सोमवार, 27 अक्टूबर 2014

शक्ल दरिया की बदल दी जायेगी जिन्दगी खुशियों के नगमे गाएगी ......


         शक्ल दरिया की बदल दी जायेगी जिन्दगी खुशियों के नगमे गाएगी ......


          युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच की तीसरी मासिक "काव्य गोष्ठी "कल मंच के संरक्षक सर राम किशोर उपाध्याय जी के निवास स्थान पर की हुई !जिसकी अध्यक्षता  वरिष्ठ गज़लकार श्री रमेश सिद्धार्थ जी ने की ,और काव्य गोष्ठी का मंच का सञ्चालन निर्देश शर्मा जी ने बखूबी किया !
आमंत्रित कवियों में गजलकार श्री रमेश सिद्धार्थ जी ,श्री राम किशोर उपाध्याय जी गज़लकार श्री रामश्याम "हसीन",ओम प्रकाश शुक्ल ,प्रदीप शर्मा ,एन के मनु जी और संजय कुमार गिरि  जी रहे ,कवियों ने अपनी बहुत सुन्दर रचनाये सुनाई और सभी का दिल जीतने में सफल रहे ,
उनकी कुछ पंक्तियाँ देखिये .......



श्री रमेश सिद्धार्थ जी का ग़ज़ल कहने का सुन्दर अंदाज़ भी बहुत सुन्दर रहा ......... 
निभाना फर्ज हो तो बस जमीर काफी है,
डगर दिखाने को तो इक फकीर काफी है!
कसम, ईमान, धरम और नियम हैं बेमानी,
हया और शर्म की नाजुक लकीर काफी है !!

श्री रामकिशोर उपाध्याय जी ने अपनी सुन्दर रचनाओं से सभी का दिल जीत लिया ........
कहने दो मुझको अभी कई अंदाज बाकी है,
उड़ने दो मुझको अभी कई परवाज बाकी है,
आज इस जमाने में रस्मे-उलफ़त के दीगर,
निभाने को मुझे अभी कई रिवाज बाकी है |

राम श्याम हसीन जी की सुन्दर गज़ल ने सभी का मनमोह लिया .......
शक्ल दरिया की बदल दी जायेगी 
जिंदगी खुशियों के नगमे गाएगी  "                                                                       

ओम प्रकाश शुक्ल जी का एक अंदाज़ ..............           
राज दिल का बता नहीँ पाया ।
हाल अपना सुना नहीँ पाया ।।
पास मेरे रहे सदा फिर भी ,
चाह उनसे जता नहीँ पाया ।।
 
एन के मनु जी का यह प्रथम काव्यपाठ भी बहुत सुन्दर रहा .......
गुण अवगुण तो हर एक में है
हम तुम इसके अपवाद नही।
यदि नारी कोई कलुषित है

तो नर भी कोई निरपराध नही
संजय कुमार गिरि ने भी बहुत खूब कहा .......
कर इबादत अब खुदा की देख ले !
तेरी हर दुआ  कबूल हो जायेगी !!
लिख ले "संजय" इतना ये आज तू !
एक दिन तेरी रूह खुदा से मिल जायेगी !!

प्रदीप शर्मा जी का निराला अंदाज ........
ठिकाने आसमां में ....बनाये हैं किसने
परिंदों ने बताया न हो...ये हो नहीं सकता
मोहब्बत उसूल है पहला...हर गज़ले शायरी का
फ़क़ीरों ने समझाया न हो..ये हो नहीं सकता

निर्देश शर्मा पाबलेवाला का शानदार मंच संचालन और बेहतरीन काव्यपाठ ......

सुना है चॉद भी, हडताल पर है!
गगन मे चर्चा ,इसी सवाल पर है!
मेरे महबूब का जो रूप देखा, जल गया है!
दंग , वो-उनके हुस्नो ,हाल पर है!

     काव्य गोष्ठी के दौरान आदरणीय श्री रमेश सिद्धार्थ जी ने अपनी गजलों की सी .डी."कहकशां रमेश सिद्धार्थ की दिलकश गजलेँ" भी कवियों को वितरित की साथ ही आदरणीय राम किशोर उपाध्याय जी ने भी अपनी पुस्तक ड्राइंग रुम के कोने, सभी कवियों को अपने हाथों से भेंट किया !

          
प्रस्तुति-लाल बिहारी लाल
सचिव-लाल कला मंच,
फोोन-9868163073











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