लोधी गार्डेन
में बही काव्य रस धार
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लाल बिहारी लाल
नई दिल्ली। कवयित्रि वसुधा 'कनुप्रिया की अगुआई में साहित्य को समर्पित संस्था - पर्पल पेन साहित्यिक समूह की 7वीं काव्य गोष्ठी -- 'पोयट्री इन द पार्क' का सफल आयोजन बड़ा गुम्बद, लोधी गार्डन्स, लोधी रोड, नई दिल्ली में किया गया । गोष्ठी में दिल्ली/एनसीआर के कवियों के अतिरिक्त उत्तराखंड, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कवियों ने काव्य पाठ किया । सर्व श्री/ सुश्री नीलोफ़र नीलू, शुभदा वाजपाई, वंदना गुप्ता, श्यामा अरोड़ा, अरुणा शर्मा ने इस गोष्ठी को परवान चढ़ाया वहीं डॉ देव नारायण शर्मा ने भारतीय संस्कृति के प्रतिक माँ गंगा पर कहा कि "धवल चांदनी सा निर्मल निर्झर बहता,पवित्र पावन मनभावन गंगा का जल"। इसे आगे बढाया त्रिभवन कौल, ए. एस. अली ख़ान, अरविंद कर्ण ने। दिलदार देहलवी ने आदमी की वर्तमान स्थिति पर व्यंग्य करते हुए कहा -- "रंग क्यूं इतना उड़ा है आदमी का, क्या ये पैसा ही ख़ुदा है आदमी का। कवि एवं पत्रकार लाल बिहारी लाल ने वर्तमान सेहत के प्रति लापरवाही के कारण पनपते रोगों पर आगाह करते हुए सेहत पर कुछ दोहे यूँ पढ़े -- "हाथ खाने से पहले मुँह खाने के बाद, निश दिन धोना सीख लो जीवन रहे अबाद"। इस कड़ी को आगे बढाया डां.गुरविंदर बांगा, विवेक शर्मा आस्तिक, अशोक सपड़ा, जय प्रकाश गौतम ने और संसथापिका वसुधा कनुप्रिया ने कहा कि- “क़त्ल का सामान बन कर मत यहाँ आया करो/हम ग़रीबों के दिलों को यूँ न ललचाया करो...”. रुद्र विक्म सिंह, राज़ देहलवी और शिव प्रभाकर ओझा ने अपनी सुन्दर और मनोहारी रचनाओं से दिसंबर की गुनगुनी दोपहर को और ख़ुशनुमा बना दिया । उभरते कवि सोलह वर्षीय अभिषेक कुमार अंबर की रचनाओं को सभी ने आशीर्वाद दिया । पार्क में घूमने आये काव्य प्रेमी श्रोताओं से सभी नें तालियाँ बटोरीं । श्रोता अतुल गोयल ने काव्य पाठ भी किया । मंच संचालन पर्पल पेन की संस्थापक वसुधा 'कनुप्रिया' ने किया औऱ अंत में आये हुए सभी कवियों को हार्दिक धन्यवाद भी दिया।
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लाल बिहारी लाल
नई दिल्ली। कवयित्रि वसुधा 'कनुप्रिया की अगुआई में साहित्य को समर्पित संस्था - पर्पल पेन साहित्यिक समूह की 7वीं काव्य गोष्ठी -- 'पोयट्री इन द पार्क' का सफल आयोजन बड़ा गुम्बद, लोधी गार्डन्स, लोधी रोड, नई दिल्ली में किया गया । गोष्ठी में दिल्ली/एनसीआर के कवियों के अतिरिक्त उत्तराखंड, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कवियों ने काव्य पाठ किया । सर्व श्री/ सुश्री नीलोफ़र नीलू, शुभदा वाजपाई, वंदना गुप्ता, श्यामा अरोड़ा, अरुणा शर्मा ने इस गोष्ठी को परवान चढ़ाया वहीं डॉ देव नारायण शर्मा ने भारतीय संस्कृति के प्रतिक माँ गंगा पर कहा कि "धवल चांदनी सा निर्मल निर्झर बहता,पवित्र पावन मनभावन गंगा का जल"। इसे आगे बढाया त्रिभवन कौल, ए. एस. अली ख़ान, अरविंद कर्ण ने। दिलदार देहलवी ने आदमी की वर्तमान स्थिति पर व्यंग्य करते हुए कहा -- "रंग क्यूं इतना उड़ा है आदमी का, क्या ये पैसा ही ख़ुदा है आदमी का। कवि एवं पत्रकार लाल बिहारी लाल ने वर्तमान सेहत के प्रति लापरवाही के कारण पनपते रोगों पर आगाह करते हुए सेहत पर कुछ दोहे यूँ पढ़े -- "हाथ खाने से पहले मुँह खाने के बाद, निश दिन धोना सीख लो जीवन रहे अबाद"। इस कड़ी को आगे बढाया डां.गुरविंदर बांगा, विवेक शर्मा आस्तिक, अशोक सपड़ा, जय प्रकाश गौतम ने और संसथापिका वसुधा कनुप्रिया ने कहा कि- “क़त्ल का सामान बन कर मत यहाँ आया करो/हम ग़रीबों के दिलों को यूँ न ललचाया करो...”. रुद्र विक्म सिंह, राज़ देहलवी और शिव प्रभाकर ओझा ने अपनी सुन्दर और मनोहारी रचनाओं से दिसंबर की गुनगुनी दोपहर को और ख़ुशनुमा बना दिया । उभरते कवि सोलह वर्षीय अभिषेक कुमार अंबर की रचनाओं को सभी ने आशीर्वाद दिया । पार्क में घूमने आये काव्य प्रेमी श्रोताओं से सभी नें तालियाँ बटोरीं । श्रोता अतुल गोयल ने काव्य पाठ भी किया । मंच संचालन पर्पल पेन की संस्थापक वसुधा 'कनुप्रिया' ने किया औऱ अंत में आये हुए सभी कवियों को हार्दिक धन्यवाद भी दिया।
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