रविवार, 26 नवंबर 2017

नवांकुर साहित्य सभा द्वारा काव्य गोष्ठी एवं पुस्तक लोकार्पण लाल बिहारी लाल


नवांकुर साहित्य सभा द्वारा काव्य गोष्ठी एवं पुस्तक लोकार्पण

लाल बिहारी लाल


नई दिल्ली ।'नवांकुर साहित्य सभा' एवं 'दिल्ली पब्लिक लाईब्रेरी, के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित काव्य विधा के बहुत सुंदर और लोकप्रिय छंद ''महिया' पर विशेष 'युवा काव्य गोष्ठी' एवम रजनीगन्धा पुस्तक का विमोचन कल शाम दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी, पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के सामने में किया गया । मंचासीन अतिथि साहित्यकारों एवम कविगण में. श्री लक्ष्मीशंकर बाजपेयी जी (अध्यक्ष और वक्ता महिया छंद) ,. श्री अनिल मीत,. श्री मनोज अबोध ,,. श्री शैल भदावरी रहे । सभी अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित एवं पुष्प अर्पित करने के उपरान्त एटा से आये कवि डॉ प्रशांत देव के मधुर स्वर में सरस्वती वंदना हुई इसके उपरान्त काव्य पाठ आरम्भ हुआ !
काव्य गोष्ठी का संचालन हास्य कवि श्री गुड्डू शादीसुदा ने बहुत मोहक एवम लाजबाब अंदाज़ में किया । इस सुअवसर पर शब्दांकुर प्रकाशन द्वारा प्रकाशित एवं काली शंकर सौम्य एवं संजय कुमार गिरि द्वारा सम्पादित 24 कवियों द्वारा लिखी कविताओं का काव्य संग्रह "रजनीगंधा" पुस्तक का लोकार्पण भी किया गया !रजनीगन्धा पुस्तक में सम्मलित रचनाकारों के अलावा दिल्ली एन सी आर से आये लगभग 35 कवियों ने मंच से अपना शानदार काव्यपाठ भी किया जिनमें सर्वश्री नयन सिंह नयन ,इंद्रजीत कुमार ,मनोज मनमौजी ,उमेश निर्झर ,चरनजीत सिंह ,इब्राहीम अल्वी ,जगदीश मीणा ,ओम प्रकाश शुक्ल ,कल्पना शुक्ला ,बलराम निगम ,सरौज शर्मा ,रवि सरोहा ,सृजन शीतल , अनिमेष शर्मा ,आदि ।नवांकुर साहित्य सभा के अध्यक्ष श्री अशोक कश्यप एवं महासचिव श्री काली शंकर जी ने अतिथियों का स्वागत पुष्प माला एवम अंगवस्त्र पहना कर किया ।


सोमवार, 20 नवंबर 2017

भोजपुरी की ‘मैना’ मैनावती देवी की आवाज मौन हो गई

भोजपुरी की मैना मैनावती देवी की आवाज मौन हो गई

लाल बिहारी लाल
नई दिल्ली। भोजपुरी को पहचान दिलाने वाली, लोकगीतों से सामाजिक जीवन को मानव पटल पर उतारने वाली लोकगायिका मैनावती देवी  श्रीवास्तव का जन्म  बिहार के सिवान जिले की पचरूखी  में 1मई 1940 को हुई थी। पर  उन्होनें अपनी कर्मभूमि गोरखपुर को बनायी। उन्होनें लोकगायन की शुरूआत गोरखपुर से सन् 1974 में आकाशवाणी गोरखपुर की शुरूआत के साथ की। आकाशवाणी गोरखपुर की शुरूआत मैनावती देवी श्रीवास्तव के गीतों से ही हुई। उनके गीतों के बाद से ही भोजपुरी संस्कृति को एक अलग पहचान मिली। उन्होने लोक गीतों के संरक्षण ,संवर्धन एंव प्रचार प्रसार पर काफी काम किया।उन्होंने लोकपरंपरा के संस्कार गीतों को पिरोने का काम बा-खूबी किया। लोकपरंपरा में भारतीय सामाजिक परिवेश में रहन-सहन, जीवन-मरण से लेकर हर परिवेश को उन्होने बड़ी ही कुशलता से अपनी रचनाओं में भी उकेरा है। वह कवियत्री और लेखिका भी थी। प्रयाग संगीत समिति से संगीत प्रभाकर की डिग्री ली थी। म्यूजिक कंपोजर के रूप में आकाशवाणी में काम किया। साथ ही दूरदर्शन में भी उन्होने अपना अमूल्य योगदान दिया। इनकी गायिकी के विरासत को इनके पुत्र राकेश श्रीवास्तव भी आज देश दुनिया में बढ़ा रहे है।
     श्रीमती नैना देवी के प्रकाशित पुस्तको में 1977 में गांव के दो गीत(भोजपुरी गीत), श्री सरस्वती चालीसा, श्री चित्रगुप्त चालीसा, पपिहा सेवाती(भोजपुरी गीत), पुरखन के थाती(भोजपुरी पारंपरिक गीत), तथा  अप्रकाशित पुस्तकों में कचरस (भोजपुरी गीत), याद करे तेरी मैना(इछ  हदी गीत), चोर के दाढ़ी में तिनका (कविता)और बे घरनी घर भूत के डेरा(कहानी) जैसे अनमोल गीत समाज को दिया। सन् 1974 से लोकगायन की शुरूआत करने वाली मैनावती देवी को पहला सम्मान सन् 1981 में लोक कलाकार भिखारी ठाकुर के 94वें जन्मदिवस के अवसर पर बिहार में "भोजपुरी लोक साधिका" का सम्मान मिला। उसके बाद सन् 1994 में अखिल भारतीय भोजपुरी परिषद लखनऊ द्वारा "भोजपुरी शिरोमणि" का सम्मान ठुमरी गायिका गिरजा देवी के हाथों प्राप्त किया था। इसके बाद उन्हे अनेकों सम्मान प्राप्त किया उनमें भोजपुरी रत्न सम्मान, 2001 में भोजपूरी भूषण सम्मान , 2005 में नवरत्न सम्मान, 2006 में 2012 में लोकनायक भिखारी ठाकुर सम्मान, लाइफ टाइम एचिवमेन्ट अवार्ड तथा गोरखपुर गौरव जैसे सम्मान से नवाजा गया। उन्हे कोई राजकीय सम्मान नहीं मिला फिर भी भोजपुरी की सेवा में रात दिन अंतिम सांस तक  लगी रही। ऐसे महान भोजपुरी सेवी को शत शत नमन है।
*लेखक-भोजपुरी के जानेमाने गीतकार हैं।
फोन -7042663073या 9868163073



रविवार, 12 नवंबर 2017

बाल दिवस पर लाल बिहारी लाल के कुछ दोहे

बाल दिवस पर लाल बिहारी लाल के कुछ दोहे



दशरथ पिता नहीं रहे, कहां मिलेंगे राम।
रिश्ते भी अब नेट पर, ढूढ़े मिले तमाम।1

पढना लाल भूल गये, संस्कारों की बात।
कौन उन्हें समझाये,आज भला यह बात।2

बाल साहित्यकार भी,हो गये आज स्यान।
लाल भी अब ठीक-ठीक, कैसे पाये ज्ञान।3

बाल साहित्य में छुपा, दुनिया भर का ज्ञान।
ठीक-ठीक जो पढ़ लिया,उस घर का कल्याण।4

लाल-लाल अब ना रहा बन गया आज बाप।
खोद रहा खुद की कबर,देखों अपने आप।5

लाल कहां अब जा रहा, देखो आज इंसान।
आज इसे यही रोको,जन-जन दो अब ध्यान।6

सचिव –लाल कला मंच, नई दिल्ली
फोन-7042663073


बुधवार, 8 नवंबर 2017

गीत-दिल्ली की हवा खराब हुई

गीत-दिल्ली की हवा खराब हुई


गीतकार- लाल बिहारी लाल

दिल्ली की हवा खराब हुई,दिल्ली की हवा खराब
पी.एम.,सी.एम सब हांफे ,जनता का हाल खराब
दिल्ली की हवा खराब हुई,दिल्ली.....


कभी थी हरियाली फैली दिल्ली के चारो ओर
अब कंक्रीट फैल गया है संग में धुंआ औ शोर
शासन और राशन के आगे,जनता हुई बर्बाद
दिल्ली की हवा खराब हुई,दिल्ली.....

सड़को पे गाड़ी का देखों उमड़ा है खूब सैलाब
चूहा बिल्ली के खेल में देखो,नेता हुए नबाब
निश दिन आबादी यहां पर और हुई आबाद
दिल्ली की हवा खराब हुई,दिल्ली.....


कल कारखाने खुल रहें अब देखो गली-गली
इसके असर से दुखी है नानक संग राम अली
न जाने दिन कैसे कटे औऱ कैसे हो गई शाम
दिल्ली की हवा खराब हुई,दिल्ली.....


धरा बचा लो देश बचा लो औऱ बचा लो दिल्ली
पेड़ लगा लो लाल बचा लो और बचा लो लिली
नदियाँ  सारी सुख रही और सुख रहे तालाब
दिल्ली की हवा खराब हुई,दिल्ली.....

सचिव –लाल कला मंच, नई दिल्ली