विकास में बाधक है तेजी से बढ़ती जनसंख्या-लाल बिहारी लाल
सन 1987 में विश्व की जनसंख्या 5 अरब को पार गई तभी से सारी दुनिया में जनसंख्या को रोकने के लिए जागरुकता की शुरुआत के क्रम में 1987 से हर साल 11जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाते हैं।
आज सारी दुनिया की 90% आबादी इसके 10% भूभाग में निवास करती है। विश्व की आबादी कही11-50/वर्ग कि.मी. है तो कही 200/वर्ग कि.मी.है । जनसंख्या वृद्धि के कई कारण है जो जनसंख्या वृद्धि को प्रभावित करते हैं। उनमें भौगोलिक, आर्थिक एवं सामाजिक तथा सांस्कृतिक कारक प्रमुख है। भोगोलिक कारकों में मुख्य रुप से मीठे एवं सुलभ जल की उलब्धता, समतल एवं सपाट भूआकृति, अनुकुल जलवायु ,फसल युक्त उपजाऊ मिट्टी आदी प्रमुख है।
आर्थिक कारकों में खनिज तत्व की उपलब्धता के कारण औद्योगिकरण तथा इसके फलस्वरुप शहरीकरण क्योंकि आधुनिकयुग में स्वास्थ्य ,शिक्षा, परिवहन,बिजली तथा पानी आदी की समुचित उपलब्धता के कारण औद्योगिक कल-कारखाने में काम करने के लिए कर्मचारियो की जरुरत को कारण यहा की आबादी धीरे- धीरे सघन होते जा रही है। इसके अलावे भी सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिवेश उतरदायी है। उक्त कारकों के अलावे जनसंख्या वृद्दि दर भी आज अच्छे स्वास्थ्य सुविधा के कारण काफी ज्यादा है।पृथ्वी पर जनसंख्या आज 750करोड़ से भी ज्यादा है। इस आकार तक जनसंख्या को पहूँचने में शताब्दियां लगी है।आरंभिक कालों में विश्व कीजनसंख्या धीरे-धीरे बढ़ी थी।
विगत कुछ सौ बर्षों के दौरान ही जनसंख्या आश्चर्य दर(गुणात्मक रुप) से बढ़ी है। पहली शताब्दी में जनसंख्या 30 करोड़ से कम थी।16वी.एवं17वी शताब्दी में औद्योगिक क्रांति के बाद तीब्र गति से जनसंख्या की वृद्दि हुई और सन 1750 तक 55 करोड़ हो गई। सन 1804 में 1 अरब,1927 में 2 अरब ,1960 में 3अरब,1974 में 4 अरब तथा 1987 में 5 अरब हो गई। विगत 500वर्षों में प्रारंभिक एक करोड़ की जनसंख्या होने में 10 लाख से भी अधिक वर्ष लगे परन्तु 5 अरब से 6 अरब होने में 1987 से 12 अक्टूबर 1999 तक मात्र 12 साल लगे। इसी तरह 31 अक्टूबर2011 को 7 अरब हो गई। आज विश्व की जनसंख्या मार्च 2016 तक 7 अरब 40 करोड के आस पास थी। अब 2017 में विश्व की जनसंख्या 7 अरब 50 करोड़ के आस पास है। जो सन 2023 तक 800 करोड़ तथा 2056 तक 1000 करोड़ हो जायेगी ऐसा अनुमान है।
भारत आज 139(1,39,19,97,259) करोड़ से अधिकआबादी के साथ चीन(1,41,05,42,192) के बाद दूसरे नंबर पर है अगर इसी रफ्तार से भारतकी जनसंख्या बढ़ती रही तो वह दिन दूर नहीं जब भारत चीन को पीछा छोड़कर आबादी के मामलों में सारी दुनिया में नंबर वन हो जायेगा। जबकि भूमि के मामले में भारत विश्व का 2.5% है और आबादी लगभग 17-18 % है। इस जनसंख्या विस्फोट से समाजिक ढ़ाचा- परिवहन,शिक्षा स्वास्थ्य, बिजली , पानी आदी की मात्रा सीमित है जो आने वाले समय में समस्या बनेगी। इससे प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव तेजी से बढ़ेगा और अनेक समस्याय़े खड़ी हो जायेगी। जिससे देश में सामाजिक ढाचा छिन्न-भिन्न(असहज) होने की संभावना बढ़ेगी। अतः आज जनसंख्या रोकने के लिए।सबको शिक्षित होना जरुरी है जिससे इसे कम करने में मदद मिलेगी शिक्षा के साथ-साथ जागरुकता की सख्त जरुरत है ताकि देश उनन्ति के मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ सके।इसलिए हम सब मिलकर ये प्रयास करे कि लड़का हो या लड़की बस दो ही बच्चें सबसे अच्छे। देश देश प्रगति के राह पर सरपट दौड़ पायेगी ।
लेखक-लाल कला मंच,नई दिल्ली के सचिव हैं।
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