्दना से 
हुआ |इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न अंचलों से कविता पाठ में कवियों ने 
हिस्सा लिया जिनमे प्रमुखत: उत्तराखंड से ललित योगी ,विवेक 
चौहान,अमितवर्मा, कान्हा जोशी डा.तेजपाल सिंह, आनंद वल्लभ भट्ट 
कु.सृष्टि नेगी ,छात्र नेत्री, प्रेम प्रकाश एवं दिल्ली से-ओमप्रकाश शुक्ल, 
संजयगिरी , निर्देश शर्मा तथा उ.प्र.से विनय विनम्र, सुश्री प्रमिला पाण्डेय 
आदि प्रमुख थे |
ओम प्रकाश शुक्ल (महमंत्री / युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच,दिल्ली ने 
युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच,दिल्ली की अब तक की गतिविधियों पर विस्तार 
से प्रकाश डाला | इस अवसर पर कई मीडिया जगत से पत्रकार बन्धु भी 
उपस्थित थे |कुमाऊँ वाणी के पत्रकार श्री गोपाल गुरनानी ने सभी आमंत्रित 
कविगणों की कविताओं को अलग से अपने चेनल के लिए रिकॉर्ड भी किया | 
खचाखच भरे इस सभागार में श्रोताओं के सभी कवियों/कवयित्रियों को बड़े 
ध्यान से सुना और उनके उत्कृष्ट काव्य-पाठ पर तालियाँ बजाकर उनका 
प्रोत्साहन किया |
     इस अवसर पर युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच,दिल्ली की ओर से उत्कृष्ट 
काव्य-पाठ के लिए सारस्वत सम्मान से सभी कवियों को नवाजा गया |
*सचिव-लाल कला मंच नई दिल्ली
फोन 09868163073 या 7042663073