बदरपुर
में शहीदी दिवस मनाया
सोनू गुप्ता
बदरपुर। दक्षिणी
दिल्ली सी.पी.आई(एम.) कमेटी द्वारा कामरेड जगदीश चंद्र की अगुआई में मीठापुर
के लखपत कालोनी मे शहीदी दिवस के अवसर पर
एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया । जिसका विषय था- भगत सिंह तथा उनके
साथियो के विचार आज भी प्रासांगिक है। इसका
जिसका संचालन काम. शर्मा ने किया। इस अवसर पर क्षेत्र के कई समाजसेवी एवं
गन्यमान्य ब्यक्तियो ने शहीदों पर अपने-अपने बिस्तार से विचार रखे। जिसमें-तुलसी राम आर्य प्रो.सिद्देश्वर
शुक्ला ने कहा कि भगत सिंह के शहीद होने का औचित्य आज भी बाजारीकरण के दौड में
पूरा नहीं हो पा रहा है। वही प्रो. हवलदार शास्त्री ने कहा कि आज भी हम वही के वही
खडे है,जहां उस समय थे। अनिल शर्मा ने भी इसकी उपयोगिता पर बल दिया। का. जगदीश
चंद्र शर्मा ने कहा कि भगत सिंह तीन बातों पर जोर देते थे –सामप्रदायिकता,समप्रभुता
तथा समाजवाद। इन्ही को दुरुस्त करने के लिए वे शहीद हो गये ताकि समाज को सही संदेश
दे सके। इस गोष्ठी में कुछ कवियो- डा. सत्य प्रकाश पाठक,श्रीपाल,सुरेश मिश्र
अपराधी ने भी अपनी वीर रस की कविताओ से श्रोताओं को सराबोर किया।
इस गोष्ठी में समाजसेवी लाल बिहारी लाल
ने कहा कि भगत सिंह मानसिक रुप से हिंसक नही थे परन्तु वक्त के नजाकत को ध्यान में
रखकर 17 दिसंबर 1928 को लाहौर में इनके
सहयोगियो तथा 8 अप्रैल 1929 को दिल्ली की एसेम्बली में बम फेका था और अपने सहयोगी
बटूकेशवर दत्त संग स्वंय को गिरफ्तार भी करवाया था सिर्फ अंग्रेजी हुकुमत को नींद
से जगाने के लिए न कि जनहानी के लिए। क्योकि आजादी की लडाई में नरमपंथी नेताओं ने
अहिंसा का सहारा ले रखा था । भगत सिह की सहादत रंग लायी और देश 15 अगस्त 1947 को
भारत आजाद हुआ। अशके अलावे अंगदराज शर्मा,लाखन सिंह,मलखान सैफी,ललित
शर्मा,आत्माराम पांताल, के.पी.सिंह ,डी.एन.सिंह आदी ने अपने-अपने विचार रखे।
आज आजादी के बाद उनकी त्याग तपस्या को मोल कम
हो गया पहले अंग्रेजो (गोरों)की हुकुमत थी अब कालो (भारतीयो )की हो गई है । इसका
वे विरोध तब भी करते थे। आज जब तक जन-जन
में देश की भावना नहीं जगेगी जब तक उनकी शहादत बेकार है। आज राष्ट्रर्हित सर्वोपरी
हो ऐसा प्रावधान हो तभी सही मायने में उनकों सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
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