शुक्रवार, 27 नवंबर 2015

हिन्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय कवि - हरिवंश राय बच्चन

27  नवम्बर जन्म दिवस पर विशेष

हिन्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय कवि  - हरिवंश राय बच्चन
लाल बिहारी लाल
नई दिल्ली। बच्चन का जन्म 27 नवम्बर 1907 को इलाहाबाद से सटे प्रतापगढ़ जिले के एक छोटे से गाँव बाबूपट्टी में एक कायस्थ परिवार मे हुआ था। इनके पिता का नाम प्रताप नारायण श्रीवास्तव तथा माता का नाम सरस्वती देवी था। इनको बाल्यकाल में 'बच्चन' कहा जाता था जिसका शाब्दिक अर्थ 'बच्चा' या संतान होता है। बाद में ये इसी नाम से मशहूर हुए। इन्होंने कायस्थ पाठशाला में पहले उर्दू की शिक्षा ली जो उस समय कानून की डिग्री के लिए पहला कदम माना जाता था। उन्होने प्रयाग विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम. . और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य के विख्यात कवि डब्लू बी यीट्स की कविताओं पर शोध कर पीएच. डी.(1952-1955) पूरी की फिर स्वदेश आ गये और भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में हिन्दी विशेषज्ञ रहे। अनन्तर राच् सभा के मनोनीत सदस्य। बच्चन जी की गिनती हिन्दी के सर्वाधिक लोकप्रिय कवियों में होती है।
     1926 में 19 वर्ष की उम्र में उनका विवाह श्यामा बच्चन से हुआ जो उस समय 14 वर्ष की थीं। लेकिन 1936में श्यामा की टीबी के कारण मृत्यु हो गई। पांच साल बाद 1941 में बच्चन ने एक पंजाबन तेजी सूरी से विवाह किया जो रंगमंच तथा गायन से जुड़ी हुई थीं। इसी समय उन्होंने 'नीड़ का पुनर्निर्माण' जैसे कविताओं की रचना की। तेजी बच्चन से अमिताभ तथा अजिताभ दो पुत्र हुए। अमिताभ बच्चन एक प्रसिद्ध अभिनेता हैं। तेजी बच्चन ने हरिवंश राय बच्चन द्वारा शेक्सपियर के अनूदित कई नाटकों में अभिनय का काम किया है।
          हरिवंश राय श्रीवास्तव "बच्चन हिन्दी भाषा के एक कवि और लेखक थे।'हालावाद' के प्रवर्तक बच्चन जी हिन्दी कविता के उत्तर छायावाद काल के प्रमुख कवियों मे से एक हैं। उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति मधुशाला है। भारतीय फिल्म उद्योग के प्रख्यात अभिनेता अमिताभ बच्चन 
उनके सुपुत्र हैं।

   उनकी कृति दो चट्टाने को 1968 में हिन्दी कविता का साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मनित किया गया था। इसी वर्ष उन्हें सोवियत लैंड नेहरु पुरस्कार तथा एफ्रो एशियाई सम्मेलन के कमल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। विरला फांडेशन ने उनकी आत्मकथा चार खंडों के लिये उन्हें पहला सरस्वती सम्मान (1991) दिया था। बच्चन को भारत सरकार द्वारा 1976 में साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
उनकी प्रमुख कृतियों में-

कविता संग्रह- तेरा हार (1929), मधुशाला (1935), मधुबाला (1936), मधुकलश (1937), निशा निमंत्रण (1938). एकांत संगीत (1939), आकुल अंतर (1943), सतरंगिनी (1945), हलाहल (1946),. बंगाल का काव्य (1946), खादी के फूल (1948), सूत की माला (1948), मिलन यामिनी (1950), प्रणय पत्रिका (1955), धार के इधर उधर (1957), आरती और अंगारे (1958), बुद्ध और नाचघर (1958), त्रिभंगिमा (1961), चार खेमे चौंसठ खूंटे (1962), दो चट्टानें (1965), बहुत दिन बीते (1967), कटती प्रतिमाओं की आवाज़ (1968), उभरते प्रतिमानों के रूप (1969), जाल समेटा (1973) आदी।

आत्मकथाओं में- क्या भूलूँ क्या याद करूँ (1969), नीड़ का निर्माण फिर (1970),. बसेरे से दूर (1977),बच्चन रचनावली के नौ खण्ड (1983), दशद्वार से सोपान तक (1985) आदी सहित सौकड़ो छिटपूट कवितायें बिभिन्न स्र्तरो एवं पत्र पत्रिकायें में प्रकाशित हुई थी।

      इस लोकप्रिय कवि का निधन 18 जनवरी 2003 को मुम्बई में लंबी बिमारी के कारण हुआ।
सचिव –लाल कला मंच,बदरपुर,नई दिल्ली

                  

मंगलवार, 10 नवंबर 2015

बिहार में मोदी की नहीं गली दाल-लाल बिहारी लाल

बिहार में मोदी की नहीं गली दाल-लाल बिहारी लाल
 
नई दिल्ली। सन् 2014 के राष्ट्रीय चुनाव में जनता ने महँगाई और भ्रष्टाचार के खिलाफ कांग्रेस गठबंधन को सता से हटाकर भाजपा को प्रचंड बहुमत से जीताया था। भाजपा ने नारा दिया था नरेन्द्र मोदी आयगे अच्छे दिन लायेगे। इस अच्छे दिनों की आश में गुजरात के विकास में मोदी के हाथ को देखकर महाराष्ट्र और हरियाणा की जनता ने भी प्रचंड बहुमत दिया।मोदीका काम को धीरे-धीरे लोगो ने हकीकत में देशना शुरु किया और इनके काम का प्रदर्शन और केजरीवाल के वादों के पीछे दिल्ली में जनता ने मोदी को हरा दिया। दिल्ली के बाद बिहार में चुनाव हुआ पर पिछलो 17-18 महिनों में नरेन्द्र मोदी का तिलिस्म धीरे-धीरे देश में कम होने लगा क्योंकि जनता अच्छे दिनों की आश में आज भी पलके बिछायें इंतजार कर रही है।
     देश की जनता मोदी सरकार से उम्मीद लगायो बैठी थी कि भाजपा देश में महँगाई कम करेगी पर सिवाये कागजों के जमीनी स्तर पर महँगाई कम नहीं हुई है। देश में निवेश के लिए पी.एम.ने सारी दुनिया का खाक छानने में करोड़ो स्वाहा कर दिया पर देश में निवेश के लायक माहौल नहीं बना पाये इसमें भी पीछे रहे। किसानों के हितों को नजरअंदाज करके तीन बार भूमि अधिग्रहन अध्यादेश लाये पर कामयाब नहीं रहे।तेल पर एक्साइज ड्यूटी ,रेल भाड़ा आदी बढ़ा कर जनता पर और बोझ डाल दिया। युवायों को सरकारी रोजगार के लिए भी कोई पद सृजित नहीं कर पाये। महँगाई,बेरोजगारी,भ्रष्टाचार जैसी विकराल समस्याओं से देश आज भी त्रस्त है।
   सपने दिखाकर ,झूठे वादों से देश नहीं चल सकता यह बिहार के जनता ने उन्हें बता दिया। काग्रेस ,जनतादल (यू)एवं राजद के महा गठबंधन को जीता दिया. ऐन चुनाव के दौरान ही देश के आम जनता की थाली से दाल गोल हो गयी ,प्याज भी कम नहीं रुलाया अब सरसों का तेल रुला रहा है। मोदी सरकार जमीनी स्तर पर काम करने में, गरीव जनता एवं देश के आम वर्ग की वात करनें में नकाम रही ।इसलिए बिहार में मोदी की दाल नही गल पायी और भाजपा को हार का मुँह देखना पड़ा।
सचिव-लाल कला मंच,बदरपुर ,नई दिल्ली
  


रविवार, 8 नवंबर 2015

भोजपुरी कविता -फेंकुआ हार गइल-लाल बिहारी लाल

फेंकुआ हार गइल


*लाल बिहारी लाल

फेंकुआ हार गइल
जनता जीत गइल
झूठ वादा के पोल खुलल
तीर चलल ,लालटेन जलल
हाथ मुखर भइल...
फेंकुआ हार गइल
भाईचारा के बल मिलल
केतना के मुँह ताला जड़ल
महँगाई मार गइल.....
फेंकुआ हार गइल
बीत गइल दिन कई महिना
जन-जन को रोज चुए पसीना
बिहार जीत गइल....
फेंकुआ हार गइल
"लाल बिहारी" के एके सजा
झूठ के जनता मजा चखा
धन्य-धन्य बिहार भइल..
फेंकुआ हार गइल
*सचिव-लाल कला मंच,नई दिल्ली.