हिंदी भोजपुरी के सशक्त हस्ताक्षर –आरती आलोक
वर्मा
लाल बिहारी लाल
आरती आलोक वर्मा का जन्म बिहार के बेतिया में एक मध्यम वर्गीय परिवार
में 12 अक्टुबर 1971 को हुई पर समाजिक
सरोकार ने उन्हें साहित्यकार बना दिया।आज इनकी कर्म भूमी बिहार के ही सिवान है।
कविता के बारे में इनका मानना है कि कविता
मेरी शक्ति है,इबादत है। सीध साधे शब्दों
में कहे तो समाज से जब आहत होती है
तो संवेदनायें क्षतविक्षत होती है तो
कविता उनका उपचार करती है। यह
स्वतःस्फूर्त है। उम्मीद औऱ आशा का पर्याय है। बचपन से इन्हें पढ़ने का शौक रहा है।
इनकी काब्य अभिब्यक्ति बहुत ही मधुर है।इनकी आवाज कोयल-सी मीठी है। इनेक गले और
दिमाग दोनों में माँ शारदे साक्षात वास करती है। इनके परिवार में कोई साहित्यकार
नहीं था यूं कहे कि दूर-दूर तक कोई लेखक नहीं था
परन्तु नब्बे को दशक में दूरदर्शन
के राष्ट्रीय चैनल पर अक्सर होली या विषेष उत्सव के अवसर पर देर रात तक
मुशायरा और कवि सम्मेलन होता था जो इनके
पिता जी देखा करते थे। साथ-साथ ये भी
देखती और सुनती थी। उसके उपरान्त इन्होनें
वैसा ही कहने की ख्वाहिश मन में पालने लगी
और उस सोंच को कलमबद्ध करने लगी औऱ धीरे- धीरे हाथ में कलम पकड़ ली। जो आज तक जारी है। इन्हें लिखने की प्रेरणा इनके बड़े बाई से
मिलता है। इनकी ज्यादातर रचनायें महिला
एवं समाजिक परिस्थिति जन कुरीतियों
पर चलती है। इनकी रचनायें पद्य एवं गद्य दोनों में समान रुप से देश के विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में -दैनिक
हिन्दुस्तान ,दैनिक भाष्कर, हमारा मैट्रो (दिल्ली),यूग केसरी ,कनाडा ,नेपाल के अवावे आकासवाणी ,शोसल साइट्स ,यू ट्यूब, आखर ,भोजपुरी संगम ,हैलो भोजपुरी
,साहित्य सरिता आदि में अनवरत प्रकाशित होते रहती है।इनके उज्जवल भविष्य की कामना वूमेन एक्सप्रेस परिवार करता है।
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