सोमवार, 27 जून 2016

खण्ड काव्य मन की बात का लोकार्पण एवं काव्य–गोष्ठी आयोजित

खण्ड काव्य मन की बात का लोकार्पण एवं काव्यगोष्ठी आयोजित

लाल बिहारी लाल

नई दिल्ली।  हिन्दी के यशस्वी कवि डॉसधीर सिंह की काव्यकृति मन की बातका लोकार्पण समारोह अनुराधा प्रकाशन के तत्त्वावधान में नयी दिल्ली गांधी शांति प्रतिष्ठान में आयोजित किया गया जिसकी अध्यक्षता शिक्षाविद् एवं वरिष्ठ साहित्यकार, व्यावहारिक अध्यात्म मासिक पत्रिका के मुख्य संरक्षक प्रो.ग्रुप कैप्टन ओ.पी. शर्मा ने की । मुख्य अतिथि थीं विश्व प्रसिद्ध हास्य व्यंग्य कवयित्री डॉसरोजिनी प्रीतम ।
          सभी अतिथियों का सांस्कृतिक विधि से स्वागतसम्मान की औपचारिकता के पश्चात अनुराधाप्रकाशन के मुक्य संपादक मनमोहन शर्मा शरणने डॉसुधीर सिंह को बधाई देते हुए कहा कि मन की बात मन में तो सभी मानव करते हैं परन्तु साहित्यकारसमाजसेवी जब मन की बात का मंथन करता है तब वह समाज को एक अच्छी दिशा प्रदान करने हेतु श्रेष्ठ साहित्य का सृजन करता है । ऐसा ही विशाल मंथन इस पुस्तक में डॉसुधीर सिंह ने प्रस्तुत किया है ।वरिष्ठ साहित्यकार (कविआलोचक) डॉराहुल ने अपने उद्बोधन में मन की बातकृति के रचयिता डॉसुधीर सिंह को हार्दिक बधाई देते हुए कहा कि ग्यारह खण्डों में विरचित इस कृति को खण्ड काव्य के स्थान पर मुक्तक काव्यकहना अधिक अर्थपूर्ण होगा क्योंकि खण्ड काव्य के गुणलक्षण की अपेक्षा इसमें मुक्तक काव्य के गुणवैशिष्ट्य विशेष विद्यमान हैं ।
          ‘मन की बातके कुछ पदों का विश्लेषण करते हुए डॉ. राहुल ने आगे कहा कि, मन बहुत चंचल होता है, अतः बहुत बलवान है । डॉ. शंकराचार्य के शब्दों में, ‘जिसने मन को जीत लिया उसने जगत को जीत लिया । डॉसधीर सिंह के कवि मन के तमाम भावों और मनोभावों को मनोवैज्ञानिक ढंग से इस खूबी से शब्दबद्ध किया है कि जैसे सन्तभक्त, अनेक कवियों की रचनाओं में भावबिम्ब व्यंजित होते हैं उनकी भावनायें यहाँ भी मिलती हैं परन्तु इस कवि के भावों और अभिव्यक्तियों में उसकी मौलिकता है जो उन्हें अन्यों से अलग करती है । प्रेम, त्याग, परोपकार को अपनाते हुए अहंकार, छलप्रपंच व पूर्वाग्रहइर्ष्या, द्वेष जैसी कुमनोवृत्तियों से परे रहकर सार्थक जीवन जीने का संदेश इस कृति में है- क्योंकि जीवन का सबसे बड़ा आनन्द प्रेम है । प्रेम आत्मत्याग है, बलिदान है, प्रेम ही दुःख को सुख में बदलता है । जीवन में सच्चा प्रेम सेवा से ही प्रकट होता है । कवि ने भी कहा है -करुणा, दया, प्रेम जीवन में है ईश्वरीय वरदान ।’ (पृ– 89) ऐसे अनेक सूत्रात्मक कथन कृति के पदों में - प्रवाहमयी शैली में शिल्पबद्ध है ।
          डॉसरोजिनी प्रीतम ने अपने संक्षेप वक्तव्य में जहाँ कृतिकार को उसकी पहली और अच्छी कृति को सराहा वहाँ रचनाओं की सम्प्रेषणीयता और दूरगामीप्रभाववत्ता के प्रति इंगित किया । उन्होंने कहा कि ऐसी सफल रचनाएं आज के परिवेश में क्रमशः अधिक नहीं मिलती जहाँ रचना के अर्थअभिप्राय से अलग हटकर व्यावसायिक दृष्टि से रची जा रही है । अच्छी और असरदार रचनाएं ही समाज में जनजुबान पर बनी रह जाती हैं । निश्चय ही यह कृति समकालीन राजनीतिक माहौल में सामाजिक व्यवस्था को दृष्टिदिशा देने में अपनी अहम भूमिका निभाएगी ।
          अनुराधा प्रकाशन की संरक्षक एवं मानवता पुस्तक की सम्पादक श्रीमती कविता मल्होत्रा ने अपने सधे अन्दाज में कृति के मानवीय पक्षों को बड़ी बारीकी से उद्घाटित किया और कहा कि यह कृति आज के जनजीवन जगत में जिजीविषा की शक्ति देती हुई मानवीय महान मूल्यों को पुनर्स्थापित की राह सुझाती है ।
          सुप्रसिद्ध समाजसेवी श्री धर्मेन्द्र कुमार ने राष्ट्रभाषा हिन्दी के प्रति अपना गहरा लगाव आत्म प्रेम प्रकट करते हुए कहा कि मन की बातमें किसानों, मजदूरों, मजलूमों, उपेक्षितों, शोषितोंपीड़ितों की दर्दभावना और व्यंजना है । यदि इसे प्रेमचन्द के महान उपन्यास गोदानकी कथावस्तु से जोड़कर देखें तो वही स्थितियों और उनके प्रति जनवाणी की तलफलाहट बारबार मुखरित हुयी है । ये कवि के लिए भोगे, देखे, सुने की यथार्थ अभिव्यक्तियाँ है ।
          अपने अध्यक्षीय अभिभाषण में प्रो. ग्रुप कैप्टन ओ,पी, शर्मा ने इस कृति को वर्तमान जीवन के लिए जीने का सन्देश बताया । शर्मा जी ने अपने संक्षिप्त वक्तव्य में कहा कि कविताओं की भाषा में बड़ी सरलतासुबोध है । कहीं बनावट या बुनावट नहीं है । एक नये शिल्पसंधान की सार्थक यह रचना पुनः-पुनः पठनीय एवं संग्रहनीय है ।
          समारोह के द्वितीय सत्र में दिल्ली, हरियाणा के अलावा अन्य प्रान्तों से पधारे चर्चित कवियों/कवयित्रियों शुभदा वाजपेयी, नीतू सिंह राय, नरेश मलिक, शिव प्रभाकर ओझा, नरपाल सिंह, वसुधा कनुप्रिया, ए.एस. खान, सरोज शर्मा, पुनीत गुप्ता, पूजा प्रियदर्शनी, हीरेन्द्र चैधारी आदि ने सरस काव्य पाठ कर सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया।अंत में लाल बिहारी लाल के मन की वात पर दोहा से कार्यक्रम का समापन हुआ।
          धन्यवाद ज्ञापन में सभी का आभार व्यक्त करते हुए विशेष रूप से वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप राजपूत, लाल बिहारी लाल जी, अगस्ता वेलियथ जी को मंच पर बुलाकर सम्पानित किया और बताया कि मन की बातपुस्तक की ई-बुक लाइव हो चुकी है जिसे आप देशविदेश में कहीं भी बैठे पढ़ सकते हैं । कार्यक्रम का संयुक्त सफल संचालन पहले सत्र का प्रियंका और कवि गोष्ठी का नीलू नीलपूरीने किया।    

       सचिव-लाल कला मंच, नई दिल्ली
   फोन9868163073 या 7042663073








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