विश्व एड्स दिवस ( 1 दिसंम्बर) पर विशेष
एड्स का जागरुकता ही बचाव है-लाल बिहारी लाल
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लगातार
थकान,रात को पसीना आना,लगातार डायरिया,जीभ/मूँह
पर सफेद धब्बे,,सुखी खांसी,लगातार बुखार रहना आदी पर एड्स की संभावना हो
सकती हैं।
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लाल बिहारी लाल
नई
दिल्ली।लगभग 200-300 साल पहले इस
दुनिया में मानवों में एड्स का नामोनिशान तक नही था। यह सिर्फ अफ्रीकी महादेश में
पाए जाने वाले एक विशेष प्रजाति के बंदर
में पाया जाता था । इसे कुदरत के अनमोल करिश्मा ही कहे कि उनके जीवन पर इसका कोई
प्रभाव नही पडता था। वे सामान्य जीवन जी रहे थे।
ऐसी मान्यता है कि सबसे पहले एक अफ्रीकी युवती इस बंदर से अप्राकृतिक यौन
संबंध स्थापित की और वह एड्स का शिकार हो गई क्योकि अफ्रीका में सेक्स कुछ खुला है
, फिर उसने अन्य कईयों से यौन संबंध
वनायी और कईयों ने कईयों से इस तरह तरह एक चैन चला और अफ्रीका महादेश से शुरु हुआ
यह एड्स की बीमारी आज पूरी दुनिया को अपने आगोश में ले चुकी है। आज पूरी दुनिया
में 40 मिलियन के आसपास एच.आई.बी.पाँजिटीव
है इनमें से 25 मिलियन तो डिटेक्ट हो चुके हैं जिसमें सिर्फ
अमेरिका में ही 1 मिलियन इस
रोग से प्रभावित हैं।हाल ही में जारी संयुक्त राष्ट्रसंघ की ताजा रिपोरट के अनुसार
एच.आई.वी. से प्रतिदिन 6,800 लोग संक्रमित हो रहें हैं तथा कम से कम 5,700 लोग
एड्स के कारण मौत को गले लगा रहे हैं।
भारत में कुछ मशहूर रेड लाइट एरिया–मुम्बई,सोना गाछी (कोलकाता), वनारस, चतुर्भुज स्थान (मुज्जफरपुर), मेरठ एवं सहारनपुर आदि है। उनमें कुछ साल पहले
तक तो सबसे ज्यादा सेक्स वर्कर मुम्बई में इस एड्स प्रभावित थे पर आज एड्स से सबसे
ज्यादा प्रभावित सेक्स कर्मी लुधियाना(पंजाब) में है और राज्यो की वात करे तो
सर्वाधिक महाराष्ट्र में है। इसके बाद दुसरे स्थान पर आंध्र प्रदेश है।
इस
विमारी के फैलने का मुख्य कारण (80-85 प्रतिशत)
असुरक्षित यौन संबंध के कारण (तरल पदार्थ के रुप में बीर्य) - ब्यभिचारियों, बेश्याओं, वेश्यागामियों
एंव होमोसेक्सुअल है।इसके अलावे संक्रमित सुई के इस्तेमाल किसी अन्य के साथ करने,संक्रमित रक्त चढाने तथा बच्चों में मां के जन्म के समय 20 प्रतिशत का जोखिम और स्तनपान के समय 35 प्रतिशत का जोखिम रहता है एड्स के फैलने का।
इस बीमारी के चपेट में आने पर एम्यूनी डिफेसियेंसी(रोग प्रतिरोधक क्षमता) कम हो
जाती है।जिससे मानव काल के ग्रास में बहुत तेजी से बढता है। और अपने साथी को भी इस चपेट मे ले लेता है।
अतः जरुरी है कि अपने साथी से यौन संबंध वनाने के समय सुरक्षक्षित होने के लिए
कंडोम का प्रयोग अवश्य करें। सन 1981 में इसके खोज
के बाद अभी तक 30 करोड से
ज्यादा लोग काल के गाल में पूरी दुनिया में समा चुके हैं।
इसके
लक्षणों में मुख्य रुप से लगातार थकान,रात को पसीना
आना,लगातार डायरिया,जीभ/मूँह पर सफेद धब्बे,,सुखी खांसी,लगातार
बुखार रहना आदी प्रमुख हैं।
इस बीमारी
को फैलने में भारत के ग्रामिण इलाके में गरीबी रेखा से नीचे ,अशिक्षा,रुढीवादिता ,महँगाई और बढती खाद्यानों के दामों के कारण
पापी पेट के लिए इस कृत(पाप) को करने पर उतारु होना पडता है। इससे बचने के लिए
सुरक्षा कवच के रुप में कंडोम का उपयोग एवं साथी के साथ ही यौन संबंध बनायें रखना
ही सर्वोत्म उपाय है ।
दुनिया में 186 देशो से मिले
आकडो पर आधारित एचआईवी/एड्स ग्लोबल रिर्पोट-2012 के
मुताबिक भारत में 2001 से 2011 के मुकावले
नए मरीजो की संख्या में 25 प्रतिशत की
कमी आई है। 40-55 प्रतिशत मरीजो को एंटी रेटेरोवायरल
दवायें उपलब्ध है। लेकिन अभी भी विश्व में इसका खतरा टला नहीं है। बर्ष 2011 में 20.5 करोड लोग
इसके चपेट मे आयें हैं। जबकि 50 प्रतिशत की
कमी आई है।रिर्पोट के अनुसार 2005 से 2011 के बीच पूरी दुनिया में 24 प्रतिशत कम मौत दर्ज की गई है। यह अच्छी वात
है पर अभी भी इसके लिए जागरुकता की सख्त जरुरत है।इसी क्रम में आम जन को जागरुक
करने के लिए 1988 से प्रतिवर्ष 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाते हैं।
लाल बिहारी लाल
सचिव
लाल कला,सांस्कृतिक
एवं सामाजिक चेतना मंच,नई दिल्ली
फोन-9868163073
lalkalamunch@rediffmail.com
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